“इस रिश्ते में मैं कभी तुम्हारी पहली पसंद थी ही नहीं… थी न?” पाँच साल पहले जब शहनाज़ की ज़िंदगी जबरन एक अनचाही शादी में बाँध दी गई, तब उसने सोचा था — वक़्त सब कुछ ठीक कर देगा। लेकिन वक़्त के साथ सिर्फ़ उसका सब्र टूटा… प्यार नहीं मिला। आरामदेह घर, सामाजिक इज़्ज़त, सब कुछ था… बस नहीं था तो उसका हक़, उसकी पहचान, और उसके पति का प्यार। वो हर रात उसकी बाहों में थी, लेकिन उसकी आँखों में नहीं।
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अनचाही मोहब्बत - 1
अनचाही मोहब्बत इस कहानी के 2 भाग होंगे!एक छोटी कहानी आपके लिए !प्रोमो! “इस रिश्ते में कभी तुम्हारी पहली पसंद थी ही नहीं… थी न?” पाँच साल पहले जब शहनाज़ की ज़िंदगी जबरन एक अनचाही शादी में बाँध दी गई, तब उसने सोचा था — वक़्त सब कुछ ठीक कर देगा। लेकिन वक़्त के साथ सिर्फ़ उसका सब्र टूटा… प्यार नहीं मिला। आरामदेह घर, सामाजिक इज़्ज़त, सब कुछ था… बस नहीं था तो उसका हक़, उसकी पहचान, और उसके पति का प्यार। वो हर रात उसकी बाहों में थी, लेकिन उसकी ...Read More