भीतर जो बोझ है, वही कांटा है,
बाहर की राह तो सीधी सपाट पड़ी है।
अतीत ने खड़ा किया भ्रम का नगर,
जहाँ हर दीवार पर झूठ की ईंट जड़ी है।
सच्चाई को पाने का उपाय नहीं,
सिर्फ गिराना है मंगढ़ंत ढांचे।
जब ढहेंगे ये नकली पहाड़,
तो दिखेगा —
जीवन कभी कठिन था ही नहीं,
कठिन थे बस हमारे बनाए नक्शे।
कबीर
“खोदा पहाड़ निकला चूहा,
हाथी निकल गया।”
- Agyat Agyani