सुनहरी गलियों का प्यार

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जयपुर का बस स्टॉप शाम को और भी गुलाबी लगता है। हवा में गुलाब जल की महक है, और सामने की दीवार पर जान्हवी पेंट कर रही है — एक अधूरा मोर जिसकी आँखों में उदासी है। जान्हवी कोई आम कलाकार नहीं, वह लोक-कला की छात्रा है जो दीवारों से बातें करती है। उसकी ब्रश की हर चाल मानो उसके दिल के अंधेरे को थोड़ी रोशनी देती है। उसने उस दीवार को नाम दिया है: “रुकावट की दीवार” — क्योंकि यहीं आकर वो अपने अंदर की रुकी हुई बातें रंगों में बदल देती है। आज उसके ब्रश की गति धीमी थी। कुछ खो गया था या शायद किसी के लौटने की उम्मीद ठहरी थी। तभी... > “ये मोर बहुत कुछ छुपा रहा है।”

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सुनहरी गलियों का प्यार - 1

एपिसोड 1 — दीवारों पर पहली नज़र भाग 1: रंगों की शुरुआतजयपुर का बस स्टॉप शाम को और भी लगता है। हवा में गुलाब जल की महक है, और सामने की दीवार पर जान्हवी पेंट कर रही है — एक अधूरा मोर जिसकी आँखों में उदासी है।जान्हवी कोई आम कलाकार नहीं, वह लोक-कला की छात्रा है जो दीवारों से बातें करती है। उसकी ब्रश की हर चाल मानो उसके दिल के अंधेरे को थोड़ी रोशनी देती है।उसने उस दीवार को नाम दिया है: “रुकावट की दीवार” — क्योंकि यहीं आकर वो अपने अंदर की रुकी हुई बातें रंगों में ...Read More

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सुनहरी गलियों का प्यार - 2

--- एपिसोड 2 — रंगों में उलझी रेखाएँथीम: जब पहली मुलाक़ात के बाद दिल सवाल पूछने लगे, और जवाब दीवारों पर मिलें---🪷 भाग 1: दीवार की दरारेंजान्हवी उस दीवार के सामने खड़ी थी जहाँ उसने विराज से पहली बार बात की थी।वो मोर अब अधूरा नहीं था — लेकिन उसकी आँखें अब भी खाली थीं।उसने ब्रश उठाया, लेकिन हाथ काँप रहे थे।वो सोच रही थी — क्या वो लड़का सिर्फ एक मुस्कान था, या कोई कहानी जो अब मेरी स्केचबुक में उतरने वाली है?तभी रीमा आई — उसकी सबसे करीबी दोस्त।> “तू फिर उसी दीवार के पास?”> “हाँ… शायद ...Read More