Hindi Quote in Poem by Deepak Bundela Arymoulik

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झूठ की सुबह और झूठ की रात

सुबह होते ही झूठ का ताज पहन जाते हैं,
और शाम ढले फिर सच को दफनाते हैं।
ये लोग आईनों से नज़र नहीं मिलाते अब,
जो झूठ बोलते हैं, वही भाषण सुनाते हैं।

हर सियासत में सच की क़ीमत घटा दी गई,
हर अदालत में झूठ की मोहर लगा दी गई।
अब सच कहो तो कहते हैं "तेरा इरादा क्या है?"
झूठ बोलो तो "जनता की आवाज़" बता दी गई।

हर मज़हब, हर किताब अब बयान झूठ के हैं,
मंच सजते हैं जहाँ मेहरबान झूठ के हैं।
जो सच लिख दे तो कलम जलती है आग बनकर,
और पुरस्कार उठाते हैं मेहरमान झूठ के हैं।

दिन में मंदिर, रात में सौदेबाज़ी करते हैं,
ये चेहरे मुस्कराहट से सियासत करते हैं।
हमने पूछा-“सच का अंजाम क्या होगा भला?”
वो बोले-“सच तो मर जाएगा, मगर हम ज़िंदा रहते हैं।”

अब झूठ ही सुबह है, झूठ ही रात है,
हर सांस में साजिश, हर बात में बात है।
जो सच की बात करे, उसको पागल कह दो,
क्योंकि इस दौर में झूठ ही हक़ीक़त की बात है।

आर्यमौलिक

Hindi Poem by Deepak Bundela Arymoulik : 112004142
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