🌸“क्यों ना शुक्र मनावा...” — बाबा बुल्ले शाह की सीख
कई लोग सिर पर छांव ढूंढते हैं,
और कोई नंगे पांव होकर भी खुदा का शुक्र अदा करता है।
“कई पैरा तो नंगे फिर दे सिर दे लबद छावा,
मेनु दाता सब कुछ दित्ता, क्यों ना शुक्र मनावा।”
हर कमी में भी नेमत छिपी है,
हर दर्द में भी दुआ छिपी है।
जिसे कदर आ गई — वो खुदा से करीब हो गया। 💫
- Nensi Vithalani