Hindi Quote in Motivational by Raju kumar Chaudhary

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“माँ का विश्वास”

एक छोटे से गाँव में एक बच्चा रहता था — नाम था आर्यन। बचपन से ही वह अपने उम्र के बच्चों से थोड़ा अलग था। गाँव के लड़के खेलकूद में तेज़ थे, पर आर्यन घंटों चुपचाप मिट्टी में कुछ आकृतियाँ बनाता रहता, या पुराने टूटे खिलौनों को जोड़कर उनसे नई-नई चीज़ बनाने की कोशिश करता। पर गाँव के लोग इसे उसकी “मन्दबुद्धि” समझते।

“ये लड़का ठीक नहीं है… इसके बस का कुछ नहीं।”
“तेरा बेटा तो बेकार है, स्कूल में भी नाम खराब करेगा।”

ऐसी बातें सुनकर उसकी माँ सरला के दिल को चोट पहुँचती, लेकिन वह हमेशा मुस्कराकर कहती—
“मेरा बेटा अलग है, और एक दिन अलग ही काम करेगा।”


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स्कूल की घटना

एक दिन आर्यन स्कूल गया। वहाँ क्लास के टीचर उसकी धीमी गति से पढ़ाई को देखकर चिढ़ गए। बच्चे हँसते थे, और मास्टर साहब भी कहते—
“इस लड़के से कुछ नहीं होगा, ये दूसरों का टाइम खराब करता है।”

आखिरकार एक दिन स्कूल ने आर्यन के हाथ में एक चिट्ठी थमा दी और कहा—
“ये चिट्ठी अपनी माँ को देना, अब तू यहाँ नहीं पढ़ सकता।”

आर्यन भारी कदमों से घर लौटा। माँ ने दरवाज़ा खोला, तो देखा बेटा उदास है और हाथ में एक कागज़ है।


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माँ का पढ़ना

माँ ने चिट्ठी खोली। उस पर लिखा था:

> “आपका बच्चा मंदबुद्धि है। यह स्कूल के काबिल नहीं है, इसलिए हम इसे आगे नहीं पढ़ा सकते।”



माँ सरला ने उस चिट्ठी को पढ़ा, और उनकी आँखें भर आईं। पर उन्होंने कागज़ नीचे रख दिया और बेटे के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा—
“बेटा, इसमें लिखा है कि तू बहुत ही तेज और बुद्धिमान है। स्कूल कहता है कि तेरी समझ इतनी बड़ी है कि वहाँ के मास्टर तुझे और नहीं पढ़ा सकते। अब तुझे मैं पढ़ाऊँगी।”

आर्यन की आँखों में चमक आ गई। वह बोला—
“सच माँ? मैं बुद्धिमान हूँ?”
“हाँ बेटा, बहुत बुद्धिमान।”


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नयी शुरुआत

उस दिन से माँ खुद उसकी गुरु बन गई। किताबें जुटाई, पुरानी कॉपी, पेंसिल, यहाँ तक कि अखबार के टुकड़ों पर भी उसे लिखना-पढ़ना सिखाया। जब बिजली नहीं होती, तो माँ मिट्टी के दीये जलाकर उसके साथ बैठती।

धीरे-धीरे आर्यन की जिज्ञासा बढ़ी। वह रात-रात भर तारों को निहारता, पुरानी चीज़ों को जोड़कर छोटे-छोटे प्रयोग करता। गाँव वाले हँसते—
“देखो, पागल लड़का फिर कुछ जोड़तोड़ कर रहा है।”

लेकिन माँ हर बार कहती—
“हँसने दो बेटा… ये वही लोग हैं जो कल तुझे सलाम करेंगे।”


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सफलता का सफर

समय बीता। आर्यन बड़ा हुआ और उसकी मेहनत रंग लाई। उसने विज्ञान में अद्भुत खोज की। उसकी बनाई मशीनों और शोध ने गाँव ही नहीं, पूरे देश में उसका नाम रोशन कर दिया।

अब वही लोग, जो कहते थे “तेरा बेटा मन्दबुद्धि है”, गर्व से कहते—
“अरे! यही तो हमारा गाँव का लाल है, जिसे हम कभी कुछ नहीं समझते थे।”


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आखिरी दृश्य

एक बार एक बड़ा पुरस्कार पाकर आर्यन गाँव लौटा। मंच पर खड़े होकर उसने सबसे पहले अपनी माँ का हाथ थामा और कहा—

“अगर आज मैं यहाँ खड़ा हूँ, तो सिर्फ़ अपनी माँ की वजह से।
क्योंकि जब पूरी दुनिया ने मुझे नकार दिया, तब सिर्फ़ मेरी माँ ने मुझ पर विश्वास किया।”

पूरा गाँव तालियों से गूँज उठा। माँ की आँखों से आँसू बह निकले, पर वो आँसू गर्व के थे।


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संदेश

यह कहानी हमें सिखाती है कि दूसरों की नकारात्मक बातें मायने नहीं रखतीं। अगर माँ-बाप का विश्वास और बच्चे का जुनून साथ हो, तो कोई भी असंभव काम संभव हो सकता है।

Hindi Motivational by Raju kumar Chaudhary : 112000107
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