Bandhan Pyar ka - 33 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 33

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बन्धन प्यार का - 33

और नरेश,हिना और मीरा स्वामी नारायण मंदिर के लिये निकल लिये थे।मेट्रो में उसे आवाज सुनाई पड़ी,"हाय हिना"
हिना ने आवाज की दिशा में मुड़कर देखा था
"अरे नजमा तू।"
"कहाँ जा रही है।और ये कौन है?"
"यह मेरी सास,"हिना परिचय कराते हुए बोली,"मेरे पति नरेश"
"तूने शादी कर ली और बताया भी नही।पार्टी की बचत कर ली,"नजमा बोली,"पति कहाँ से है?"
"भारत
भारत का नाम सुनते ही हिना आंखे फाड़कर हिना को आश्चर्य से देखने लगी
"ऐसे क्या देख रही हो?"हिना बोली,"एक हिन्दू से शादी की है।"
"वो भी हिंदुस्तानी से।"
"हाँ।तू बता तेरे शौहर कैसे है?तेरा भी तो निकाह हो गया था।"
"और साल भर के अंदर तलाक भी हो गया"
"क्यो?
"जनाब की दूसरी औरत से आंख लग गई मैने विरोध किया तो तलाक दे दिया,"नजमा बोली,"छोड़ इन बातों क को अपनी बता"
हिना ने नजमा का परिचय अपनी सास और पति से कराया था।फिर हिना बोली,"स्वामीनारायण मन्दिर जा रहे हैं चल तू भी"
"नही।अभी मुझे कहि जाना है।"
और वह चली गयी थी।
हिना ने नरेश को नजमा के बारे मे बताया था।वह उसके साथ पाकिस्तान में कॉलेज में पढ़ती थी।हिना ग्रेड्यूएसन के बाद एम बी ए करने के लिय लंदन आ गई थी।नजमा भी बाद में लंदन आ गई।यहाँ पर मिलना तो नहीं होता था लेकिन फोन पर जरूर बात होती थी।फोन से ही उसे शादी का पता चला था और आज तलाक का पता चचल गया था
और वे मेट्रो में बैठ गए थे।हिना अपनी माँ के बारे में भी सोचने लगी थी
उसे भी तलाक मिला और फिर उसने दूसरी शादी ही नही की।उसकी मां जानती थी उनके धर्म मे क्या बुराई है। फिर भी वह चाहती थी उसकी बेटी उसी के धर्म के लड़के से निकाह करे।
हिना अपनी माँ को बहुत प्यार करती थी लेकिन वह मां की निकाह वाली बात मानने के लिये तैयार नही थी।
"चलो"
और पति की आवाज सुनकर वह अतीत से बाहर निकल आयी थी।
और वे तीनों स्वामी नारायण मंदिर पहुंचे थे।विशाल क्ष्रेत्र में फैला हुआ मन्दिर।स्वामी नारायण मंदिर भारत के अलावा दुनिया के दूसरे देशों में भी है।वे प्रवेश द्वार से अंदर गए थे।नरेश,हिना से बोला,"तुम पहली बार मन्दिर आयी हो।"
"हां।पहली बार ही आयी हूँ"।
"मतलब आज से पहले मन्दिर नही देखा?
"नही।क्यो जाऊंगी?जाती तो बिरादरी वाले टोकते मुस्लिम होकर मन्दिर
"मुस्लिम तो अब भी हो
"अब मुस्लिम होने के साथ हिन्दू की पत्नी भी हूँ
"चलो
और नरेश हिना को मन्दिफ।स्वामी नारायण के साथ हिन्दू देवी देवताओं के बारे में बताने लगा।मन्दिर काफी बड़ा था।वे लोग मन्दिर में दर्शन करने लगे।मन्दिर में घूमते हुए वे दुकानों की तरफ चले आये नरेश की माँ उधर बढ़ते हुए बोली, इधर देखती हूं।बहु इधर आओ।"
"मम्मी वो नही लेगि।उनके यहाँ पूजा नही होती।हिना मुस्लिमहै।"
"हर बात में हिन्दू मुस्लिम क्यो करता है।वह अब तेरी पत्नी है और मेरी बहु है।सास, बहु से सलाह नहीं करेगी तो किस्से करेंगी?"
और हिना अपनी सास के साथ चल दी।सास ने कुछ पूजा का सामान पसन्द किया था।बगल मे चूड़ी और फैंसी सामान का स्टोर था।सास बहू दोनों उधर चली गई।कड़े बहुत सुंदर थे।सास हिना से बोली,"बहु तेरे पर ये बहुत अच्छे लगेंगे
और सास ने उसे कड़े दिलवा दिये थे।
"चले अब"नरेश बोला था।
"चलो।
और वे तीनों मन्दिर से बाहर निकल आये औऱ मेट्रो स्टेशन की तरफ बढ़ गए थे