दृश्य
जब रघु ने सान्वी को,
किसी और के साथ देखा सामने,
उसके दिल ने कहा,
"बिन मौसम बरसातें जब होती हैं,
तब ही तो दिलों में साजिशें रचती हैं।"
खुशी इस बात की,
तू मेरे साथ है,
पर दुख उस बात का,
तू किसी और के पास है।
मैं वो बरसता पानी हूँ,
ना किनारे का, ना बादल.....
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