Bhutiya kamra - 3 in Hindi Horror Stories by jayshree Satote books and stories PDF | भूतिया कमरा - 3

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भूतिया कमरा - 3

मै सिडीयो पे भाग ही रही थी की अचानक वो लडका मेरे सामने आ गया...मे जोर से टकरा गई उससे और गीर गई....मे जेसे ही खडी हुई एकदम से मे फ्लेट नंबर 104 के सामने आ चुकी थी....

मे भाग के घर की ओर बढी...घर के बहार पोहोचते ही मे जोर जोर से घर का दरवाजा खटखटाने लगी....माँ ने जेसे ही दरवाजा खोला मे लिपट गई उनसे...

"क्या हुआ तुम्हे....बताओ मुझे क्या हुआ तुम्हे???"...माँ बोले...

"म...माँ वो....म...मे..."...मे माँ को बताने ही जा रही थी की वो लडका मेरे सामने आ गया और मे एकदम से सुन्न पड गई...

मे आते ही चुप-चाप एक कोने मे जाकर बैठ गई....एकदम गुम सुम...जेसे वो लडका दिखा था मुझे उस कमरे मे...चुपचाप सा....मे भी बिलकुल उसी की तरेह गुमसुम हो चुकी थी....

माँ ने पुछा "कहा गई थी तुम ???? बोहोत देर हो गई न आने मे....."

मे कुछ देर चुप ही रही....फीर मै बोली की "मेने एक दोस्त बनाया...वो कल मुझे ले जाऐगा...."

माँ ने कहा..."हा...हा चलो....अब बोहोत मजाक कर लीया चुप-चाप खाने बैठो...पापा को काम है वो कल आऐगे...."

खाना खाकर मे सोने चली गई....मे पेहले से बोहोत डरी हुई थी और बाहार बोहोत तेज बिजली कडक रही थी...डरते डरते कब मेरी आंख लग गई और मै कब सो गई मुझे पता ही नही चला....

सुबे होते ही मुझे...जोर जोर से वही झगडो की और चिखने चिल्ला ने की आवाजे सुनाई देने लगी...मे उठकर देखने लगी तो मेरे बेड पर...मेरे चारो तरफ खुन ही खुन दीखाई दे रहा था...मानो अभी घर मे खुन की बारिस हुई हो...मे बेड से निचे उतरी और भागने लगी होल की तरफ....मेरे पेरो पर...मुझ पर बस खुन ही खुन था...मे भाग ही रही थी की अचानक मे किसीसे टकरा गई....व....वो वही लडका....वो भी खुन से लतपत....

मे अचानक से उसे देखकर चोक गई...मेने उस कहा की क...क्या है ये सब...???

लेकीन वो बस हसता रहा...और उसने अपने खुन से लतपत हाथ आगे बढाऐ और मुझे कुछ दे रहा था...

मेने डरते हुए हाथ आगे बढाऐ और उसने वो चिज मेरे हाथ मे दे दी...जैसे ही उसने वो चिज मेरे हाथ मे दी....मे वही बेहोश हो गई...

मुझे नही पता मै कब तक बेहोश थी....पर जब मै उठी तो मे मेरी माँ के पास थी और माँ ने कहा की..."तुम होल मे बेहोश पडी मिली...और क्या हममम...लगता है रात को खाना ठीक से नही खाया ना तुमने..."..कह कर माँ किचन मे चले गये...

मेने चारो ओर देखा तो सब कुछ ठीक था....पर

पर मेरे हाथो मे कुछ था...जो उस लडकेने दिया था....व...वो एक....लोकीट था....

ये सब क्या था...???क्यो था...???मे कुछ समझ नही पा रही थी...बस मे डर रही थी....

मे लोकीट को देखने लगी...एक हार्ट सेप का लोकीट...मेने ध्यान से देखा तो वह लोकीट बिच मेसे खुल सकता था....और बिच मे मेने देखा तो तीन लोगो की तसवीरे थी....एक साईड देखा तो एक लडके की तसवीर थी और वो....वही लडके की तसवीर थी....पर वही दुसरी ओर एक कपल की तसवीर थी ओर मेने उन्हे कभी देखा नही था...

मे उस लडके से बोहोत डर गई थी....पर कुछ भी हो जाए मुझे जानना था...की उसने मुझे ये लोकीट क्यो दिया...?? आखिर कोन था वो...???

Shhhhhhh....

To be continued.....

By jayshree_Satote