Bhutiya kamra - 4 in Hindi Horror Stories by jayshree Satote books and stories PDF | भूतिया कमरा - 4

Featured Books
  • ओ मेरे हमसफर - 12

    (रिया अपनी बहन प्रिया को उसका प्रेम—कुणाल—देने के लिए त्याग...

  • Chetak: The King's Shadow - 1

    अरावली की पहाड़ियों पर वह सुबह कुछ अलग थी। हलकी गुलाबी धूप ध...

  • त्रिशा... - 8

    "अच्छा????" मैनें उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहा। "हां तो अब ब...

  • Kurbaan Hua - Chapter 42

    खोई हुई संजना और लवली के खयालसंजना के अचानक गायब हो जाने से...

  • श्री गुरु नानक देव जी - 7

    इस यात्रा का पहला पड़ाव उन्होंने सैदपुर, जिसे अब ऐमनाबाद कहा...

Categories
Share

भूतिया कमरा - 4

मे उस लडके से बोहोत डर गई थी....पर कुछ भी हो जाए मुझे जानना था...की उसने मुझे ये लोकीट क्यो दिया...?? आखिर कोन था वो...???क्या वो जानता था मुझे....???आखिर उसे क्या चाहीये था मुझसे...????और उस कमरे मे कुछ....अरे....क्या था....???

ऐसे सारे सवालो के साथ पेहले मे नहा कर फ्रेस हो गई... फिर नास्ता करने बेठी...पर मेरा ध्यान अब भी उस लडके और उसके दिये लोकीट पर था...मे नास्ता कर के अपने बेड रूम मे चली गई....

मेने लोकीट को अपने हाथो मे लिया और मेने सोच लिया की कुछ भी हो जाये मे उस फ्लेट....नंबर 104 मे जरूर जाउंगी....और मे बस निकल गई वहा जाने के लिऐ...

मेरे कदम घर के बाहार ही रुक रहे थे पर मुझे फ्लेट नंबर 104 जाना ही था...बाहार से दिखने मे उस फ्लेट का दरवाजा साधारण सा दिख रहा था पर अंदर क्या है मे देखना चाहती थी....

मेने धीरे धीरे अपने कदम उस फ्लेट के दरवाजे ओर बढाये...मेने हाथ आगे किया और दरवाजा खुल गया...मानो बस वहा मेरी ही राह देखी जा रही हो....मेने सोचा की पेहले झांक के देखलु अंदर है क्या...??मेने जेसे ही हाथ आगे बढाऐ...दरवाजा खोल के मेने अंदर झांका की अचानक धडाक....

धडाक से एक खुन से लतपत पंछी फडफडाता हुआ दरवाजा पार कर गया...मेरी तो जान अटक गई थी...मन को शांत कर डरते हुऐ मेने दरवाजा खोला...मे उस कमरे मे गई तो क्या देखती हु...पुराना सा फ्लेट...मानो कई सालो से बंद ही पडा था....और मानो बस मेरी ही कमी थी न जाने क्यो पर मेरा ही ईनतेझार हो रहा था वहा....

फ्लेट का पुरा सामान तेहेस-नेहेस पडा था...कुछ सामान अपनी जगह पर तो कुछ सामान नीचे टुटा हुआ बिखरा पडा था....या मानो हाथाफाई मे टुट गया हो...मेने अपनी जगह पे खडे खडे सब जगह देख लिया पर वो लडका मुझे नही दिखा....दिखा तो बस टुटा-खुटा सामान....और....

और एक आधा खुला हुआ कमरा....

मे नीचे पडे टुटे-खुटे सामान को पेरो से हटाते हुऐ उ...उस कमरे की ओर बढी....मे कमरे के दरवाजे का लोक पकडकर अंदर जा ही रही थी की अचानक.....

अचानक फ्लेट की सारी लाईट्स चालु-बंद चालु-बंद होने लगी...फडफडाते हुऐ खुन से लतपत बोहोत सारे पंछी झुंन्ड मे मेरे आसपास मंन्डराने लगे...मे बोहोत डर गई...अचानक मुझे मेरे पीछे से कोई भागता हुआ दिखा...मे ऊसे देख चोक गई...मे पंछीयो के कारण कुछ ठीक से देख नही पायी...पर वो बार बार मेरे पीछे भाग रहा था...अचानक एकदम से वो मेरे पीछे आ जाता है और मुझे एक ही झटके मे उसके साथ उस कमरे मे धक्का दे कर गीरा देता है....मे अब उस कमरे मे गीर गई थी...

वो खुन से लतपत पंछीयो का झुंन्ड अब भी मेरे आसपास ही मंन्डरा रहा था....मे डर के कारण उस जगह से उठ ही नही पा रही थी...मै फट्टाक से उठी और वहा से भागने की कोशिश कर रही थी पर मेरे जोर जोर से दरवाजा खोलने और खटखटा ने के बावजुद भी उस कमरे का दरवाजा खुल ही नही रहा था...मानो मै उस कमरे मे फस गई थी....मै वही नीचे सर कर के बेठी गई जीस कमरे मे उसने मुझे धक्का दे कर गीरा दिया था....

मे चीख चीख कर बस यही बोल रही थी...."कोन हो तुम और ये सब क्यो कर रहे हो मेरे साथ....????आखिर कोन हो तुम....???"

मेरे ये सब चिखते-चिल्लाते ही व...वो लोकीट एक बोहोत तेज रोशनी के साथ चमकने लगता है...व...वो लोकीट मेरे हाथ से छुट जाता है और हवा मे उडने लगता है....मेरी नजर जेसे ही हवा मे उडते उस लोकीट पडी की एक तेज रोशनी पुरे कमरे को घेर लेती है और मेरी आंखे....एकदम से आई उस रोशनी को झेल नही पाती और मेरी आंखे बंद हो जाती है...

जब मेने आंखे खोली तो वो कमरा..वो जगह...वो फ्लेट...सब कुछ सजा धजा सा दिखने लखा....सारा सामान नया नया सा दिखने लगा मानो कुछ ही समय पेहले ही खरीदा हो...मेरे आसपास के व...वो पंछी अब नही थे ....पर मेरे ठीक सामने मुझे एक पीजंरा दिखा जसमे एक....

एक कबुतर था...

मे चीख चीख कर कहेने लगी...."ये मे कहा आ गई....क्या है ये सब....कोई बताऐगा मुझे...????"

और अचानक एक आवाज आती है...."तुम...नही जा सकती अब....मेने कहा था तुमसे की मै कल लेने आऊँगा तुम्हे...लो....आ गया.....Shhhhhh....तुम्हे ले आया मे उस दिन मे....अब उस दिन को तुम भी मेहसुस करोगी...जिस दिन मे मरा था...."

Shhhhhh.....

To be continued.....

By jayshree_Satote