दिल ❤️😊
कसूर न सिर्फ दिल का है
बस इसे बदनाम किया है
कहते है सब दिल तू उसे भूल जा
उसे याद तो दिमाग करता है
दिल तो बस उसके आने पर धड़कता है
रोती तो आँखें भी है उसके लिए
कसूर न सिर्फ अकेले दिल का है इस दर्द मै
पूरी तरह से हाथ मेरे हर अंग का है
सुनने का आवाज उसकी तरसते कान है मेरे
क्यों फिर सिर्फ बदनाम है दिल
इन होठों के हर लब्ज़ पे है उसका ही जिक्र
फिर क्यों सिर्फ दिल उसके नाम है
छूने को उसको बढ़ते हाथ है मेरे
फिर कैसे बेताब दिल है
राहों पे उसकी चलते ये कदम है मेरे
कैसे फिर रहा बुनता दिल है
उसकी चाहत की साजिश मै हर अंग हैं मेरा
फिर क्यों ये अकेला दिल ही बदनाम है मेरा