मोहब्बत हैं तुम से
मेरे दिल में तुम बस्ती हो
हम कैसे बसा ले किसी ओर को
जब तुम मेरी साँसो में बस्ती हो..
टूट कर हम नहीं बनते, बिखर जाते हैं हर तरफ
हम हैं एक दर्पण, हमारा तस्वीर नहीं बनता
साँसो का चलना
मन से रुक जाना
जिंदगी का प्रमाण नहीं हैं..
मोहब्बत हैं तुम से
मेरे दिल में तुम बस्ती हो
पवन का चलना
दिया का मुझ जने से
मृत्यु का संकेत नहीं होता।