युद्ध और बुद्ध....!
युद्ध हुए तो बुद्ध हुए
तीर तलवार सब बंद हुए...!
देख लाशों के ढेरों को
जब अशोक महान क्षुब्ध हुए...!
एक लहर उठी फिर शांति की
बुद्धम शरणम् के उद्घोष हुए...!
ना युद्ध न तीर तलवार रही
वीरों ने तब हथियार त्याग दिए...!
टिक न सकी ये शांति
बाहरी आक्रमणों के जब आघात हुए...!
वीर विहिन धरा भारत की
धीरे धीरे फिर सब गुलाम हुए...!
वीरों को फिर भान हुआ
युद्ध बिन शांति कहाँ
लेकर फिर से हथियार तैयार हुए....!
दुष्टों को मार भगाया भारत भूमि से
चंद्रगुप्त मौर्य जैसे राजा महान हुए...!
शांति स्थिरता तभी कायम रहती है
जब जब ताकत से स्वाभिमान कायम हुए...!
बुद्ध भी जरूरी युद्ध भी जरूरी
बिन ज्ञान बिन शौर्य के मिट्टी बहुत अभिमान हुए...!
मानसिंह सुथार ©️®️