रात का समय था। एक बूढ़ा आदमी अपने पुराने से घर में अकेला बैठा था। सामने टीवी पर तेज़ आवाज़ में समाचार चल रहा था। “आज शहर के सबसे बड़े बैंक में हुई 5 करोड़ की चोरी से हड़कंप मच गया है। पुलिस को चोरों का कोई सुराग नहीं मिला है।” बूढ़ा आदमी चुपचाप टीवी को घूरता रहा। उसकी आंखों में डर भी था और जिज्ञासा भी। --- कुछ घंटे पहले एक पुरानी वैन तेज़ी से सुनसान सड़क पर भागी जा रही थी। उसमें छह लोग बैठे थे — पाँच युवा और एक ड्राइवर। माहौल भारी था, पर कुछ चेहरों पर मुस्कान भी थी। "हम कहाँ जा रहे हैं?" 27 साल की रोज़ ने पूछा। वो सहमी हुई थी, लेकिन आवाज़ में हिम्मत थी।
लाल बैग - 1
एक बैंक डकैती। पाँच नौजवान। एक लड़की जिसे मजबूरी में साथ लाया गया। ₹5 करोड़ का लालच... और एक सुनसान का मकान, जहां कोई नहीं रहता — सिवाय एक बूढ़े चौकीदार और उसके अजीब से कुत्ते के। जैसे-जैसे ये छह लोग उस मकान में रहते हैं, एक अजीब बीमारी उनमें फैलने लगती है। सबसे पहले खुजली… फिर पागलपन… और फिर एक ऐसा उन्माद जो उन्हें एक-दूसरे का खून करने पर मजबूर कर देता है। राज, जिसे शुरुआत में सिर्फ खुजली हो रही थी, अब धीरे-धीरे अपने होश खो रहा है। रॉमी, उसकी बहन, जिसे डकैती में जबरन घसीटा गया, अब सबकी न ...Read More
लाल बैग - 2
Chapter 2: रहस्य की पहली दस्तकघर की छत पर चांदनी उतर चुकी थी, लेकिन हवाओं में एक अजीब सिहरन सब लोग थक चुके थे। एक लंबी भागदौड़ और डर के बाद अब वे सब राज के कमरे में बैठे थे। सिर्फ रोमि को छोड़कर।कमरे के बीचों-बीच रखा लाल बैग, अब भी उतना ही चमकदार दिख रहा था, लेकिन उसका वज़न सिर्फ पैसों का नहीं था — उसमें अब कोई अनदेखा मौत भी बंद थी।राज दीवार से टिककर बैठा था, उसकी आंखें लाल थीं और वो बार-बार अपने हाथ-पैर खुजा रहा था।"राज, तुम ठीक हो?" रोज़ ने झुककर पूछा।"तुम नहा ...Read More