वही निशा को भी अब अपने घर वालों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था कि आगे भी बे लोग उसके साथ कुछ गलत नहीं करेंगे इसलिए उसने अपना सामान पैक किया और बड़ी बुआ के साथ चल दी ,
तभी निशा की ताई जी आकर बोली हमें माफ कर दो निशा बेटी हमें अपनी गलती का एहसास है,,,
तब ताई जी के ऐसा कहते ही निशा की दादी भी बोली हां बेटी मैंने तुझे कभी अपनी पोती नहीं माना हमेशा तुम्हें मनहूस मानती रही लेकिन आज तुमने जो किया उसके बाद मेरी आंखे खुल गई हो सके तो अपनी दादी और हम सब को माफ कर देना,,,,
तब दादी के इतना कहते ही सभी घरवाले आकर निशा से माफी मांगने लगे और निशा से वहीं रुकने की गुजारिश करने लगे लेकिन निशा ने उनसे कुछ नहीं कहा और गुस्से में उनकी तरफ देख कर फिर बुआ की तरफ देखते हूए बोली चलो बड़ी बुआ अब मुझे यहां नहीं रुकना,
वही बड़ी बुआ भी निशा का हाथ पकड़कर घर से बाहर आ गई बड़े बुआ निशा को लेकर अपने घर आ गई निशा के साथ जो कुछ हुआ था उससे निशा को गहरा सदमा पहुंचा था लेकिन धीरे-धीरे बड़ी बुआ के प्यार और अपनेपन से निशा नॉर्मल रहने लगी,
सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक दिन निशा किसी काम से दुकान पर गई वापस आते वक्त कुछ लड़कों ने निशा को छेड़ा, तब निशा ने कोई जवाब नहीं दिया और घर आ गई,
अब रोज लड़कों का झुंड बुआ जी के बंगले के आगे बैठा रहता और निशा अगर गलती से कहीं उन लोगों को दिखाई दे जाती है तो वे लोग जोर जोर से उस पर फब्तियां कसते, लेकिन निशा कोई बखेड़ा खड़ा ना हो इस कारण कुछ भी नहीं कहती,
एक दिन निशा की बुआ जी ने यह सब कुछ देख लिया और गेट के बाहर आकर सभी लड़कों को बुरी तरह लताड़ा तो एक लड़का बोला आखिर कब तक तुम इस हीरे को अपने घर में छुपा कर रखो गी अरे यह तो है ही इतनी खूबसूरत कि इसकी एक झलक पाने के लिए तो हम अपनी जान जान भी दे दे यह कहकर वह लड़का बेशर्मी से हंसा,
तब निशा की बुआ जी ने उसे लताड़ा और पुलिस की धमकी दी, पुलिस की धमकी पाते ही बे बदमाश वहां से भाग खड़े हुए, निशा यह सब कुछ सुन रही थी,
अब निशा की बुआ जी को निशा के शादी की चिंता सताने लगी निशा की बुआ को चिंता थी कि अगर किसी दिन वह घर पर नहीं हुई और अगर निशा के साथ कुछ गलत हो गया तो वह अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाएगी,
निशा को भी अपनी बुआ की चिंता समझ आ रही थी वह बार-बार भगवान शिकायत करती कि आखिर उसने उसे इतना खूबसूरत क्यों बनाया कि उसकी खूबसूरती ही उसके लिए अभिशाप बन गई,
निशा की बुआ जी ने निशा के लिए रिश्ते देखना शुरू कर दिया उसकी एक सहेली ने अपनी ननंद का लड़का विजय निशा के लिए बताया,
निशा की बुआ ने हां कर दी सहेली के बताए अनुसार लड़का देखने में अच्छा था और अच्छा कमाता भी था उसका खुद का छोटा सा कारोबार भी था उसकी सहेली ने कहा कि हमारी निशा बहुत खुश रहेगी,
निशा की बुआ जी ने सोचा कि अमीरी गरीबी का क्या बस बहन बेटी खुश रहे इससे बढ़कर और क्या,,,,,
निश्चित दिन निशा को देखने लड़के वाले आए लड़का और उसकी मां दोनों ही थे, लड़के के पिता की बचपन में मौत हो चुकी थी उसके परिवार में दोनों मां-बेटे ही थे ,
पहली नजर में उन्होंने निशा को पसंद कर लिया निशा की बुआ जी को भी विजय बहुत पसंद आया वैसे भी विजय निशा जितना तो नहीं लेकिन देखने में काफी सुंदर था पहली नजर में ही किसी को पसंद आ जाए ,
विजय भी निशा को देखकर अपनी सुध बुध खो बैठा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि निशा जैसी अप्सरा जैसी लड़की उसकी जीवनसाथी बनने वाली है निशा को भी विजय पसंद था ,
निशा और विजय का रिश्ता तय हो गया बुआ जी ने दोनों की मुहूर्त निकलवा कर शादी तय कर दी ,
निशा की बुआ जी ने शादी में निशा के परिवार के किसी भी सदस्य को शादी में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया था,