मेरा एक प्रिय मित्र हैं , जो बहुत अच्छा लिखता है—दिल से, सच्चाई से। पर उसने लिखना छोड़ दिया। वजह सिर्फ़ इतनी थी कि उसे वो प्रतिक्रिया नहीं मिली जिसकी उसे उम्मीद थी। कुछ ने कुछ कहा ही नहीं, और जो बोले, उनमें कड़वाहट थी। शायद उसने सोचा कि उसके शब्द बेअसर हैं, कि उसकी आवाज़ कहीं नहीं पहुँच रही। पर सच्चाई यह है कि उसकी आवाज़ बहुत कीमती है—जैसे हर सच्चे लेखक की होती है।
मैं लेखकों से कहना चाहता हूँ: प्रतिक्रिया से डरो मत। हर टिप्पणी, चाहे वह तारीफ़ हो या आलोचना, तुम्हारे भीतर एक नई समझ जगा सकती है।