Monster the risky love - 55 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 55

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दानव द रिस्की लव - 55

विवेक का शक तक्ष पर.....

अब आगे...............

कामनाथ उस नौकर के साथ बाहर जाते हैं बाकी सब भी उनके पीछे पीछे चल देते हैं..... लेकिन विवेक अदिति को रोक देता है....
विवेक : अदिति तुम यहीं रहो....
अदिति : लेकिन क्यूं विवेक ..?... मुझे भी चलना है.....
विवेक : तुम यहीं रहो मां बड़ी मां और कंचन है तो यहां यही रूको.....
अदिति : ठीक है विवेक....
सब बाहर पहुंचते हैं..... नौकर जो रतन माली को घेरे खड़े थे कामनाथ के पहुंचने पर इधर उधर हो जाते हैं..रतन माली की हालत को देखकर सब सहम  जाते हैं ....
इशान : ये कैसे हुआ....?
" पता नहीं छोटे मालिक...रात तक तो सब सही था आज सबेरे जब हम रतन को उठाने के लिए पहुंचे तो ये इस हालत में था...."
इशान : इतनी बुरी तरह से कैसे कोई मार सकता है... ।
दरअसल रतन माली के गाल पर बड़े नुकीले पंजों के निशान थे..... गले का एक हिस्सा पूरी तरह से कटा हुआ था...शरीर में से दिल और अंदरूनी चीजें नहीं थी...रतन माली का पूरा शरीर खोखला हो चुका था.....
सब उसकी हालत को देखकर काफी घबरा गये थे....इशान ने पुलिस को फोन कर दिया था वो थोड़ी देर में पहुंचने वाली थी......
सब आपस में इस घटना को लेकर बातें कर रहे थे.... अमरनाथ बोलते हैं...
" भाई जी मुझे लगता है ये जरूर भेडि़यों का काम है वैसे भी रोज वैली में कितने नरभक्षी जानवर घुमते रहते हैं... "
नरभक्षी का नाम सुनते ही विवेक तुरंत बोलता......" मुझे पता है ये किसका काम हो सकता..."
अब सबकी नजरें विवेक की तरफ थी मानो पुछ रही हो जल्दी बताओ फिर.....
" किसने मारा है...?..." अमरनाथ जी ने पूछा 
विवेक : ये काम तक्ष का है.....
आदित्य गुस्से में कहता है...." क्या बोल रहे हो विवेक...?...तक्ष क्या तुम्हें जानवर दिखता है..."
विवेक : ये जानवर से भी बढ़कर है भाई ....ये कुछ भी कर सकता है....
इशान : विवेक...... क्या बिना सिर पैर की बातें कर रहे हो....
विवेक : भाई मेरी बात पर यकीन किजिए...
अमरनाथ जी डांटते हुए बोले .." विवेक अंदर जाओ...."
तक्ष मासुमियत से कहता है...." तुम  मुझे  कुछ भी बना देते हो..."
आदित्य तक्ष को समझाता है....." कोई बात नहीं तक्ष ये गुस्से में बोल गया...."
विवेक : मैं गुस्से में नहीं बोला हूं भाई सच कह रहा हूं....आप अदिति से पुछिए वहीं बताऐगी इसकी सच्चाई..."
कामनाथ : इशान इसे अंदर ले जाओ ..(पुलिस भी मौके पर पहुंच जाती है इसलिए इशान रुक जाता है)...... आइए इंस्पेक्टर साहब....
इंस्पेक्टर अपनी नाक पर रूमाल रखते हुए बोला..." ये सब कैसे हो गया चौधरी साहब...." 
कामनाथ : ये जानना तो आपका काम है अगर हमें पता होता उसे छोड़ देते क्या....?
इंस्पेक्टर : अरे चौधरी साहब नाराज क्यूं होते हैं (तंज कसते हुए इंस्पेक्टर ने कहा कहा)..." वैसे आपके आने से एक मर्डर केस... जबसे यहां सब नार्मल था...
कामनाथ : आप कहना क्या चाहते हैं हमने इसे मारा है वो भी इस तरह....
इंस्पेक्टर : मेरे कहने का वो मतलब नहीं था चौधरी साहब..
 इस नोंकझोंक को रोकने के लिए ....इशान दोनों की बात काटते हुए बोला...." देखिए आप खामखां बात बढ़ा रहे हैं...आप अपनी इंवेस्टिगेशन किजिए न कि हमसे सवाल जवाब..... अपने नौकर को मारकर हम ही आपको नहीं बुलाएंगे...."
इस बार इंस्पेक्टर महेश कुछ नहीं कहता और अपने इंवेस्टिगेशन में लग जाता है...... काफी देर आस पास देखने के बाद  इंस्पेक्टर महेश कामनाथ जी के सामने आकर कहता है....
" देखिए मिस्टर चौधरी जी ये मामला मर्डर केस नहीं है..."
सब हैरानी से इंस्पेक्टर को घूरते है....
इशान : इंस्पेक्टर क्लियर बताइए कहना क्या चाहते हैं...?
महेश : देखिए मिस्टर चौधरी इनकी बाॅडी पर जो निशान हैं और बाकी कंडिशन तो आप देख ही रहे हैं... इससे साफ जाहिर होता है कि इसपर किसी जंगली जानवर ने हमला किया है.....
तभी विवेक चिल्लाया ...." देखा बड़े पापा ये सब (तभी इशान विवेक को पीछे खींच लेता है)...भाई 
इशान डांटते हुए कहता है...." चुपकर तू जा अंदर ...हम वहीं बात करेंगे..." (   इशान के कहने पर विवेक अंदर चला जाता है और इशान वापस आकर खड़ा हो जाता है)....
कामनाथ : तो अब आपको यहां पर पेट्रोलिंग करनी पड़ेगी...जबतक हम यहां पर है.....
महेश : डोंट वरी मिस्टर चौधरी आपकी फैमिली को पूरी प्रोटेक्शन मिलेंगी.... ओके मिस्टर चौधरी बाॅडी को आप चाहें तो अंतिम संस्कार कर सकते हैं बाकी हम उस जानवर का पता करते हैं जिसने इस पर हमला किया था.....
कामनाथ : थैंक्यू इंस्पेक्टर.....(अपनी छानबीन और पूछताछ करने के बाद इंस्पेक्टर चला जाता है)..... चलो अब सब अंदर .....और  अंदर किसी को मत बताना यहां क्या हुआ है ...
सब अंदर हाॅल में पहुंचते हैं.......
सुविता : क्या हुआ वो कैसे मारा गया.....?
कामनाथ : कुछ नहीं हुआ सुविता जाओ ...और बच्चों तुम इस तरह क्यूं सहमे बैठे कल की पार्टी का एंजॉयमेंट खत्म हो गया...आज कुछ नहीं एंजॉय करने के लिए.....
तभी अदिति पास आकर कहती हैं......" बाहर क्या हुआ है...?"
आदित्य : अदि कुछ नहीं हुआ है.....?
" हुआ है बहुत कुछ हुआ है अदिति...." ये आवाज़ थी विवेक की ...
आदित्य : विवेक...
विवेक अदिति के पास जाता है और उसे कंधे से पकड़कर सबके सामने करता हुआ कहता है....." अदिति बताओ सबको तक्ष क्या है..?..."
अदिति सवालिया नज़रों से विवेक को देखती हुई कहती हैं..." विवेक क्या बताना है...?...."
विवेक : वहीं अदिति तक्ष एक पिशाच है....(तक्ष गुस्से का दिखावा करते हुए विवेक के पास आता है)..
तक्ष : बस अब बहुत हो गया मैं कुछ कहता नहीं हूं तो इसका मतलब ये नहीं है तुम कुछ भी बोलोगे.....(अदिति के हाथ को पकड़ते हुए कहा)... अदिति बताओ न सबको....
विवेक परेशान सा तक्ष की तरफ देखता है ...उसके मन‌ में उथलपुथल होने लगती है , अदिति के हाथ को पकड़ा देखकर सोचने लगता है..." आखिर इसने अदिति को कैसे छू लिया... इसका मतलब अदिति के पास त्रिशूल लाकेट नहीं है..."
अदिति : विवेक अब बस बहुत हो गया....तुम क्यूं बार बार तक्ष को पिशाच बोलते रहते हो.....
विवेक : अदिति तुम अपने होश में नहीं हो... ठीक है अगर ये पिशाच नहीं है तो मेरा हाथ पकड़ के दिखा दे....
इशान : इससे क्या होगा विवेक..?.. पागल हो गया है क्या..?
विवेक सबको गले से त्रिशूल लाकेट दिखाता हुआ बोला..." ये लाकेट है जो बड़ी मां और मां लेकर आई थी...बस तुम मुझे छू लो मैं मान जाऊंगा...."
अब सबकी नजरें तक्ष और विवेक की तरफ थी....
................to be continued............
क्या होगा अगर तक्ष ने विवेक को छू लिया तो...?
जानेंगे अगले भाग......