Chapter 17:
कमरे में घना सन्नाटा है। बाहर बादल गरज रहे हैं, और एक हल्की-सी बूँदाबाँदी खिड़की के शीशों पर दस्तक दे रही है। कमरे की एक कोने में काला बैग रखा है — वही बैग जिसने कई जिंदगियों की दिशा बदल दी।
आरव की आँखें गुस्से से जल रही हैं। वो धीरे-धीरे रोमी की ओर बढ़ता है, उसकी साँसें भारी हैं।
आरव (काँपती आवाज में, पर गुस्से से भरपूर):
"तुमने… तुमने ऐसा क्यों किया, रोमी?
मैंने सब किया… सब… जैसा तुमने कहा था।
पर तुमने मेरे साथ… गद्दारी की।
तुमने मेरा विश्वास तोड़ा…
मैंने तुम पर यकीन किया था।"
रोमी (आँखों में आँसू, पर आवाज में काँपता हुआ संकल्प):
"विश्वास? तुम मुझसे विश्वास की बात कर रहे हो, आरव?
क्या तुम्हें लगता है मुझे कुछ नहीं पता?
ये ज़हर जो तुमने इस बैग में लगाया था…
यही ज़हर तुमने अपनी पत्नी को भी दिया था…
वो भी धीरे-धीरे तड़प कर मरी थी, ना?"
आरव की आँखें एक पल को झपकती हैं। उसका चेहरा सख्त हो जाता है।
रोमी (आगे बढ़ती है):
"और सिर्फ इतना ही नहीं…
अपने ही बैंक में चोरी करवाई…
हमारी डील तोड़ी…
और उस पुराने आदमी से कहा कि मुझे मार दे।
उसे भेजा था मेरे खून के लिए, है ना?"
आरव (अब उसकी आवाज में घबराहट छिप नहीं रही):
"..."
रोमी (धीरे और ठहर कर):
"तुम्हें ज़िंदा छोड़ती…
तो तुम हमें नहीं छोड़ते।
इसलिए… मैंने बैग बदल दिया।
अब तुम भी अपनी पत्नी का दर्द महसूस करोगे, आरव।
धीरे-धीरे… मरते हुए।"
कुछ क्षण के लिए खामोशी छा जाती है। सिर्फ बारिश की बूंदों की आवाज़।
आरव (हँसते हुए, पर अब उसकी हँसी में खौफ है):
"ठीक कहा तुमने…
मैं तुम्हें ज़िंदा नहीं छोड़ने वाला था।
पर अब… जो तुमने किया है…
उसका बदला मैं ज़रूर लूँगा!"
वो अचानक रोमी की ओर झपटता है। रोमी डरती नहीं — वो भी लपकती है। दोनों के बीच ज़बरदस्त संघर्ष शुरू हो जाता है। हाथों में बंदूक है, पर रोमी की उंगलियाँ काँप रही हैं। बंदूक छूट जाती है… और घूमती हुई जाकर जॉय के पैरों के पास गिरती है।
जॉय झट से झुककर बंदूक उठा लेता है।
जॉय (चीखकर):
"रुक जाओ!
कोई एक भी कदम आगे बढ़ाया, तो गोली मार दूँगा!"
आरव और रोमी वहीं ठिठक जाते हैं। दोनों की साँसें तेज़ चल रही हैं। पलभर को कमरा एक युद्धभूमि-सा लगने लगता है।
आरव (धीमी पर कुटिल आवाज़ में):
"जॉय… वो बंदूक मुझे दे दो।
मैं तुम्हें बचा लूँगा।
वरना ये लड़की हम दोनों को मार देगी…"
रोमी (बेहद भावुक होकर):
"नहीं…
जॉय… ये बंदूक उसे मत देना।
मुझे दे दो।
मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगी…
मैंने सिर्फ सच का साथ दिया है… बस।
मुझ पर विश्वास करो।"
जॉय (घबराया, बंदूक काँप रही है उसके हाथ में):
"नहीं…
मैं किसी को नहीं दूँगा।
दूर रहो मुझसे…"
आरव (झूठी मासूमियत से):
"जॉय… इस लड़की ने सबको मारा है।
अपने भाई तक को नहीं छोड़ा…
देखा ना उसके हालात क्या कर दिए?
वो पागल हो चुकी है।
हमें भी मार देगी।
हम यहाँ से भाग सकते हैं…
अगर चाहो तो… सारा पैसा भी तुम्हारा…"
रोमी (आँखों में आँसू भरकर):
"सच सुनो, जॉय।
तुम्हारी जान कोई सौदे की चीज़ नहीं है।
वो सिर्फ इस्तेमाल करेगा तुम्हें।
उसे रोकना होगा…
अभी… यहीं।"
जॉय की आँखें डोल रही हैं… वो एक ओर आरव को देखता है, दूसरी ओर रोमी को। उसके कानों में दोनों की आवाज़ें गूंज रही हैं। बाहर तूफान अब ज़ोर पकड़ रहा है। बिजली चमकती है।
अब फैसला उसका है।
बंदूक उसके हाथ में है…
पर निशाना किस पर लगेगा?
Chapter 18:
जंगल में हलकी धूप छन-छन कर ज़मीन पर गिर रही थी, जैसे कुदरत खुद भी इस कहानी का अंत देखना चाहती हो।
एक वीरान मकान के अंदर, Joy अब भी ज़ख़्मी हालत में खड़ा था। उसके हाथों में बंदूक थी। कमरे में Romi और Aarav आमने-सामने थे — पर अब बात सिर्फ़ बदले की नहीं थी… अब बात विश्वास और प्यार की थी।
Aarav (ज़हर घुले शब्दों में):
"Raj बिल्कुल सही था Romi…
जो कुछ भी उसने तुम्हारे साथ किया, तुम उसी लायक थीं।"
Romi की आँखों में एक चमक उभरी — नफरत की नहीं, बल्कि जवाब देने की।
Romi (संयम से):
"तुम मेरे लायक क्या हो… ये तुम नहीं बता सकते।
लेकिन तुम किस लायक हो… वो मैं ज़रूर दिखाऊंगी।"
Joy (काँपती आवाज़ में):
"बस करो… शांत हो जाओ तुम दोनों।"
Romi (मुलायम लहजे में):
"Joy… तुम्हारा बहुत खून बह चुका है।
अगर यूँ ही खड़े रहे, तो मर जाओगे।
बंदूक मुझे दे दो।
मैं तुम्हें बचाने का वादा करती हूँ।"
Aarav (चीखते हुए):
"इस पर भरोसा मत करना, Joy!
इसी ने मुझसे भी वादा किया था… फिर मुझे धोखा दिया!
बंदूक मुझे दो… इसे नहीं!"
Romi (टूटती आवाज़ में):
"मैं वैसी नहीं हूँ Joy…
तुम मुझसे प्यार करते हो ना?
तो मुझ पर यकीन करो।"
Joy (संदेह से भरी नजरें):
"कैसे यकीन करूँ?
तुमने बहुत कुछ छुपाया…
सबको मारा…"
Romi एक पल को चुप हुई… फिर उसकी आवाज़ में गहराई आ गई।
Romi (धीरे से):
"Sirf main ही नहीं हूँ जो ये सब कर रही हूँ।
तुमने भी अपने अतीत से कुछ छुपाया है Joy…
तुमने कहा था तुम्हारे अंकल की मौत हो गई थी…
पर कैसे?"
कमरे की हवा जैसे रुक गई। Aarav और Joy दोनों Romi को देखते रह गए।
Romi:
"तुमने ही मारा था ना उन्हें?"
Joy की आँखों में आँसू थे — होंठ काँप रहे थे।
Joy (धीरे से):
"नहीं… ये सच नहीं है…"
Romi (आगे बढ़ते हुए):
"मैं जानती हूँ तुमने वो सब क्यों किया।
तुमने अपनों को बचाने के लिए किया था…
जैसे मैं कर रही हूँ।
हम अलग नहीं हैं Joy।
हम एक जैसे हैं।"
Aarav को ये भावनात्मक पल बर्दाश्त नहीं हुआ — उसने ज़मीन से कुदाल (kodadi) उठा ली और Romi पर पीछे से हमला कर दिया।
Joy (चिल्लाते हुए):
"बचो Romi!!"
Joy ने बंदूक Aarav के पैर पर दाग दी।
Aarav ज़ोर से चीखा और ज़मीन पर गिर पड़ा।
Romi ने घबराकर पीछे देखा। उसके चेहरे पर झटका था।
Romi:
"तुमने… मुझे बचाया?"
Joy:
"हाँ…
मैंने देखा है तुम्हें —
तुमने किसी को नहीं मारा।
कितने मौके थे तुम्हारे पास…
पर हर बार तुम्हारा हाथ काँप गया।
तुमने सोचा… रुकी…
तुम हत्यारिन नहीं हो Romi।
मैं…
मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"
Joy ने अपनी बंदूक Romi को थमा दी।
Romi के हाथ काँप रहे थे, पर अब उसमें एक दृढ़ता थी।
वो Aarav के पास गई, जो अब ज़मीन पर पड़ा कराह रहा था — उसके पैर से खून बह रहा था।
Aarav (उलझन और गुस्से में):
"मारो Romi!
करो… शॉट!
ख़त्म कर दो सब कुछ।"
Romi (धीरे और ठंडे स्वर में):
"नहीं…
तुम्हें मारना बहुत आसान सज़ा होगी।
तुम्हारे और Raj के पाप इतने हल्के नहीं हैं।
अब तुम वही तड़पोगे…
जैसे तुमने मेरी ज़िंदगी को जलाया था।
जैसे मेरी माँ तड़प कर मरी थी…
जैसे मेरे पापा को Raj ने तड़पाया था…
जैसे तुम्हारी बीवी ने किया था…"
Aarav (डरते हुए):
"क्या… क्या करने जा रही हो?"
Romi:
"इस जंगल को यूँ ही नहीं चुना मैंने।
यहाँ कोई नहीं आता।
तुम दोनों इस ज़हर के असर से…
धीरे-धीरे… मरोगे।"
Romi ने Aarav और Raj दोनों को एक पुराने, टूटे हुए कमरे में बंद कर दिया।
Raj बस नज़रों से सब देख रहा था — उसके पास अब कुछ कहने की हिम्मत नहीं बची थी।
Aarav बुरी तरह चिल्ला रहा था — उसकी चीखें पूरे जंगल में गूंज रहीं थीं।
Romi ने Joy को सहारा दिया — दोनों Aarav की कार में बैठकर निकल पड़े।
Joy (धीरे से):
"तुम…
सच में मुझे बचा रही हो?"
Romi (साफ लहजे में):
"Sirf tum hi हो…
जिसने मुझसे सच्चा प्यार किया।
अब कोई और नहीं बचा जो मुझसे प्यार करता हो।
मैं तुम्हें खो नहीं सकती…"
Joy (गहराई से):
"Romi…
एक बात बताओ —
Raj ने ऐसा क्या किया था…
जिससे तुम ये सब करने पर मजबूर हुईं?"
Romi थोड़ी देर चुप रही। फिर मुस्कराकर कहा:
Romi:
"ये सब…
तुम्हें अब Session 2 में ही पता चलेगा।
और वो Session तभी आएगा…
जब हमारे readers नीचे कमेंट करके बताएँगे कि
उन्हें ये Session 1 कैसा लगा…
और क्या वे अगला भाग पढ़ना चाहते हैं।
जब तक 10 लोग कमेंट नहीं करेंगे…
Session 2 नहीं आएगा।"
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🌑 Session 1 — The End? Or Just The Beginning?
💬 अब आपकी बारी है!
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❤️ क्या Joy और Romi deserve करते हैं एक नई शुरुआत?
👿 या Aarav और Raj को मिलनी चाहिए और भी सज़ा?
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🎬 Session 2 — केवल आपके कमेंट्स पर निर्भर करता है!