दीन उगते ही शुरु होता है
फ़रियादों का शीलशीला
शीकवा तो एक बहाना है
तुम्हें याद करनेका एक तरीक़ा है
तुम्हें याद कीये बीन चैन कहाँ ?
तुम्हें परेशान करनेका नया बहाना तो है
वरना तुम्हें फ़ुरसत कहाँ
हमारी ओर नज़रें👀!!! उठाना “कान्हा “!
बस पलकें झुकाए मन ही मन
मुस्कुराते रहते हो .