जीवन कठिन नहीं,
कठिनाई तो भीतर गढ़ी दीवारें हैं।
सुख सरल है,
पर हमने उसे ढक दिया
कल्पना के महलों,
भ्रम के पहाड़ों से।
मार्ग कोई उपाय नहीं,
बस गिराना है उन जालों को
जो अतीत ने बो दिए।
जैसे ही ढांचे टूटते हैं,
सच्चाई खुल जाती है —
नदी की तरह बहता जीवन,
निर्मल, सहज, सरल।
- Agyat Agyani