उज्जैन एक्सप्रेस

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"कभी-कभी ज़िंदगी से भागने वाले, सबसे ज़्यादा ज़िंदा महसूस करने वाले होते हैं..." यह उपन्यास एक प्रेम कथा नहीं है, न ही कोई रहस्यपूर्ण थ्रिलर। यह उन साँसों की कहानी है, जो लगातार टूटीं, थकीं, घिसीं — और फिर भी किसी एक रात, एक आखिरी कोशिश में किसी अनदेखे प्रकाश की ओर मुड़ गईं। ‘उज्जैन एक्सप्रेस’ सिर्फ एक ट्रेन का नाम नहीं है। यह प्रतीक है उस मोड़ का जहाँ जीवन और मृत्यु की रेलगाड़ियाँ आमने-सामने आती है । हर अध्याय एक नए युवक की पीड़ा है — पढ़ाई का दबाव, प्रेम की असफलता, कर्ज़ की चट्टान, नशे की दलदल, या परिवार की उम्मीदों का बोझ। और अध्याय में एक लड़की आती है — अचानक, रहस्यमयी, लेकिन सजीव — जो उस युवक को जीवन का कोई और पहलू दिखाने की कोशिश करती है। यह उपन्यास सिर्फ ‘आत्महत्या’ के बारे में भी नहीं है। यह उन अनकहे दर्दों की गूँज है, जो हमारे आसपास के चेहरों में रोज़ छिपी होती हैं। यह बताता है कि हर मुस्कुराता इंसान ठीक नहीं होता, और हर समझाया गया दिल बच नहीं पाता। क्योंकि सच यह है — समझाना आसान है, पर समझ पाना दुर्लभ। और कभी-कभी, मौत ज़िंदगी से ज़्यादा आसान लगने लगती है। इस उपन्यास को पढ़ते हुए, शायद आप किसी को याद करें — कोई दोस्त, कोई भाई, कोई प्रेमिका... या शायद खुद को। अगर इस कहानी से एक भी साँस कुछ पल और रुक जाए, तो शायद ये उपन्यास अपनी भूमिका निभा चुका होगा।

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उज्जैन एक्सप्रेस - 1

विषय सूची प्राक्कथन अध्याय 1 : रमन - पढाई या दबाव अध्याय 2 : सुजल - और पतन अध्याय 3 : अमृत - कर्ज या फ़र्ज अध्याय 4 : सौरभ- नशे में डूबती युवा आत्मा अध्याय 5 : सुनील - उम्मीदों का बोझ अंतिम पड़ाव लेखक के बारे में प्राक्कथन "कभी-कभी ज़िंदगी ...Read More