Bandhan Pyar ka - 36 in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बंधन प्यार का - 36

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बंधन प्यार का - 36

"पहले साल में 6 महीने तो बन्द और प्रदर्शन होता था।बचे 6 महीने में पर्यटक आते थे लेकिन कम आतंकवाद से पीड़ित कश्मीर में आने से लोग डरते थे।अब पूरे साल पर्यटक आते है।याओर नरेश, हिना ने अगले दिन टेक्सी कर ली थी।

टेक्सी से वे गुलमर्ग, सोनमर्ग गए थे।चारो तरफ हरि भरी वादियां और फूलों से लदी घाटियों।सुंदरता का जबरदस्त सम्मोहक दृश्यराजन बोला"कभी तुम तुम्हारे हिस्से वाले कश्मीर गई हो?""नही।"

"जब गयी ही नही तो वहाँ के हालात कैसे बताओगी

और हिना व नरेश तीन दिन तक घूमते रहे।नरेश ने पाकिस्तान के लिये वीसा अप्लाई कर रखा था।वे कश्मीर से लौटे तब उन्हें वीजा की जानकारी मिली थी।नरेश,हिना से बोला,"अपनी अम्मी को फोन मत करना।हम अचानक वहा जाकर सरप्राइज देगे।""""

"अम्मी मेरा फोन तो उठाती ही नही है।न जाने कब मानेगी।"। माँ का जिक्र आने पर वह उदास हो गयी थी

"तुम मायूस मत हुआ करो।तुम को उदास देखकर मैं परेशान हो जाता हूं"नरेश, पत्नी को सीने से लगाते हुए बोला,"हम चल रहे है न"

और नरेश ने पाकिस्तान की फ्लाइट से टिकट बुक करा ली थी।और वे दोनों पहुंचे थे।घर पर ताला देखकर हिना ने पास के घर का दरवाजा खटखटाया था

"अरे हिना तू,"राबिया, हिना को देखकर चोंक कर बोली,"कितने लम्बे समय बाद तुझ्रे देख रही हहूँ।"

"चची, अम्मी कहाँ गयी है"हिना ने पूछा था।

"तुझ्रे नही बताया।वह तो हज करने गयी है।"रुबिया ने हिना को बताया था,"अंदर तो आओ।"

रुबिया दोनों को अंदर ले गई थी।दोनों के बैठने के बाद रुबिया बोली,"इन्हें पहली बार देख रही हूँ"।रर रुबिया ने नरेश की तरफ इशारा किया था

"यह नरेश है, मेरे शौहर।"हिना ने रुबिया चाची को नरेश के बारे में बताया था।

"तो तूने निकाह कर लिया।"हिना की बात सुनकर रुबिया बोली,"तभी तेरी अम्मी गुस्सा होकर चली आयी थी।

"मैंने अम्मी को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन

हिना की आंखे भर आयी थी।

"अब जिंदगी तुम्हे काटनी है।सब ठीक हो जाएगा।"रुबिया ने हिना को तसल्ली दी थी।चाय नास्ते के बाद हिना बोली,"चाची चले।"

"कहा जाओगे।अम्मी नही है तो क्या।यह भी तुम्हारा ही घर है।"रुबिया ने उन्हें रोक लिया था।रात को देर तक बाते होती रही।रुबिया के शौहर रमजान और बेटा रफीक दुकान से लौट आये थे।

"अरी बेटी हिना तू।कब आयी?"रमजान हिना को देखकर खुश होते हुए बोले"जो एक बार यहा से गया फिर आता ही नही है"

नरेश ने हिना से रमजान चाचा का परिचय जानकर आदाब किया था

"मैने आपको नही पहचाना

"यह हिना के शौहर है।"राबिया ने नरेश के बारे मे बताया था।

"तो आपने अपनी पसन्द के लड़के से निकाह कर लिया,"रमजान बोला,"सही भी है।जब जीवन तुम दोनों को काटना है

और रात को देर तक बाते होती रही।सुबह हिना बोली"अब चलेंगे"

"वापस हिंदुस्तान

"नही चाची,"हिना बोली,"यह कह रहे है जब आये है तो लाहौर ही घूम ले।""।"

"यह बात तो सही है।"

और नरेश व हिना चल दिये।नरेश बोला,"तुंमने तो लाहौर के

 देखा होगा

"कई मर्तबा जा चुकी हूँ

नरेश  लाहौर के बारे में गूगल पर सर्च करने लगा।लाहौर रावी और बाघा नदी के तट पर बसा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का दूसरा बड़ा शहर है।यह भारत की सीमा के पास है।यह काफी प्राचीन शहर है।मुगल काल व ब्रिटिश काल की स्थापत्य कला का मिश्रण है।यहां पर देखने व घूमने को काफी कुछ है