Dastane - ishq - 10 in Hindi Fiction Stories by Tanya Gauniyal books and stories PDF | Dastane - ishq - 10

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Dastane - ishq - 10

दोनों कार मे बैठे और कुछ दूर जाने के बाद गाडी़ रूकी ।

आदमी ने कार साइड मे रोकी और  आयुषी को चाबी देकर बोला : " ये है आपके फ्लेट की चाबी "

राधिका ने चिड़कर उस आदमी को घूरकर पूछा : "अब हमे दोबारा इस फ्लेट से निकाल तो नही  दिया जाएगा न ? "

आदमी राधिका को देखकर बोला :  " नही अब ऐसा नही होगा, यही आपका फ्लैट है और ये चाबी "

राधिका ने अपनी बात पूरी कर  चिड़ते हुए कहा  : " फ्लैट अच्छा नही हुआ ना तो बताऊंगी "

आदमी उसकी बात इग्नोर कर कार शुरू करने लगा । आयुषी और राधिका दोनो ने रोड पार की और वो आदमी कार लेकर चला गया । दोनों building   के अंदर गए । वो ऊपर जा ही रहे थे तबतक आयुषी किसी से  टकरा गई और उसका सारा  सामान गिर गया ।

लड़का आयुषी के साथ जमींन मे बैठकर  बोला : " ओ सौरी , मेरा ध्यान नही था "

ये कहकर उसने सामान उठाकर आयुषी को दिया  । वो एक पल आयुषी को देखता रहा ।

आयुषी ने बिना उसे देखे सामान पकडा़ और समेटकर  कहा  : " इत्स ओकए " 

लड़के ने पहली बार आयुषी को देखा था ।

उसने बात शुरू करते हुए कहा : " मैने कभी देखा नही, आपको "

आयुषी ने उसे देखकर  जवाब दिया :  " हा मै अभी नई आई हूँ " 

" ओ हाय मेरा नाम रोहित है "  रोहित ने  अपना हाथ बडा़कर कहा ।

" हाय मेरा नाम आयुषी शर्मा है " आयुषी ने भी अपना हाथ मिलाकर कहा ।

" कौनसा फ्लेट है ? " रोहित ने पूछा ।

आयुषी ने चाबी देखकर अपना रूम नंबर बताया ।

रोहित खुशी से बोला " ओ ग्रेट इसी फ्लोर मे , मै भी रहता हूँ ,चलो "

आयुषी खडी़ हुई और " हम्म " बोलकर  जाने लगी ।

रोहित उसके सामने आया और उस सामान को देखकर बोला  : " कुछ सामान मुझे दे दो मै ले जाता हूँ "

आयुषी ने मना करते हुए कहा : " नही थैंक्स मै ले जाऊंगी "

रोहित उसे समझाते हुए बोला : " अरे हम दोनों एक दुसरे के   फ्लैट के सामने रहते है चलो कुछ सामान मुझे देदो मुझे कुछ प्रोब्लम नही है "

आयुषी ने उसे मना किया पर रोहित ने उसे समझाकर कुछ सामान उठा लिया । राधिका ने लिफ्ट का बटन दबाया  और तीनों  लिफ्ट मे घुस गए । लिफ्ट के अंदर रोहित आयुषी को देख  रहा था । उसका दिल आयुषी की और खींचा चला जा रहा था । 

लिफ्ट खुली -

रोहित ने उसके दरवाजे के सामने सामान रखकर कहा : " ये है तुम्हारा फ्लैट, कोई भी जरूरत हो तो ये  ( उसने सामने उंगली करके कहा ) ये मेरा फ्लैट है , यहा आ जाना "

" थैंकयू रोहित " आयुषी बोली जैसे ही रोहित ने ये सुना तो  उसे बहुत खुशी हुई ।

वो मुस्कराते हुए बोला : " दो कदम तो मैने सामान उठाया फिर हम लिफ्ट से आए इसमे  थैंकस की क्या बात थी ? "

आयुषी ने फ्लैट की चाबी निकाली और रोहित को देखकर  बोली : " जो भी है दो कदम हो या एक कदम, ( उसने प्यार से कहा ) दो कदम ही सही पर तुमने उठाया तो सही इसलिए थैंक्स "

रोहित मुस्कराकर बोला : " ओकए बिना बहस के मै आपका थैंक्स accept करता हूँ "

आयुषी ने मुस्कराकर उसे देखा और फ्लैट खोलने लगी ।

रोहित कुछ देर तक उसे देखता रहा फिर उसने राधिका को देखा और पूछा : " वैसे तुम्हारा नाम क्या है ?"

राधिका जो फोन मे बीजी थी ।

उसने रोहित को देखकर  "राधिका " कहा ।

रोहित ने " अच्छा " कहा और आयुषी को देखकर  झिझकते हुए बोला : " वो..अ..वो " 

वो रूका और हिम्मत कर मन मे सोचने लगा :  क्या मै इससे पूछू  क्या ये  मुझसे दोस्ती करेंगी  ?"

वो अपने मन मे सोच रहा था  पर कहने से पहले कुछ सोचकर रूक गया । 

उधर आयुषी ने फ्लैट खोल दिया था । उसने रोहित को देखा की वो कुछ सोच रहा है ।

" चलो रोहित अब तुम जाओ , मै भी जाती हूँ " आयुषी ने अपनी बात रखकर कहा ।

 " रोहित बेटा कहा है "  रोहित के फ्लैट से एक औरत निकलते हुए बोली ।

उनकी नजर अपने बेटे पर पडी़ और वो  उसके  पास आई । रोहित अपनी माँ की आवाज से होश मे आ गया था ।

उसने आयुषी को देखकर  कहा : " आयुषी ये मेरी माँ है "

आयुषी ने उसकी बात पर उस औरत को देखा और  : " नमस्ते आंटी , मैं आयुषी शर्मा  हूं " उसने  हाथ जोड़कर कहा ।

राधिका ने भी " नमस्ते आंटी मेरा नाम राधिका  है  "  कहा ।

"नमस्ते बेटा  " रोहित की मम्मी ने आयुषी और राधिका दोनों को देखा और उनके सामान को ।

" तुम दोनों को कभी देखा नही ? " रोहित की मम्मी ने सवाल किया ।

आयुषी के कहने से पहले रोहित ने  उन्हे देखकर कहा  : "  माँ ये अभी आई है न्यू सिफ्ट हुई है "

रोहित की मम्मी ने आयुषी को देखकर : " ओ अच्छा  ऐसा है " कहा

उन्होंने आयुषी को पूरा देखा उसका चेहरा , पहनावा सादगी देखकर उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई ।

राधिका जो फोन मे बीजी थी उसने देखा की आयुषी रोहित की मम्मी के साथ बीजी हो गई तो उसने मू बनाकर कहा : "दी  मुझे भूख लगी है " 

उसकी बात पर आयुषी ने उसे देखा , अपनी बहन का ऐसा मू देखकर वो बोली : "  ठीक है बहन, चल "

आयुषी ने दरवाजा खोला ।

रोहित की मम्मी उन दोनों को देख बोली : " अरे बेटा , आप लोग थक गए होंगे चलो हमारे साथ कर लो डिनर "

रोहित ने भी अपनी माँ का साथ देकर कहा : " हा आयुषी तुम सफर करके थक गई होंगी, चलो एक साथ डिनर कर लेंगे "

आयुषी ने सामान उठाकर  कहा :  "नही आंटी मै नही थकी मै बना लूंगी "

रोहित की मम्मी ने मुस्कराकर कहा :  " बिल्कुल नही , आप हमारे साथ डिनर कर रहे है , बस ये फाइनल बात है,( फिर उन्होंने रोहित को देखकर कहा ) चल रोहित "

रोहित ने अपनी माँ को देखकर  " जी माँ " कहा ।

और आयुषी को देखकर बोला : "आयुषी तुम फ्रेश होकर आ जाओ "

आयुषी ने उन दोनों की बात मानकर  " हा " कहा ।

रोहित अपनी माँ के साथ निकल गया पर उसकी नजर आयुषी पर ही थी और चेहरे पर मुस्कराहट वो बेसुद होकर अंदर आया । सामने उसकी माँ हाथ फोल्द किए और चेहरे पर मुस्कराहट लिए खडी़ थी ।

रोहित ने उन्हें देखा और अनकफ्टेबल हो गया और सर खुजलाकर पूछा : " क्या हुआ माँ , आप ऐसे क्यों देख रही है ? "

रोहित की मम्मी मुस्कराकर बोली : " देख रही हूँ मेरे बेटे को वो लड़की पंसद आ गई "

अपनी माँ की बात सुनकर वो खुदको मुस्कराने से नही रोक पाया ।

  "  माँ आप क्या कह रही है ? वो मुझे कैसे पंसद आ सकती है ? हम अभी मिले है "  रोहित इधर उधर देखकर बोला ।

वो उसके पास आई और कान खींचकर बोली " तेरी माँ हूँ मै , सब पता रहता है अपने बच्चों के बारे मे "

" आआआआ..  माँ.. हा .. माँ " वो कान पकड़कर बोला ।

उसकी माँ ने कान छोडा़ और गाल खींचकर बोली : " बेटा बहुत प्यारी , खूबसूरत बच्ची है ऊपर से हमारे बगल मे ही रहती है "

रोहित ने मुस्कराकर " हम्म  " कहा ।

एक कमरे से एक बुढी़ औरत बाहर आई और रोहित को देखकर पूछा  : " क्या बाते हो रही है ?"

" कुछ नही दादी " रोहित हसँकर टालते  हुए  बोला ।

रोहित की मम्मी उसे टोककर बोली : " कैसे कुछ नही , बहुत कुछ हो गया है  ( ये कहकर उन्होंने दादी को देखा और बोली ) आपके पोटे को प्यार हो गया है "

ये सुनकर  दादी दुगनी रफ्तार से उनके पास आई और पूछा : "कौन है वो और नाम क्या है ?"

 रोहित की मम्मी खुशी से बोली :  " नाम क्या कुछ देर मे आपको मिला ही देता हूँ " 

उधर आयुषी ने वो फ्लैट खोला तो देखकर हैरान रह गई, क्योंकि वो काफी बडा़ फ्लैट  था पर उतना ही गंदा भी था । राधिका आराम से अपना सामान लेकर अंदर आई ।

उसने जब उस फ्लैट को देखा तो हैरानी से बोली : " वाओ दी , अच्छा ही हुआ हमे ये फ्लैट मिला , ( वो चारो तरफ घुमकर बोली  ) देखो कितना बडा़ फ्लैट  है "

आयुषी ने दरवाजा बंद किया और चाबी साइड मे रखकर बोली : " हम्म अब तू फ्रेश हो जा " 

राधिका ने  अपनी बहन को देखकर कहा : " दी मै यहा का सबसे बडा़ रूम लूंगी " 

उसकी हरकतो पर आयुषी हसँते हुए बोली : " हा मेरी बहन जैसा तू कहे  "

राधिका उसके गले लगकर बोली : " थैंक्यू.. थैंक्यू  दी "

उसने अपना सामान उठाया और एक बडा़ सा रूम देखा । रूम देखकर उसने वहा अपना सामान रख दिया । आयुषी भी उसके बगल वाले रूम मे चली गई । बारिश तेजी से पड़ रही थी ।  सत्या चुपचाप उस बडे़ से शिशे के आगे खडे़ होकर बाहर बारिश और तेज हवा मे चलते पेड़ पौधे  जो हवा की वजह  हिल रहे थे उसे देख रहा था । वो बस  बाहर देखकर  गहरी सोच मे डूबा  था । ना जाने कहा से उसे सुबह की यादो ने जकड़ लिया ।

" आ रही हूँ बहन " उसके कानो मे यही शब्द गुंज रहे थे और उसकी चुडि़यो की आवाज  ।

वो वहा एक घंटे से खडा़ बस यही सोच रहा था ।

आचानक उसका ध्यान अनवर की बातो से टूटा : " साहब आप यहा खडे़ होकर क्या सोच रहे है ? "

उसने अनवर की बातो का कुछ जवाब नही दिया  ।

अनवर ने चिंता से कहा : " साहब किसी बात से परेशान है क्या आप ? "

अनवर की बात से सत्या पीछे  पलटा और सामने ब्रेसलेट को देखा ।

दिन मे जब वो शराब पी रहे थे । उसके कुछ देर बाद सत्या बाहर बिगडे़ हुए मौसम को देख रहा था । वो तूफान के नीचे जा खडा़ हुआ था । उसने बगल वाली बालकनी मे  देखा तो वहा कोई नही था । वहा उड़ती हुई हवाए उसके चेहरे को छू रही थी और वो जैसे इनमे सुकून पाने की कोशिश कर रहा था ।

कुछ देर बाद वो पलटा उसकी नजर मे कुछ चमकिला दिखा आखिर थी उसकी पैनी नजर , उसकी नजरो से कोई नही बच सकता था ।वो वहा गया और उसने ब्रेसलेट उठाया ।

" ये ब्रेसलेट ?"  वो हैरानी से बोला ।

वो बाहर आया और उसने  अनवर को ब्रेसलेट दिखाकर पूछा : " ये किसका है ?"

वहा पर अनवर , असलम , राजवीर और करन थे । वो उसके हाथ मे ब्रेसलेट देखकर डर गए । 

जब सत्या को जवाब नही मिला तो वो वो बडे़ आराम से पर डरावनी आवाज मे बोला : " अगर किसी ने अपनी जुबांन नही खोलनी तो मै सबकी जुबांन कटवा  देता हूँ  "

ये सुनकर  सब डर गए ।

करन हिम्मत कर बोला : " सर सुबह जो लड़की आई थी , ये उसका होगा शायद वो भूल गई "

सत्या उस ब्रेसलेट को देखता रहा ।

करन आगे बात बदलते हुए बोला : " सर आपकी मीटींग है "

" चलो अभी " सत्या ने कहा और ब्रेसलेट को किसी को ना देकर खुद अपनी जेब मे रखकर चला गया । 

अभी का समय -

वो सोफे के पास आया और टेबल से उस ब्रेसलेट को उठाकर बोला  : " मुझे अभी फ्लैट मे जाना है "

अनवर उसे समझाते हुए बोला :  "पर साहब अभी  बारिश हो रही है "

" शायद सुना नही मैने जो कहा वो करो " सत्या कठोर आवाज मे बोला और अनवर चुपचाप चला गया ।

थोड़ी देर बाद वो तैयार होकर उसी तेज बारिश मे बाहर आया ।सत्या के बगल मे आदमी ने उसके ऊपर छाता  खोला था । वो गाडी़ मे बैठा और उसी फ्लैट के सामने आ खडा़ हुआ । उसने घंटी बजाई और लड़की बाहर आई । सत्या ने उसकी मांग मे सिंदूर और गले मे मंगलसुत्र देखा पर इन सबको इग्नोर कर  ।

उसने ब्रेसलेट आगे कर  कठोर आवाज मे पूछा  : " ये तुम्हारा ब्रेसलेट है ?" 

" नही ये मेरा नही है " लड़की ने उस ब्रेसलेट को देखकर कहा ।

पीछे से अनवर बोला :  " साहब ये वो बिटीया नही है जो सुबह आई थी "

ये सुनकर ना जाने उसे अच्छा लगा, पर उसने कुछ कहा नही और चुपचाप आगे निकल गया और अनवर उसके पीछे  निकला । उसके पास डस्टबिन था ।

वो उस ब्रेसलेट को फेंकने लगा ही था तबतक उसका फोन बजा और सामने की बात सुनकर वो गुस्से से चिल्लाया : " तुम सब किसी काम के नही, तुम्हारी मौत तो तय है "

वो गुस्से मे नीचे आया और गाडी़ मे बैठकर निकल गया । 

हर हर महादेव ।