सिंहासन

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रहस्यमयी दस्तावेज़ जयपुर की एक पुरानी लाइब्रेरी में, किताबों की धूल भरी अलमारियों के बीच, इतिहास के शोधकर्ता आरव मल्होत्रा को एक फटी-पुरानी डायरी मिली। वह रोज़ाना किसी नए राज की खोज में आता था, लेकिन इस दिन कुछ अलग था। डायरी की जिल्द पर लिखा था – "राजा अजयसिंह देव की निजी डायरी – 1781" आरव का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने उत्सुकता से पहला पन्ना खोला: > "जिसने सिंहासन का रहस्य जान लिया, वह या तो अमर होगा… या अगले सूर्यास्त से पहले मर जाएगा।" – अजयसिंह देव

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सिंहासन - 1

अध्याय 1 – रहस्यमयी दस्तावेज़जयपुर की एक पुरानी लाइब्रेरी में, किताबों की धूल भरी अलमारियों के बीच, इतिहास के आरव मल्होत्रा को एक फटी-पुरानी डायरी मिली। वह रोज़ाना किसी नए राज की खोज में आता था, लेकिन इस दिन कुछ अलग था।डायरी की जिल्द पर लिखा था –"राजा अजयसिंह देव की निजी डायरी – 1781"आरव का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने उत्सुकता से पहला पन्ना खोला:> "जिसने सिंहासन का रहस्य जान लिया, वह या तो अमर होगा… या अगले सूर्यास्त से पहले मर जाएगा।"– अजयसिंह देवआरव रुक गया। यह कोई साधारण ऐतिहासिक दस्तावेज़ नहीं था – यह ...Read More

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सिंहासन - 2

सिंहासन – अध्याय 2: नागों का द्वार(एक शाप, एक खोज, और एक सिंहासन जिसे छूना मौत को न्योता देना देवगढ़ किला – गुप्त सुरंग के अंतिम द्वार के पारसमय: रात – आधी रात के बाद का पहरदरवाज़ा खुला तो एक गहरी सर्द हवा का झोंका आरव के चेहरे से टकराया।उसके कानों में गूंजती आवाज़ अब भी हल्के स्वर में दोहराई जा रही थी –“स्वागत है… जो लौटकर नहीं आते।”आरव ने लालटेन को ऊँचा किया।सामने एक विशाल गुफा थी – दीवारों पर उभरे नागों की मूर्तियाँ, जिनकी आंखों में जड़े पत्थर अंधेरे में चमक रहे थे।हर कदम के साथ, आरव ...Read More