*तेरे जुनून में बेहाल*
चाहत में तेरे यूँ उलझे हैं,
ख़ुशबू से हम फैले हैं।
धड़कन को समझने को बेताब हम,
कोई वजह पूछे,
तेरे एहसास में खोए हम।
सड़कें सुनी,बाँहें थामी
मेरे महबूब —
फ़िक्र की रात,
तेरे बग़ैर हम बेजान।
यूँ फिर कोई मिला नहीं,
क्या हद थी उस मोड़ की,
गुज़रे, पर ठहरे नहीं —
लो,
तेरे जुनून से बेहाल।
_Mohiniwrites