दोनों कार मे बैठे और कुछ दूर जाने के बाद गाडी़ रूकी ।
आदमी ने कार साइड मे रोकी और आयुषी को चाबी देकर बोला : " ये है आपके फ्लेट की चाबी "
राधिका ने चिड़कर उस आदमी को घूरकर पूछा : "अब हमे दोबारा इस फ्लेट से निकाल तो नही दिया जाएगा न ? "
आदमी राधिका को देखकर बोला : " नही अब ऐसा नही होगा, यही आपका फ्लैट है और ये चाबी "
राधिका ने अपनी बात पूरी कर चिड़ते हुए कहा : " फ्लैट अच्छा नही हुआ ना तो बताऊंगी "
आदमी उसकी बात इग्नोर कर कार शुरू करने लगा । आयुषी और राधिका दोनो ने रोड पार की और वो आदमी कार लेकर चला गया । दोनों building के अंदर गए । वो ऊपर जा ही रहे थे तबतक आयुषी किसी से टकरा गई और उसका सारा सामान गिर गया ।
लड़का आयुषी के साथ जमींन मे बैठकर बोला : " ओ सौरी , मेरा ध्यान नही था "
ये कहकर उसने सामान उठाकर आयुषी को दिया । वो एक पल आयुषी को देखता रहा ।
आयुषी ने बिना उसे देखे सामान पकडा़ और समेटकर कहा : " इत्स ओकए "
लड़के ने पहली बार आयुषी को देखा था ।
उसने बात शुरू करते हुए कहा : " मैने कभी देखा नही, आपको "
आयुषी ने उसे देखकर जवाब दिया : " हा मै अभी नई आई हूँ "
" ओ हाय मेरा नाम रोहित है " रोहित ने अपना हाथ बडा़कर कहा ।
" हाय मेरा नाम आयुषी शर्मा है " आयुषी ने भी अपना हाथ मिलाकर कहा ।
" कौनसा फ्लेट है ? " रोहित ने पूछा ।
आयुषी ने चाबी देखकर अपना रूम नंबर बताया ।
रोहित खुशी से बोला " ओ ग्रेट इसी फ्लोर मे , मै भी रहता हूँ ,चलो "
आयुषी खडी़ हुई और " हम्म " बोलकर जाने लगी ।
रोहित उसके सामने आया और उस सामान को देखकर बोला : " कुछ सामान मुझे दे दो मै ले जाता हूँ "
आयुषी ने मना करते हुए कहा : " नही थैंक्स मै ले जाऊंगी "
रोहित उसे समझाते हुए बोला : " अरे हम दोनों एक दुसरे के फ्लैट के सामने रहते है चलो कुछ सामान मुझे देदो मुझे कुछ प्रोब्लम नही है "
आयुषी ने उसे मना किया पर रोहित ने उसे समझाकर कुछ सामान उठा लिया । राधिका ने लिफ्ट का बटन दबाया और तीनों लिफ्ट मे घुस गए । लिफ्ट के अंदर रोहित आयुषी को देख रहा था । उसका दिल आयुषी की और खींचा चला जा रहा था ।
लिफ्ट खुली -
रोहित ने उसके दरवाजे के सामने सामान रखकर कहा : " ये है तुम्हारा फ्लैट, कोई भी जरूरत हो तो ये ( उसने सामने उंगली करके कहा ) ये मेरा फ्लैट है , यहा आ जाना "
" थैंकयू रोहित " आयुषी बोली जैसे ही रोहित ने ये सुना तो उसे बहुत खुशी हुई ।
वो मुस्कराते हुए बोला : " दो कदम तो मैने सामान उठाया फिर हम लिफ्ट से आए इसमे थैंकस की क्या बात थी ? "
आयुषी ने फ्लैट की चाबी निकाली और रोहित को देखकर बोली : " जो भी है दो कदम हो या एक कदम, ( उसने प्यार से कहा ) दो कदम ही सही पर तुमने उठाया तो सही इसलिए थैंक्स "
रोहित मुस्कराकर बोला : " ओकए बिना बहस के मै आपका थैंक्स accept करता हूँ "
आयुषी ने मुस्कराकर उसे देखा और फ्लैट खोलने लगी ।
रोहित कुछ देर तक उसे देखता रहा फिर उसने राधिका को देखा और पूछा : " वैसे तुम्हारा नाम क्या है ?"
राधिका जो फोन मे बीजी थी ।
उसने रोहित को देखकर "राधिका " कहा ।
रोहित ने " अच्छा " कहा और आयुषी को देखकर झिझकते हुए बोला : " वो..अ..वो "
वो रूका और हिम्मत कर मन मे सोचने लगा : क्या मै इससे पूछू क्या ये मुझसे दोस्ती करेंगी ?"
वो अपने मन मे सोच रहा था पर कहने से पहले कुछ सोचकर रूक गया ।
उधर आयुषी ने फ्लैट खोल दिया था । उसने रोहित को देखा की वो कुछ सोच रहा है ।
" चलो रोहित अब तुम जाओ , मै भी जाती हूँ " आयुषी ने अपनी बात रखकर कहा ।
" रोहित बेटा कहा है " रोहित के फ्लैट से एक औरत निकलते हुए बोली ।
उनकी नजर अपने बेटे पर पडी़ और वो उसके पास आई । रोहित अपनी माँ की आवाज से होश मे आ गया था ।
उसने आयुषी को देखकर कहा : " आयुषी ये मेरी माँ है "
आयुषी ने उसकी बात पर उस औरत को देखा और : " नमस्ते आंटी , मैं आयुषी शर्मा हूं " उसने हाथ जोड़कर कहा ।
राधिका ने भी " नमस्ते आंटी मेरा नाम राधिका है " कहा ।
"नमस्ते बेटा " रोहित की मम्मी ने आयुषी और राधिका दोनों को देखा और उनके सामान को ।
" तुम दोनों को कभी देखा नही ? " रोहित की मम्मी ने सवाल किया ।
आयुषी के कहने से पहले रोहित ने उन्हे देखकर कहा : " माँ ये अभी आई है न्यू सिफ्ट हुई है "
रोहित की मम्मी ने आयुषी को देखकर : " ओ अच्छा ऐसा है " कहा
उन्होंने आयुषी को पूरा देखा उसका चेहरा , पहनावा सादगी देखकर उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई ।
राधिका जो फोन मे बीजी थी उसने देखा की आयुषी रोहित की मम्मी के साथ बीजी हो गई तो उसने मू बनाकर कहा : "दी मुझे भूख लगी है "
उसकी बात पर आयुषी ने उसे देखा , अपनी बहन का ऐसा मू देखकर वो बोली : " ठीक है बहन, चल "
आयुषी ने दरवाजा खोला ।
रोहित की मम्मी उन दोनों को देख बोली : " अरे बेटा , आप लोग थक गए होंगे चलो हमारे साथ कर लो डिनर "
रोहित ने भी अपनी माँ का साथ देकर कहा : " हा आयुषी तुम सफर करके थक गई होंगी, चलो एक साथ डिनर कर लेंगे "
आयुषी ने सामान उठाकर कहा : "नही आंटी मै नही थकी मै बना लूंगी "
रोहित की मम्मी ने मुस्कराकर कहा : " बिल्कुल नही , आप हमारे साथ डिनर कर रहे है , बस ये फाइनल बात है,( फिर उन्होंने रोहित को देखकर कहा ) चल रोहित "
रोहित ने अपनी माँ को देखकर " जी माँ " कहा ।
और आयुषी को देखकर बोला : "आयुषी तुम फ्रेश होकर आ जाओ "
आयुषी ने उन दोनों की बात मानकर " हा " कहा ।
रोहित अपनी माँ के साथ निकल गया पर उसकी नजर आयुषी पर ही थी और चेहरे पर मुस्कराहट वो बेसुद होकर अंदर आया । सामने उसकी माँ हाथ फोल्द किए और चेहरे पर मुस्कराहट लिए खडी़ थी ।
रोहित ने उन्हें देखा और अनकफ्टेबल हो गया और सर खुजलाकर पूछा : " क्या हुआ माँ , आप ऐसे क्यों देख रही है ? "
रोहित की मम्मी मुस्कराकर बोली : " देख रही हूँ मेरे बेटे को वो लड़की पंसद आ गई "
अपनी माँ की बात सुनकर वो खुदको मुस्कराने से नही रोक पाया ।
" माँ आप क्या कह रही है ? वो मुझे कैसे पंसद आ सकती है ? हम अभी मिले है " रोहित इधर उधर देखकर बोला ।
वो उसके पास आई और कान खींचकर बोली " तेरी माँ हूँ मै , सब पता रहता है अपने बच्चों के बारे मे "
" आआआआ.. माँ.. हा .. माँ " वो कान पकड़कर बोला ।
उसकी माँ ने कान छोडा़ और गाल खींचकर बोली : " बेटा बहुत प्यारी , खूबसूरत बच्ची है ऊपर से हमारे बगल मे ही रहती है "
रोहित ने मुस्कराकर " हम्म " कहा ।
एक कमरे से एक बुढी़ औरत बाहर आई और रोहित को देखकर पूछा : " क्या बाते हो रही है ?"
" कुछ नही दादी " रोहित हसँकर टालते हुए बोला ।
रोहित की मम्मी उसे टोककर बोली : " कैसे कुछ नही , बहुत कुछ हो गया है ( ये कहकर उन्होंने दादी को देखा और बोली ) आपके पोटे को प्यार हो गया है "
ये सुनकर दादी दुगनी रफ्तार से उनके पास आई और पूछा : "कौन है वो और नाम क्या है ?"
रोहित की मम्मी खुशी से बोली : " नाम क्या कुछ देर मे आपको मिला ही देता हूँ "
उधर आयुषी ने वो फ्लैट खोला तो देखकर हैरान रह गई, क्योंकि वो काफी बडा़ फ्लैट था पर उतना ही गंदा भी था । राधिका आराम से अपना सामान लेकर अंदर आई ।
उसने जब उस फ्लैट को देखा तो हैरानी से बोली : " वाओ दी , अच्छा ही हुआ हमे ये फ्लैट मिला , ( वो चारो तरफ घुमकर बोली ) देखो कितना बडा़ फ्लैट है "
आयुषी ने दरवाजा बंद किया और चाबी साइड मे रखकर बोली : " हम्म अब तू फ्रेश हो जा "
राधिका ने अपनी बहन को देखकर कहा : " दी मै यहा का सबसे बडा़ रूम लूंगी "
उसकी हरकतो पर आयुषी हसँते हुए बोली : " हा मेरी बहन जैसा तू कहे "
राधिका उसके गले लगकर बोली : " थैंक्यू.. थैंक्यू दी "
उसने अपना सामान उठाया और एक बडा़ सा रूम देखा । रूम देखकर उसने वहा अपना सामान रख दिया । आयुषी भी उसके बगल वाले रूम मे चली गई । बारिश तेजी से पड़ रही थी । सत्या चुपचाप उस बडे़ से शिशे के आगे खडे़ होकर बाहर बारिश और तेज हवा मे चलते पेड़ पौधे जो हवा की वजह हिल रहे थे उसे देख रहा था । वो बस बाहर देखकर गहरी सोच मे डूबा था । ना जाने कहा से उसे सुबह की यादो ने जकड़ लिया ।
" आ रही हूँ बहन " उसके कानो मे यही शब्द गुंज रहे थे और उसकी चुडि़यो की आवाज ।
वो वहा एक घंटे से खडा़ बस यही सोच रहा था ।
आचानक उसका ध्यान अनवर की बातो से टूटा : " साहब आप यहा खडे़ होकर क्या सोच रहे है ? "
उसने अनवर की बातो का कुछ जवाब नही दिया ।
अनवर ने चिंता से कहा : " साहब किसी बात से परेशान है क्या आप ? "
अनवर की बात से सत्या पीछे पलटा और सामने ब्रेसलेट को देखा ।
दिन मे जब वो शराब पी रहे थे । उसके कुछ देर बाद सत्या बाहर बिगडे़ हुए मौसम को देख रहा था । वो तूफान के नीचे जा खडा़ हुआ था । उसने बगल वाली बालकनी मे देखा तो वहा कोई नही था । वहा उड़ती हुई हवाए उसके चेहरे को छू रही थी और वो जैसे इनमे सुकून पाने की कोशिश कर रहा था ।
कुछ देर बाद वो पलटा उसकी नजर मे कुछ चमकिला दिखा आखिर थी उसकी पैनी नजर , उसकी नजरो से कोई नही बच सकता था ।वो वहा गया और उसने ब्रेसलेट उठाया ।
" ये ब्रेसलेट ?" वो हैरानी से बोला ।
वो बाहर आया और उसने अनवर को ब्रेसलेट दिखाकर पूछा : " ये किसका है ?"
वहा पर अनवर , असलम , राजवीर और करन थे । वो उसके हाथ मे ब्रेसलेट देखकर डर गए ।
जब सत्या को जवाब नही मिला तो वो वो बडे़ आराम से पर डरावनी आवाज मे बोला : " अगर किसी ने अपनी जुबांन नही खोलनी तो मै सबकी जुबांन कटवा देता हूँ "
ये सुनकर सब डर गए ।
करन हिम्मत कर बोला : " सर सुबह जो लड़की आई थी , ये उसका होगा शायद वो भूल गई "
सत्या उस ब्रेसलेट को देखता रहा ।
करन आगे बात बदलते हुए बोला : " सर आपकी मीटींग है "
" चलो अभी " सत्या ने कहा और ब्रेसलेट को किसी को ना देकर खुद अपनी जेब मे रखकर चला गया ।
अभी का समय -
वो सोफे के पास आया और टेबल से उस ब्रेसलेट को उठाकर बोला : " मुझे अभी फ्लैट मे जाना है "
अनवर उसे समझाते हुए बोला : "पर साहब अभी बारिश हो रही है "
" शायद सुना नही मैने जो कहा वो करो " सत्या कठोर आवाज मे बोला और अनवर चुपचाप चला गया ।
थोड़ी देर बाद वो तैयार होकर उसी तेज बारिश मे बाहर आया ।सत्या के बगल मे आदमी ने उसके ऊपर छाता खोला था । वो गाडी़ मे बैठा और उसी फ्लैट के सामने आ खडा़ हुआ । उसने घंटी बजाई और लड़की बाहर आई । सत्या ने उसकी मांग मे सिंदूर और गले मे मंगलसुत्र देखा पर इन सबको इग्नोर कर ।
उसने ब्रेसलेट आगे कर कठोर आवाज मे पूछा : " ये तुम्हारा ब्रेसलेट है ?"
" नही ये मेरा नही है " लड़की ने उस ब्रेसलेट को देखकर कहा ।
पीछे से अनवर बोला : " साहब ये वो बिटीया नही है जो सुबह आई थी "
ये सुनकर ना जाने उसे अच्छा लगा, पर उसने कुछ कहा नही और चुपचाप आगे निकल गया और अनवर उसके पीछे निकला । उसके पास डस्टबिन था ।
वो उस ब्रेसलेट को फेंकने लगा ही था तबतक उसका फोन बजा और सामने की बात सुनकर वो गुस्से से चिल्लाया : " तुम सब किसी काम के नही, तुम्हारी मौत तो तय है "
वो गुस्से मे नीचे आया और गाडी़ मे बैठकर निकल गया ।
हर हर महादेव ।