तेरे पास वक़्त नहीं, ये बहाना बहुत सुना,
असल में तो अब तुझे मेरी परवाह ही नहीं रही।
इग्नोर करना भी एक कला है,
तू हर रोज़ मुझे उसी में माहिर लगता है।
नज़रों से गिरा दिया, लफ़्ज़ों से मिटा दिया,
जिसे सबसे अपना माना, उसने ही पराया बना दिया।
अब कोई शिकवा नहीं तेरे इग्नोर करने का,
जिससे मोहब्बत हो, उसी से दर्द भी वफ़ा बन जाता है।
तेरे इग्नोर करने का अब कोई ग़म नहीं,
हमने भी अब दिल से तेरा नाम कम किया है।
जो कभी दिल की धड़कन हुआ करता था,
अब उसे याद करना भी हराम किया है।
ना कोई जवाब, ना कोई सवाल रखा,
उसने तो बस मुझे बेमतलब सा हाल रखा।
इग्नोर करके जो सुकून मिला है तुझे,
वही अब हमें तन्हा रातों का जाल लगा।
kajal Thakur 😊