"जिसने बदला लिया, वो शहीद नहीं—भारत की शान बन गया।"
वो सिर्फ एक आँसू नहीं भूला था,
हर जख्म की गवाही लिए चला था।
जिसने माँ की ममता छीनी थी,
उस दरिंदे से सीना तानकर मिला था।
ना डर था, ना कोई पछतावा,
बस दिल में था जलता हुआ एक ही दावा।
"मैं लौटूंगा… पर दुश्मन के खून से सना होगा बदन मेरा,"
उसने वादा निभाया… और तिरंगे में लिपटा घर आया।
बदला सिर्फ गोली से नहीं लिया उसने,
देश की हर माँ की आँखों में सुकून लिखा उसने।
शहीद हुआ, पर अमर हो गया,
वो बदला नहीं, इतिहास बन गया।