Dastane - ishq - 5 in Hindi Love Stories by Tanya Gauniyal books and stories PDF | Dastane - ishq - 5

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Dastane - ishq - 5

So ye kahani continue hongi pratilipi par kahani ka name and poster same hai. After 10 - 15 episode i will stop this update if, you want do comment and follow me on 

Id name - Tanya gauniyal 
Story name - same - Dastane - ishq ( mafia romance) see the picture you will get to know 


And there I have reached more ahead so go and read their and do comment and follow me on my pratilipi I'd.

Jismai meri first kahani ke sath sath second kahani bhi hai. 

So guys go and read their and follow me too for new updates in Instagram. 

If you want spoiler of this story follow me on Instagram 

Instagram I'd - Tanya gauniyal 

I am waiting for your response readers do and comment 💬 and share your lovely thoughts. 



सत्या अपने प्राइवेट जेट मे बैठा था ।

आँखों मे  चश्मा, चेहरे पर शातिर सी मुस्कान ,  हाथ सोफे मे रखे थे और पैर पे पैर रखकर बैठा था । उसके सामने करन बैठा था ।

सत्या ने नजरे बाहर की हुई थी ।

सत्या ने बिना करन को देखकर पूछा : " करन हम कब पहुंचेंगे ?" 

करन ने जवाब दिया : " सर कुछ देर मे पहुंच जाएगे " 

सत्या कुछ नही बोला बस उन बादलो को देखकर अपने सोफे मे रखी हाथ की उंगलियों को सोफे मे मारता रहा ।

दुसरी तरफ इंदौर मे अनवर गाडी़ लेकर निकल गया और रास्ते मे बात करते हुए बोला : " छोटे साहब आज कई सालो के बाद आ रहे है , अगर हम लेट हुए तो गुस्सा करेंगे " 

असलम गाड़ी मोड़ते हुए बोला : " अरे बुढा़ऊं , इतना क्यों डर रहे हो ? अरे मै उनका राइट हेंड हूँ , यहा का सारा काले धंधे का हिसाब रखता हूँ  और मेरा हिसाब पक्का है  ,  कही कुछ गड़बड़ नही है तो क्यों गुस्सा करेंगे ?" 

राजवीर जो असलम की बात सुन रहा था । 

वो भी इतराकर बोला : " तो क्या ?,  मै भी उनका लेफ्ट हैंड हूँ , सारा पैसा , नया स्टोक सब मै देखता हूँ " 

" हा हा तो मैने कब मना किया पर मै भी तो सारा काम देखता ही हूँ "  असलम बोला ।

राजवीर असलम की बात से बोला : " हा हा पर ज्यादा काम मे करता हूँ " 

ये सुनकर असलम राजवीर को घूरकर बोला : " ओ सारा काम तो तू ही करता है , हना " 

राजवीर ने मक्कारी से हसँकर कहा : " हा अगर तूझे ऐसा लगता है तो यही होंगा " 

असलम उसे और घूरने लगा और  राजवीर मक्कारी से हसँ दिया ।
उन दोनों की ऐसी बहस बाजी को देखकर 

अनवर ने उन दोनों के सर पर टपली मारी और बोला : " क्या  राइट लेफ्ट लगा रखा है , वो सबके बाप है और वो अकेले सबपर भारी है, अब गाडी़ भगाओ " 

असलम और राजवीर दोनो ने अपना सर सहलाकर कहा  : " अरे बुढा़उ हाथ मत चलाओ, हम भगा रहे है " कहकर असलम ने गाड़ी तेजी से भगा दी । अनवर के चेहरे पर टेंशन साफ दिख सकती थी ।

दुसरी तरफ , ट्रेन मे लड़की बाहर देखकर बोली : " राधी, अब हम इंदौर से कही नही जाएगे " 

फिर उसने अपनी बहन को देखकर आगे कहा : " मै वहा जोब करूंगी और तू अपने केरियर पर ध्यान देंगी " 

राधिका जो फोन मे लगी थी उसने अपनी बहन को देखकर कहा : " ठीक है, आयु दी जैसा आप कहो " 

ये कहकर  राधिका दोबारा  फोन मे लग गई । आयुषी जिसे सब आयु कहकर पुकारते है । उन सब मे सिर्फ उसकी  बहन आती थी । आयुषी खिड़की के बाहर देखने लगी । राधिका  आयुषी के चेहरे पर आते जाते  भावो को देख रही थी ,पर फिर उसने खुदको फोन मे व्यस्त कर दिया । 

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इंदौर मे  

अनवर असलम एक खाली मैदान मे पहुंचे । कुछ ही देर मे बादलो मे आवाज होने लगी और सत्या का हैलीकोप्टर दिखने लगा । असलम अनवर ने गाड़ी रोकी और बाहर निकले । वहा हर जगह धूल उड़ने लगी और सत्या का हैलीकोप्टर लैंड हुआ ।

अनवर असलम जहा सत्या का हैलीकाप्टर लैंड हुआ था वहा गए  । उसका दरवाजा खुला और सत्या नीचे उतरा । उस दिन सत्या ने इंडिया भी छोड़ दिया था और लंडन चला गया, अपने बिजनेस और धंधे के चक्कर मे काफी बार वो इंडिया  आया पर सिर्फ काम के बाद निकल जाता या यू कह सकते है सिर्फ चंद घंटो के लिए वो आता और होटल मे रूककर चला जाता । यहा का बिजनेस, काला धंधा सब उसके लोग सभांलते थे । वो यहा कभी ज्यादातर  आया नही क्योंकि वो शायद कभी नही आना चाहता था । उसका बिजनेस इंडिया से लेकर काफी देशो मे था । वो ज्यदातर घूमता ही रहता ही था । उसके  नाम से ही सब कांपते थे ।  जब वो कही से जाता तो वहा के लोग यही  दुंआ करते की वो वापिस ना आए । 

सत्या उतरकर इतराकर चलते हुए आया ।

अनवर ने उसके सामने आकर कहा  : " छोटे साहब " 

सत्या रूक गया और उसने अपनी कठोर नजरे अनवर पर डाली और सख्ती से कहा : " चच्चा , छोटे साहब नही , साहब " 

अनवर ने सिर हा मे हिलाकर कहा : " साहब , आप पहले " 

अनवर कह ही रहा था सत्या बीच मे बोला : " ऑफिस ले चलो " 
सत्या ये बोलकर  गाडी़  मे बैठ गया । ऑफिस मे किसी को खबर नही थी की आज उनके बॉस से उनकी मुलाकात होगी  । लोगो ने सिर्फ उसका नाम सुना  था  और ये की वो कितना खतरनाक है ।जरा सी गलती मे वो इंसान  को नौकरी से निकाल देता है  इसलिए यहा पर कई स्टाफ चेंज हुए थे , और कई इंट्रव्यू के लिए आ रहे थे ।अनवर ने रास्ते मे उसे पूरी रिपोर्ट बताई । सत्या  कभी घाटा सहन नही कर सकता था । जिसने भी उसका नुकसान किया या उसकी वजह से नुकसान हुआ । उसका जिंदा रहना  नामुमकिन था । उसने इन सालो मे इतने  खून किए थे की गिनना नामुमकिन था । सत्या के आने की  खबर ऑफिस तक पहुंच गई । सब अपने काम मे इस तरहा मग्न हो गए जैसे उन्हें फुर्सत ही न हो । गाडी़ ऑफिस के सामने रूकी । स्टाफ ने उसके लिए दरवाजा खोला और सत्या  बाहर निकला । उसने सामने लगे बोर्ड को देखा फिर अंदर गया ।

सबने  उसे " गुड मार्निंग " वीश किया और वो उन सबको इग्नोर करके अपने केबिन मे चला गया ।

वहा पर लड़कीया सत्या की पर्सनलेटी को देखकर मर मित गई ।

उनमे से एक लड़की तिरछी मुस्कराहट से बोली : " यार ये कितना होर्ट है, इससे तो मै ही मिलूंगी " 

दुसरी लड़की खुदपर इतराकर बोली : " तूझमे है ही क्या ऐसा जो वो तूझपर घास डालेंगा , उसे तो मै पटाऊंगी " 

ये सुनकर पहली उसे घूरकर बोली : " चल पागल पहले अपनी शक्ल देखकर आ "

वहा लड़कियां आपस मे फुसफुसाकर सत्या की बाते करने लगी ।

उनकी फुसफुसाहट सुनकर  वहा एक लड़का आया और उन्हे डांटकर बोला : " तुम लड़किया काम करो बाते नही अगर बोस को गुस्सा आ गया न तो कभी यहा वापिस नही आ पाओगी " 

लड़कियां उस लड़के की बात पर मू बनाकर काम करने लगी और वो सब सत्या को अपने काबू मे करने की सोचने लगी ।

उन्होंने खुदको देखा और मैकअप और ज्यादा लगा लिया, जिससे वो होर्ट लग सके और सत्या को  हुस्न से अपने काबू कर ले ।

वहा एक लड़की ऐसी नही थी जो खुदको खूबसूरत नही देखती थी ।
बल्कि उन्हें लगता था की वो सत्या को अपने पास आसानी से बुला सकती है और सोचती थी की सत्या के साथ वही अच्छी लगेगी ।

उधर सत्या अपने केबिन मे गया और  अपनी चेयर मे बैठकर  बोला : " मीटींग रखवाओ अभी " 

एकलौटा करन ही था जो उसके साथ हर जगह घूमता था ।

उसने " जी सर " कहा और चला गया ।

कुछ देर बाद सब कान्फ्रेंस रूम मे सत्या का इंतजार कर रहे थे ।
एक दम से दरवाजा खुला और सत्या किसी महाराजा की तरहा अंदर आया । एक पल के लिए सब लोग सहम गए  ।

वो कुर्सी मे जाकर बैठा  और मीटींग शुरु कर दी ।  कंपनी का मैनेजर जो सत्या ने ना होने पर सारा काम संभालता था । वो  खड़ा होकर  सत्या को सारी डीटेल देने लगा ।

ये मीटिंग लगभग देड़ घंटा चली ।उसके बाद मैनेजर ने सत्या को सारे स्टाफ से मिलाया और उसे उसका मैन  केबिन भी बताया ।

सत्या अपने केबिन मे बैठकर सारे स्टाफ पर अपनी पैनी  नजर गढा़ए बैठा था । करन जो उसके सामने खडा़ था ।

उसने कुछ देर तक टेब मे हाथ चलाया फिर सत्या को देखकर बोला : " सर foreign से एक पार्टी आपसे डील करना चाहती है  ,आपकी मीटिंग कितने बजे schedule करनी है ?" 

करन के पूछने पर सत्या ने अपनी सिगरेट जलाते हुए कहा : " मीटिंग पड़सो रखवाओ..मुझे उससे ज्यादा जरूरी काम है "

करन ने उसे बताते हुए कहा : "  बट सर पड़सो वो जा रहे है " 

ये सुनकर  सत्या ने उसे घूरकर देखा और गुस्से से बोला : " वो लोग मुझसे मिलना चाहते है मै नही ( उसने आगे धुआँ उडा़कर कहा ) सब मेरे हिसाब से चलेगा अगर उन्हें  प्रोब्लम है तो मेरी पहचान बता देना , नाओ गो " 

करन ने चुपचाप " ओकए " कहा और केबिन से चला गया ।

रात का वक्त हो चला था  ।

सत्या समुंद्र के किनारे होंठो मे सिगरेट लिए उस आती जाती लहरो को देख  रहा था । उसने सिगरेट का एक गश भरा ।


" सर आपके लिए होटल बुक हो गया है " करन उसके सामने आकर बोला ।

सत्या सर्द नजरो से  लगातार सिगरेट की गश भर रहा था ।

करन की बात सुनकर अनवर सत्या के  सामने आया  और उसे मनाने की कोशिश मे बोला  : " साहब , आप बंगले मे क्यों नही चलते ?" 


करन ने ये सुनकर हैरानी से अनवर को देखकर पूछा  : " क्या, ? सर का यहा बंगला भी  है " 

अनवर ने करन को देखकर " हा " कहा और सत्या को समझाते हुए बोला  : " चलिए साहब वो आपका ही घर है " 

सत्या ने आधी सिगरेट को नीचे फेंका और अपने पैरो से रौंदकर कहा : " नही, चच्चा मै वहा कभी नही जाऊंगा " 

वो पलटकर जाने लगा । करन जब भी सत्या के साथ आया था तब वो कुछ घंटो के लिए होटल मे रूकता था । आज जब उसे पता चला की सत्या का घर है तो वो हैरान हुआ और खुदको पूछने से रोक नही पाया ।

करन हैरानी से पीछे से सत्या  को देखकर   बोल पडा़ : " सर जब आपका बंगला है तो आप वहा क्यों नही रहते ? "  

करन की बात सुनकर सत्या रूका और पीछे पलटा ।

सत्या ने उसे घूरकर कहा  : " जितना काम हो उतना बोला करो " 

करन ने अपना सर नीचे कर   " सौरी सर " कहा  ।

सत्या कठोर आवाज मे बोला  " अब चलना है या यही रहना है  " 

ये कहकर वो मुड़कर  चलने लगा । करन भी चुपचाप उसके पीछे चल दिया । वो होटल मे आया और सोफे मे बेठ गया  ।

उसके सामने अलग अलग प्रकार के नशे रखे थे जो वो अकसर  रात को लिया करता था ।

  कुछ देर बाद वो बाथरूम से फ्रेश होकर बेड पर लेट गया । 

दुसरी तरफ ट्रेन मे ।

ट्रेन आधा से ज्यादा रास्ता पार कर चुकी थी । राधिका सोई हुई थी । आयुषी ट्रेन से बाहर देख रही थी । उसने सामने देखा तो उसकी बहन गहरी नींद मे सोई थी ।आयुषी खडी़ हुई और उसने मुस्कराकर राधिका को कंबल उडा़या और प्यार से सर सहलाया ।
वो अपनी बहन को देखते हुए बुदबुदाई : " आज के बाद सब कुछ बदल जाएगा, हम नई और एक अच्छी जिंदगी जीएगे " ।

ये सोचते हुए वो अपनी सीट मे बैठी और गहरी सोच मे डूब गई ।

सत्या और आयुषी दोनों अपनी तकदीर से अनजान थे । उन्हें ये नही मालूम था की वो आपस मे टकराने वाले है । 

सुबह के नए सवेरे के साथ एक नया सफर शुरू हो चुका था ।राधिका और आयुषी दोनों इंदौर के ट्रेन स्टेशन मे थे । 

राधिका ने अपनी बहन को देखकर पूछा : " दी अब कहा जाना है ?" 

आयुषी ने एक  पर्चा राधिका को दिखाकर कहा : " ये " ( उसमे एक एडरेस लिखा था , उसने बात पूरी करते हुए  कहा  )  यहा एक फ्लेट खाली  है वही रहेगे " 

राधिका ने " ओकए दी " कहा ।

दोनों ने अपना सामान पकडा़ और बाहर टैक्सी का इंतजार करने लगे । वहा काफी टैक्सी आती जाती रही पर कोई रूकी नही ।

काफी मुश्किल के बाद एक टैक्सी रूकी । आयुषी ने अपना सामान रखा और बैठ गई । टैक्सी शुरू हुई और रास्ते मे निकल गई ।

दुसरी तरफ , उस जंगल मे अनवर , असलम , और राजवीर अरमान के सामने थे । 

असलम सर्द सी नजरो से अरमान को देखकर बोला  : " आज वो खुद तूझसे मिलने आ रहे है " 

असलम की ये बात सुनकर अरमान डर से कांपने लगा ।

अनवर अरमान को  बेबस आँखों से देखकर बोला :  "तूझे हमारे साथ गद्दारी नही करनी चाहिए थी " 

एक आदमी उसके पास आया और खबर देते हुए बोला  : " साहब  निकल गए  है " 

उधर सत्या गाडी़ मे बैठा और वो  एक डेविल हँसी हसँ रहा था ।

सत्या दांत पीसकर बोला : " वफादार , वफादार , कहा से ढुढ़ना है ऐसा कुत्ता " 

आगे बैठे करन ने उसकी बात सुनी तो पूछा : " सर आप किस चीज की बात कर रहे है ? " 

सत्या ने बडे़ रौब से बाहर देखकर कहा : " तुम जल्दी ही  सब कुछ समझ जाओगे करन,  बस गाडी़ भगाओ " 

इस वक्त वो दुनिया की सबसे महंगी गाडी़ मे  बैठा था । 

उसने सिगरेट निकाली और गश भरने लगा । उसके सामने की तरफ से आयुषी की टैक्सी आ रही थी ।

जिसमे वो खिड़की मे सर रखकर बैठी थी । जिसका दुप्पटा हवा मे लह रहा था और बाल हवा के साथ  उड़ रहे थे । 

दोनों की गाडि़या एक दुसरे को क्रास कर रही थी । सत्या आती जाती हवा को महसूस करके अपने दिमाग को शांत करने की कोशिश कर  रहा था तबतक एक दुप्ट्टा उसके चेहरे मे जा गिरा ।
आचानक से उसे अजीब सा एहसास होने लगा जैसे उसके चेहरे पर कुछ है ।उसने अपनी आँखें खोली और जबतक उस दुप्प्टे को अपने हाथ मे कसता तबतक वो उड़कर गाडी़ के पीछे  चला गया । उधर आयुषी और सत्या दोनों ने गाडी़ रूकवाई । गाडी़ एकदम से रूकी  सत्या  कुछ देर तक सोचता रहा फिर एक दम से गाडी़ से उतरा । 

हर हर महादेव ।