कविता शीर्षक: "तेरा नाम लिखा है साँसों में"
✍️ लेखक: अभय पंडित
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तेरा नाम लिखा है साँसों में,
हर लम्हा तुझसे एक रिश्ता सा है।
ना कोई दस्तख़त चाहिए इश्क़ का,
ये तो रूह का लिखा क़िस्सा सा है।
लबों पे जब भी तेरा ज़िक्र आया,
दिल ने सज्दों की सदा दी है।
तेरे बिना ये ज़िंदगी अधूरी सी,
जैसे बिन बारिश के बदली सी।
तेरी हँसी में फ़साना बसता है,
तेरी ख़ामोशी में भी शेर लिखे हैं।
हर एहसास तुझसे होकर गुज़रा,
हमने इश्क़ तुझसे इस तरह जिए हैं।
तेरा नाम है मेरे अशआरों में,
तेरा ज़िक्र मेरी ग़ज़ल बना है।
हर हरफ़ में तेरा ही अक्स है,
तू ही मेरी मोहब्बत की असल बना है।
कभी तुमसे मिलकर वक़्त रुक सा जाए,
कभी तेरी जुदाई में सदियाँ बीतें।
इश्क़ को देखा है मैंने तेरी आँखों में,
जैसे क़ुदरत भी तुझसे रश्क़ करे।
ना कोई शिकायत, ना कोई गिला,
बस तुझसे जुड़ी हर बात मुक़द्दस है।
तेरा नाम जब लिया दिल ने,
तो महसूस हुआ — ये इबादत है।