So ye kahani continue hongi pratilipi par kahani ka name same hai but poster yaha update nhi hora tou same nhi hai but dark hai. After 10 - 15 episode i will stop this update if, you want do comment and follow me on pratilipi
Id name - Tanya gauniyal
Story name - same - Dastane - ishq ( mafia romance) see the picture you will get to know
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Jismai meri first kahani ke sath sath second kahani bhi hai.
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उस आदमी को बेरहमी से मारने के बाद । सत्या ने फ्लैट की चाबी असलम और राजवीर को दे दी । वो सोफे मे बैठा था उसने बाहर देखा, वहा उसे मौसम अच्छा लगा तो वो उठकर बालकनी मे चला गया । उधर आयुषी ने अपनी बहन के साथ खाना खाया । उसने अपने और अपनी बहन के कपडे़ साफ किए और बालकनी मे डाल दिए । वहा हवाओ की रफ्तार तेज हो गई थी । सत्या अपनी आँखें बंद कर उस तूफान को अपने अंदर महसूस करने लगा ।
उसके बगल वाले फ्लैट मे राधिका कपडे़ उतार रही थी । हवा काफी तेज चल रही थी । जब आयुषी ने देखा की हवा तेज चल रही है तो उसने राधिका से कहा था की कपडे़ अंदर ले आए ।
राधिका से जब कपडे़ नही संभले तो उसने अंदर देखकर अपनी बहन को बुलाते हुए कहा : " दी हवा बहुत तेज हो रही है , कपडे़ उड़ रहे है प्लीज आप आ जाइए "
आयुषी जो किचन मे थी , उसने वहा से कहा : " रूक जा राधी मै आती हूँ "
राधिका के हाथ मे कुछ कपडे़ थे । वो हवा की वजह से उड़ गए थे , वो ज्यादा दूर जाते उससे पहले राधिका ने उन्हें पकड़ लिया । उधर किचन मे आयुषी ने हाथ धोए और बालकनी मे राधिका के पास आई ।
आयुषी ने कुछ कपडे़ राधिका के हाथ से लेते हुए कहा : " तू जा बाकी कपडे़ उठा ले "
उधर सत्या जो आँखें बंद कर तूफान को महसूस कर रहा था उसके कानो मे आयुषी के कंगन की आवाज और उसकी आवाज गई । उसे सुबह जैसा एहसास होने लगा पर उसने गुस्से से अपनी आँखें भींच ली । उधर आयुषी अंदर जाने को पलटी वो दो कदम पलटी थी तबतक उसकी नजर सामने वाली बालकनी मे गई । उसे सत्या का साइड फेस दिख रहा था ।
आयुषी ने सत्या को देखकर अपने मन मे सोचा : " ये ऐसे तूफान मे यहा क्यों खडा़ है (वो कुछ देर तक उसे देखती रही फिर उसे कपडो़ का ध्यान आया तो उसने उन कपडो़ को देखकर बेफिक्री से कहा ) खैर मुझे क्या मै ये कपडे़ रखती हूँ वरना उड़ जाएगे "
राधिका जो बालकनी के डोर मे खडी़ थी । उसने जब अपनी बहन को ऐसे खडे़ देखा तो उसे बुलाया पर जब आयुषी नही हिली तो राधिका आयुषी के पास आई और उसे हिलाते हुए बोली : " क्या हुआ दी जल्दी चलो "
आयुषी उसकी आवाज से होश मे आई ।
उसने राधिका को देखकर " हा " कहा और अंदर चली गई ।
सत्या ने अपनी आँखें खोली और सामने देखा तो वहा कुछ कपडे़ उड़ रहे थे । अंदर से अनवर सत्या को देख रहा था ।
वो उसके पास आया और बोला : " साहब मौसम खराब हो रहा है "
सत्या ने उसकी बात पर उसे देखा, फिर उस मौसम को देखकर बोला :" मौसम अच्छा है क्यों न नहा लिया जाए "
सत्या रूम मे गया और बाथरूम मे चला गया । अनवर भी अंदर आया और बालकनी बंद कर दी । उसके आदमी वहा पर शराब की बोटल , चरज गांजा और कई नशीले प्रदाथ टेबल मे रखकर बाते करने लगे । मौसम हद से ज्यादा खराब हो गया था । तूफान के साथ साथ आसमान मे बिजली भी कड़क रही थी । दुसरी तरफ आयु बालकनी से बचे कपडे़ लेकर अंदर जा रही थी । उसकी मदद राधिका कर रही थी ।
राधिका ने आयुषी से सारे कपडे़ लिए और अंदर जाते हुए बोली : " आप गेट बंद कर दो दी "
आयुषी ने हा कहा, इतनी तेज हवा चल रही थी की राधिका के हाथ से कुछ कपडे़ छूटकर बगल वाली बालकनी मे चले गए ।
आयुषी ने उन कपडो़ को देखा और " राधी जल्दी चल अंदर " कहा ।
वो दोनों अंदर चले गए और उसने बालकनी का दरवाजा बंद कर दिया ।
राधिका ने आयुषी को देखकर कहा : " दी आपके कपडे़ "
आयुषी ने " तू इन्हें संभाल मै लेकर आती हूँ " कहा और तरीके से दुप्पटा पहनकर बाहर निकली ।
राधिका ने आयुषी से कपडे़ लिए और उसे अच्छे से रखने लगी । उधर आयुषी बाहर आई तो उसने बगल मे दो आदमी खडे़ देखे ।
उनमे से एक आदमी की नजर आयुषी पर पडी़ तो उसने उसे घूरकर पूछा : " ऐ कहा जा रही है ?"
" वो मेरे " आयुषी बोल ही रही थी उसे बीच मे काटकर वो आदमी बोला : " चुपचाप अपने काम से काम रख यहा कोई नही है जा यहा से "
आयुषी ने उसे समझाने की कोशिश मे कहा : " वो मेरे कपडे़ आपकी बालकनी मे आ गिरे है , मुझे बस वो चाहिए "
वो आदमी बोलने ही वाला था तबतक दुसरे आदमी ने उसे तोक दिया और आयुषी को देखकर बोला : " तुम रूको मै अभी आता हूँ "
वो आदमी अंदर गया तो पहला आदमी चिड़कर उसे देखने लगा ।
अंदर आकर वो आदमी उन सबसे बोला : " बाहर एक लड़की आई है कह रही है की उसके कपडे़ बालकनी मे आ गए है "
राजवीर ने असलम से कहा : "जा असलम देखकर आ , आखिर कौन है ये लड़की "
अनवर ने चिंता से कहा : " कही साहब को मारने की साजिश तो नही है, पहले जा देखकर आ बालकनी मे कपडे़ है भी या नही "
असलम उसकी बात पर हसँकर बोला : " बुढाऊं , तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने मे है , वो लड़की है और हमारे बॉस खतरनाक इंसान जिसे कोई हाथ भी नही लगा सकता "
राजवीर उसका साथ देकर बोला : " हा वैसे भी एक फूल सी लड़की हमारे साहब का क्या कर सकती है ?"
करन साइड मे खडा़ ये सोच रहा था : " अगर उस बेचारी लड़की को इन लोगो ने कुछ कर दिया तो , वो बेचारी खुद मौत के मू मे आ रही है "
असलम बालकनी मे गया और वहा से आकर बोला : " हा यार है कुछ कपडे़ "
"तो जाकर लेआ न " गैंग मे से एक आदमी बोला ।
तो असलम बैठकर बोला : " नही नही , पता है न साहब ये सब पंसद नही करते , और मै ऐसे किसी के कपडे़ भी नही छूता "
अनवर ने असलम को देखकर कहा : " सही बात है , जा जाकर उस लड़की को अंदर बुला ( फिर उसने टेबल को देखकर कहा ) उससे पहले ये सब हटा "
राजवीर और कुछ आदमियों ने टेबल मे रखा सारा सामान हटाया ।
असलम जाने लगा करन ने उसे रोक दिया और सामने आते हुए बोला : " मै लेकर आता हूँ "
असलम " हम्म " बोलकर वही रूक गया और सबके साथ बैठ गया ।
करन बाहर आया , आयुषी ने जब उसे फोरमल कपडो़ मे देखा तो उसे थोडी़ सी राहत मिली ।
" डरो मत , तुम खुद अपने कपडे़ लेलो " करन आराम से अंदर जाते हुए बोला : " चलो "
आयुषी उसके पीछे पीछे चलकर अंदर आई । उसके आते ही एक दम से सन्नाटा छा गया सबकी नजर उसपर गई । आयुषी ने इधर उधर देखा तो सारे आदमी थे ।।उसे अजीब सा महसूस होने लगा । उसने अपनी नजरे हटाकर सामने देखना ठीक समझा । वहा एक आदमी ने जब अपने सामने उस लड़की यानी आयुषी को देखा तो देखता रह गया ।
उसने आयुषी को ऊपर से नीचे तक देखा फिर अजीब सी हँसी हसँकर बुदबुदाया : " क्या खूबसूरती है ,कायल ही कर दिया इसने तो ( उसने आयुषी के हाथो को देखकर कहा ) गोरे हाथ, ( फिर उसने आयुषी के होंठो को देखकर कहा ) क्या होंठ है जी चाहता है अपने होंठो से चूम लू "
वो अपने होंठो को छूने लगा और आयुषी को गलत जगह देखने लगा ।
करन ने बालकनी का दरवाजा खोलकर कहा : " इधर आओ "
आयुषी चुपचाप वहा चली गई । असलम ने उस आदमी की नजरे देख ली थी ।
वो अपने मन मे चिंता से सोचकर बोला : " ये आदमी भाई से मरना चाहता है क्या ? ( उसने सब से चिड़कर कहा ) ए जाओ यहा से सब और जबतक मै ना कहूँ तबतक अपनी ये काली शक्ले मत दिखाना मुझे "
सब आदमी कमरे मे चले गए पर उस आदमी की नजरे अभी भी बालकनी मे थी ।
सारे आदमियों के जाने के बाद भी वो आदमी नही गया तो असलम ने उसे डांटकर कहा : " ए सुनाई नही दिया क्या , जा यहा से और जबतक मै ना बुलाऊं तबतक मत आना "
उस आदमी ने असलम को देखा और फिर एक पल बालकनी मे देखकर अंदर चला गया ।
बालकनी मे -
आयुषी ने अपने कपडे़ उठाए और उन्हें गंदा देखकर मू पिचकाकर बोली : " ये तो दोबारा गंदे हो गए !"
करन जो एक पल के लिए उसकी मासूमियत देखकर पिघल गया था ।
वो उसे देखकर बोला : "हम्म हवा बहुत तेज थी ना इसलिए ये सब हो गया "
आयुषी ने उसे देखकर "हम्म " कहा ।
फिर अंदर देखकर मासूमियत से बोली : " वैसे आप ऐसे लोगो के बीच क्या कर रहे है ? "
करन ने अंदर देखा फिर आयुषी को देखकर जवाब दिया : "अपनी जॉब कर रहा हूँ , अब चलो अंदर अगर मेरे बॉस ने देख लिया न तो मेरी नौकरी चली जाएगी "
आयुषी ने उसकी बात सुनी और उसे देखकर मासूम सा चेहरा बनाकर पूछा : " क्या आपके बॉस इतने अक्कडू है ?"
करन ने अंदर देखा की कही सत्या नहाकर तो नही आया ।
फिर आयुषी को देख उसकी बात का जवाब देते हुए बोला : " हा बहुत ज्यादा अक्कडू , रूड एरोगेंट डानव जो भी बोलो कम ही है "
उसकी बात सुन आयुषी ने हैरानी से आँखें फैलाते हुए कहा : " बापरे तो आप काम कैसे करते है उनके साथ "
करन दरवाजे के पास गया और अंदर झांका वहा कोई नही था और उसने चैन की सांस भरी ।
उसने पीछे मुड़कर आयुषी को देखकर कहा : " बस बहुत साल हो गए है ना , इसलिए अब आदत हो गई है पर आज भी जब वो डांटते है तो डर रहता है "
आयुषी उसके पास आई और मासूमियत से बोली : " मुझे भी एक नौकरी की जरूरत है "
करन चिंता से बोला : " तुम हमारी कंपनी के अलावा कही पर भी जॉब करना , ( फिर उसने देखा की आयुषी बात कर रही है और फिर उसे सत्या का भी डर था, कही वो आ ना जाए इसलिए वो चिड़कर बोला ) अब चलो इससे पहले बोस बाहर आ जाए "
करन बिना आयुषी का जवाब सुने पीछे मुड़कर चला गया ।
आयुषी मासूमियत से बुदबुदाई : " बता तो देते आपकी कंपनी का नाम क्या है ? मुझे कैसे पता चलेगा की आपके बॉस किस कंपनी के मालिक है "
आयुषी को करन की बात याद आई ।
" अक्कडू , रूड एरोगेंट डानव जो भी बोलो कम ही है "
वो वहा खडी़ सोचते हुए बोली : " बापरे आयु जल्दी निकल वरना इनका बॉस मुझे भी डांटेगा "
करन बाहर आया, वहा कोई नही था असलम राजवीर और अनवर के अलावा ।
करन ने पीछे देखा और बुदबुदाया : " ये कहा रह गई ?"
आयुषी जाने लगी थी तबतक उसका ब्रेसलेट पौधे मे फंस गया और वो पूरी कोशिश से उसे निकालने लगी ।
करन ने घबराहट से बाथरूम की तरफ देखा और बालकनी मे देख चिल्लाकर कहा : " कहा रह गई ? जल्दी बाहर आओ "
करन की आवाज से आयुषी ने डर से एक झटके से ब्रेसलेट निकाला और बाहर गई ।
आयुषी बाहर आकर बोली : " हा हा मै आ गई "
उसने इधर उधर देखा तो वहा कोई नही था । असलम, राजवीर और अनवर के अलावा ।
" अब जल्दी जाओ " करन ने दरवाजा खोलकर कहा ।
आयुषी ने एक पल सबको देखा फिर बाहर निकलकर अपने फ्लेट मे चली गई ।
उसके जाते ही सत्या बाहर निकला उसने अपनी नजरे इधर उधर घुमाकर पूछा : " सब कहा है ?"
असलम ने सबको बुलाया : " सब आ जाओ "
उसकी आवाज सुनकर सब बाहर आ गए । असलम की नजर उस आदमी पर पडी़ जो इधर उधर देखकर आयुषी को ढूंढ रहा था ये देखकर असलम की आँखें सिकुड़ गई । करन अंदर आया ।
सत्या ने करन को अंदर आते हुए देखा तो रौबदार आवाज मे पूछा : " तुम कहा गए थे ? "
करन सत्या को देखकर घबरा गया और हकलाते हुए बोला : " वो सर..लड़की , आ "
लड़की का नाम सुन सत्या गुस्से से बोला : " लड़की, कौन लड़की ? क्या वो यहा आई थी , क्या उसे सब पता चला गया ? "
करन की इस हरकत पर असलम और बाकी सबने अपना सर पीट लिया । वो क्या था ना की करन सत्या से कभी झूठ नही बोलता था बस इसलिए घबराहट मे सच्ची बात निकल गई ।
असलम ने बात संभालते हुए कहा : " नही..नही साहब वो उस लड़की के कपडे़ उड़के आ गए थे ,बस वो लेने आई थी "
सत्या कुछ नही बोला और सोफे मे आकर बैठ गया और सब दोबारा शराब पीने लगे ।
राजवीर ने शराब का गिलास सत्या को पकडा़या पर ना जाने आचानक से सत्या को सुबह आयुषी की बात याद आ गई और वो बुदबुदाया : " वो लड़की ? कौन थी और मै उसे याद क्यों कर रहा हूँ ?"
वो गिलास हिलाकर जमींन को घूरकर सोच रहा था ।
अनवर ने जब उसे सोचते हुए देखा तो पूछा : " क्या सोच रहे है साहब "
उनकी बात पर सत्या ध्यान मे आया ।
उसने " कुछ नही " कहकर अपना सर झटका और सबके साथ जाम पीने लगा ।
उधर आयुषी अंदर आई , राधिका ने उसके पास जाकर पूछा : " दी कपडे़ मिले ?"
आयुषी ने मू बनाकर वो गंदे कपडे़ दिखाकर कहा : " मिल तो गए पर गंदे हो गए , दोबारा धोने पडे़गे "
आयुषी बाथरूम मे जाकर बोली : " मै इन्हें धोकर आती हूँ "
राधिका वही बैठकर टीवी देखने लगी । उधर सूट बूट पहने दो तीन आदमी, एक कपल के साथ आयुषी के फ्लेट के पास आए और उन्होंने घंटी बजाई ।
लड़की ने लड़के को देखकर पूछा : " क्या ये हमारी बात मानेंगे ? "
लड़का उसे दिलासा देते हुए बोला : " जरूर मानेंगे हम उन्हें situation समझाएगे "
लड़की ने दोबारा घंटी बजाकर मन मे कहा : " मान जाए तो ठीक है "
हर हर महादेव ।