अनाथ का दिल - एक प्रेंम कहानी

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“वादल बेटा, आज फिर खिड़की से सूरज को देख रहे हो?”मथुरा के अनाथालय की अधीक्षिका सरला मैडम ने हल्के डपट भरे स्वर में पूछा। उनकी उम्र पचपन के आसपास रही होगी। चेहरे पर कठोरता की रेखाएँ थीं, लेकिन आँखों में किसी छिपे हुए दर्द और ममता की छाप भी झलकती थी।वादल खिड़की के चौखटे पर हाथ टिकाए खड़ा था। सूरज की पहली किरणें गली की धूल को भेदती हुई उसके चेहरे पर पड़ रही थीं। उसने मुस्कुराकर कहा—“मैडम, सूरज मुझे लगता है जैसे कोई कवि है। हर सुबह नई कविता लिखकर हमें सुनाता है। देखिए न, आज की कविता सुनहरी है... कल थोड़ी धुँधली थी।”सरला मैडम ठिठकीं।

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अनाथ का दिल - एक प्रेंम कहानी - भाग 1

अनाथ का दिलअध्याय 1 : प्रेम का जन्मभाग 01 : अनाथालय की सुबह__________________________________________________________“वादल बेटा, आज फिर खिड़की से सूरज देख रहे हो?”मथुरा के अनाथालय की अधीक्षिका सरला मैडम ने हल्के डपट भरे स्वर में पूछा। उनकी उम्र पचपन के आसपास रही होगी। चेहरे पर कठोरता की रेखाएँ थीं, लेकिन आँखों में किसी छिपे हुए दर्द और ममता की छाप भी झलकती थी।वादल खिड़की के चौखटे पर हाथ टिकाए खड़ा था। सूरज की पहली किरणें गली की धूल को भेदती हुई उसके चेहरे पर पड़ रही थीं। उसने मुस्कुराकर कहा—“मैडम, सूरज मुझे लगता है जैसे कोई कवि है। हर सुबह ...Read More