Bandhan pyar ka - 24 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 24

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बन्धन प्यार का - 24

और उस दिन तो नगमा चली गयी थी।लेकिन जफर और नगमा निकाह का मन बना चुके थे।सलमा ने यह बात अपने फोन करके अब्बू को बताई थी।अब्बू बोले,"तुम ही समझा सकती हो।अगर मान जाए तो
लेकिन जफर कहा मानने वाला था।और सलमा के लाख प्रयास के बावजूद जफर ने नगमा से निकाह कर ही ली थी।
नगमा ने निकाह से पहले कहा था,वह उसकी छोटी बहन बनकर रहेगी।लेकिन ऐसा नही हुआ।नगमा ने सलमा की जगह हथिया ली और सलमा नौकर बनकर रह गयी।वे दोनों नौकरी करते थे।इसलिएए सुबह और देर श शाम को लॉटकर आते।स्लमआ सुबह डॉनओ के लिये चय नष्टआ तैआर करती।उनके कह कह कहआने के टफइन तैआर करती।
उन दोनों के जाने के बाद वह बेटी को सम्हालती और घर के काम निपटाती।वे दोनों शाम को लौटते
घर आते ही वे दोनों अपने कमरे में घुस जाते।अंदर जाते ही चाय का आर्डर दे देते।उनका खाना पीना सब उसी कमरे में होता।सलमा उनकी सेवा में लगी रहती।वह नौकरानी बनकर रह गयी थी।
और ऐसे ही दिन गुजरते रहे।एक दिन न जाने किस बात पर सलमा का शौहर से झगड़ा हो गयाऔर झगड़ा इतना बढ़ा की गुस्से में जफर बोला
तलाक
तुम मुझे तलाक नही दे सकते
लेकिन जफर ने तीन बार तलाक बोल दिया और सलमा को बेटी के साथ घर से बाहर निकाल दिया था।
सलमा काफी देर तक दरवाजा खटखटाती रही लेकि न दरवाजा नही खुला।तब वह हार कर बैठ गयी।रात भर वह छोटी सी बेटी के साथ बाहर पड़ी रही।अंदर से हसने की आवाजें आती रही।
सुबह दरवाजा जब खुला था जब दोनों काम पर जा द के लिए तैयार हुए।सलमा जफर के पास जा पहुंची
अरे तुम गयी नही",उसे देखते ही जफर बोला
"कहा जाऊं?सलमा माफी मांगते हुए बोली,"मुझे माफ़ कर दो।मुझे घर मे ही रहने दो
"तुम कैसे रह सकती हो।मैं रात को ही तुम्हे तलाक दे चुका हूँ।हमारा धर्म तलाक शुदा के साथ रहने की इजाजत नही देता
वो तो तुंमने गुस्से में बोल दिया था
"चाहे जैसे भी बोला हो।लेकिन बोला तो है।तलाक तो दिया है
"वो किसने देखा।किसने सुना।हम दोनों के बीच की ही बात है
"सुना क्यो नही
"किसने सुना है
"नगमा तुंमने सुना है न।रात को मैने सलमा को तलाक दिया था
"यस डार्लिंग
"तुम कह रही थी किसी ने नही सुना।अरे रात को नगमा भी थी।जब मैने तुम्हे तलाक दिया था।
"नगमा कोई पराई थोड़ी है।मेरी कनीज है।छोटी बहन है।मैं औऱ नगमा कोई अलग नही है।"सलमा ने नगमा को गले लागते हुए कहा था।
"यह बात तुम्हे पहले सोचनी चाहिए थी।अब तो मैं तुम्हे तलाक दे चुका हूँ"
"मैं कहा जाउंगी छोटी सी बच्ची को लेकर।मुझे माफ़ कर दो।मुझे अपने घर और जिंदगी से मत निकालो।"
"तुम ज्यादा कह रही हो तो मैं तुम्हें अपनी बीबी बनाने के लिए तैयार हूँ।लेकिन तुम्हे मेरे से दुबारा निकाह करना पड़ेगा
"मैं तैयार हूँ"जफर की बात सुनकर सलमा बोली थी
"तो तुम्हे हमारे मजहब के बारे में तो मालूम है
",क्या
"पहले तुम्हे हलाला कराना पड़ेगा।तुम हलाला करा लो।फिर मैं तुम से निकाह कर लूंगा
जफर,नगमा के साथ चला गया था।
सलमा हलाला के बारे में सोचने लगी।एक ऐसी कुप्रथा जिसमे औरत का शारीरिक शोषण होता है।पहले औरत को किसी मर्द से निकाह करना होता है।फिर उससे शारीरिक सम्बन्ध बनाने होते हैं