अंधेरे की अंजली

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हवा बहती थी और ब्रिटिश साम्राज्य की छाया गहराती जा रही थी। उन्हीं गलियों के एक कोने में जन्मी थी अंजलि शास्त्री – एक नेत्रहीन बच्ची। आँखों से दुनिया कभी देखी नहीं, लेकिन उसकी आत्मा में जैसे रोशनी का समंदर बहता था। अंजलि के जन्म पर बहुतों ने अफसोस जताया। "बेचारी अंधी पैदा हुई है। जिंदगी तो अंधेरे में ही कटेगी।" लेकिन उसकी माँ, दुर्गा शास्त्री, ने कभी हार नहीं मानी। वह खुद थोड़ी बहुत पढ़ी-लिखी थी और आज़ादी की बातों से जुड़ी हुई थी। वह रोज रात को अंजलि को अपनी गोद में लेकर गीत सुनाया करती थी— "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..."

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अंधेरे की अंजली - भाग 1

हवा बहती थी और ब्रिटिश साम्राज्य की छाया गहराती जा रही थी। उन्हीं गलियों के एक कोने में जन्मी अंजलि शास्त्री – एक नेत्रहीन बच्ची। आँखों से दुनिया कभी देखी नहीं, लेकिन उसकी आत्मा में जैसे रोशनी का समंदर बहता था।अंजलि के जन्म पर बहुतों ने अफसोस जताया। "बेचारी अंधी पैदा हुई है। जिंदगी तो अंधेरे में ही कटेगी।" लेकिन उसकी माँ, दुर्गा शास्त्री, ने कभी हार नहीं मानी। वह खुद थोड़ी बहुत पढ़ी-लिखी थी और आज़ादी की बातों से जुड़ी हुई थी। वह रोज रात को अंजलि को अपनी गोद में लेकर गीत सुनाया करती थी—"सरफ़रोशी की तमन्ना ...Read More