kavyotsav2 Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

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kavyotsav2 bites

नारी की भूख✍️💞 #kavyotsav2

रंग-बिरंगे सपनें मेरे☺️☺️❤️ #kavyotsav2

जिंदगी का आखिरी सफर.....
#Kavyotsav2

इक रूह मेरे बिछौने पर बैठी।
बड़ी ही हसरत निगाहों से मुझे ताकती है,
मेरे सोते हुए बदन में शायद ,वो मेरी रूह को झांकती है।
देर रात मेरे साथ छावनी डाले बैठी रहती है,
सूरज के उफ़ुक़ के ऊपर आने से पहले,
कहीं अलविदा हो लेती है।
वो रातों में दबे पाओं आती है,
और फिर पूरे दिन कहीं गुमशुदा रहती है।
इक रात तारों के संग कुछ गुफ्तगू हो रही थी,
वो तमाम में थे,और मेरी बातें भी थी कईं।
मै उनको हसाता था, वो मुझको हसातें थे,
मैं उनको कुछ रंज सुनाता था, वो संग मुझको भी रुलाते थे।
बड़े ही सहल व्यहवार के थे ,
वो तारे जो तमाम पार थे।
तभी उनमें से एक कोई बताता है,
की हर रात उनके झुण्ड का एक तारा मेरे कमरे में,
मुझे देखने आता है।
मुझे सुकून से सोता देख एक राहत की सांस लेता है,
और मेरे जागने से पहले वापस आ जाता है।
मै रोज सोचता था की तुम मुझे छोड़ कर कयौं चले गए,
पर तुम भी मेरे बगैर, यूं अकेले रह न सके ।

#hindipoem #fiction #romance #poetry #poem #Kavyotsav2

खुदा बुलाओ,रब बुलाऊँ या बुलाऊँ भगवान,
मुझे तो पसंद है तेरे सभी यह नाम ।
मंदिर जाऊँ,मस्जिद जाऊँ या जाऊँ गुरुद्वारा,
तू तो बसा है दुनिया के हर एक धाम।
मंदिर में भजन गाऊँ या मस्जिद में चादर चढ़ाऊं,
स्वर्ण मंदिर में भोग खिलाऊँ या बाइबल का पाठ लगाऊँ।
समझ नहीं आता और कितना बटूँ मैं
पहले धर्म फिर जात-पात
देश विभाजन फिर काट-छांट
रंग-देश,जाती-वेश
काला-गोरा,स्वदेश-प्रदेश
हे ईश्वर,हे खुदा,हे सुन मेरे नाथ,
क्यों नहीं गा सकते हम सभी सुर एक साथ?
#kavyotsav2 #god

#Kavyotsav2

सखी साजन तेरे

हे सखी, हैं साजन तेरे
मेरे तो अरदास
तन मन में तेरे बसते हैं
मेरी पीर में उनका वास
पायल बिंदिया कंगन झुमके
सजे हैं तेरे रूप
मेरे नयनों से झरे हैं
बस बनके मोती रूप
तू उनके मन को भायी है
उनके जीवन को रस कर
मेरी कुटिया धूप छाँव है
सबकी पहुँच से दूर गाँव है
मुझको न तो आस कोई
ना मन में है बात कोई
मै सो जाती रोज़ सखी
अपनी यादों को बिस्तर कर
हे सखी तू प्रेम मूर्ति
बन उनके जीवन की पूर्ति
तू उनकी आलिंगन है
तू ही उनकी साजन भी
मेरा स्नेह तो गंगाजल है
बरबस निश्छल और कोमल है
उनके हृदय में रहे तू पल पल
मन मंदिर की आभा तू
तेरा मेरा कोई द्वेष नहीं है
मन मे कोई उद्देश्य नहीं है
उनका आज तू सुंदर कर दे
कल मे तू भर दे उल्लास
मैं तो हूँ बस "कीर्ति"
जो कल बन जाऊंगी इतिहास
हे सखी, हैं साजन तेरे
मेरे तो अरदास..

कीर्ति प्रकाश

#Kavyotsav2

नया फलसफ़ा

ज़िंदगी जीने का नया फलसफ़ा तैयार करो
कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी बात करो
वक़्त फिसलते रेत की मानिंद गुज़री जा रही
कुछ मुमकिन लम्हें समेटो कुछ को साथ करो
आंधियां बिखेर दे सब कुछ इससे पहले ही
रिश्तों की कुछ मिट्टी लो नए पौधे तैयार करो
कटु वाणी को अब करो विदा तुम
आओ
मिल मधुर वचन अमृत तैयार करो
आओ!
ज़िंदगी जीने का नया फलसफ़ा तैयार करो
कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी बात करो.

कीर्ति प्रकाश