क्या भूत होते हैं?
क्या ये कहानियाँ सच होती हैं या सब झूठ ही हैं?
हाँ, मैं बात कर रहा हूँ एक ऐसी सच्ची घटना की, जिसे सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। यह कहानी उन आज के युवाओं की है, जो पुरानी बातों और किस्सों को केवल अफवाह मानते हैं। जिनके लिए भूत-प्रेत सिर्फ फिल्मों या किताबों की बातें हैं, और जो यह मानते हैं कि आज के वैज्ञानिक युग में ऐसी बातों का कोई स्थान नहीं है।
यह घटना अर्जुन नामक एक 22 वर्षीय युवक की है, जो अपनी पढ़ाई के लिए जूनापुर नामक एक छोटे से कस्बे में आया था। यह कस्बा बाहर से देखने में तो साधारण लगता है, लेकिन इसके नाम के साथ एक डरावनी हकीकत जुड़ी हुई है। आज भी जब कोई जूनापुर का नाम लेता है, तो बुज़ुर्गों की आंखें गंभीर हो जाती हैं और बच्चों की रूह कांपने लगती है।
शुरुआत में अर्जुन को इन बातों पर हँसी आती थी। उसे लगता था कि ये सब ग्रामीण लोगों की बनाई हुई कहानियाँ हैं, जिनका असलियत से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन कॉलेज पहुँचते ही उसे चारों ओर एक ही बात सुनाई देने लगी —
"यह जगह पढ़ाई के लिए नहीं, मौत के कुएं जैसी है।"
छात्र आपस में कहते, “यहाँ पढ़ने से अच्छा है अनपढ़ रहना, कम से कम ज़िंदा तो रहोगे।” उनका मानना था कि जो भी इस शहर में आता है, यदि उसके कर्म शुद्ध नहीं हैं, तो वह यहाँ से ज़िंदा नहीं लौटता।
अर्जुन का एक मित्र था — गगन। वह महाकाल का गहरा भक्त था और स्वभाव से शांत। उसने कई बार अर्जुन को सावधान किया, “इस शहर का अतीत बहुत भयानक है। यहाँ ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिनका कोई समाधान आज तक नहीं मिला।”
पर अर्जुन हमेशा हँसते हुए बात को टाल देता। “अरे यार! तू भी वही पुरानी भूत-प्रेत की कहानी शुरू मत कर। बता दे पूरी कहानी, थोड़ा मनोरंजन हो जाएगा। टाइम पास अच्छा हो जाएगा इन झूठी बातों से।”
लेकिन उस दिन गगन चुप नहीं रहा। उसका चेहरा गंभीर था, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चेतावनी थी। उसने अर्जुन की आंखों में झांकते हुए कहा,
“जिस दिन तू इन बातों पर हँसना छोड़ देगा ना अर्जुन, तब तुमको एक असली दुनिया का सच और एक गंभीर राज नजर आएगा।
अर्जुन की हँसी थोड़ी देर के लिए थमी, फिर वह बोला, “अरे चल ना, अब कहानी शुरू कर दे। तू डराने की कोशिश मत कर। और बता क्या है इस शहर का खौफनाक लम्हा । ”
गगन ने आंखें बंद कीं, एक गहरी साँस ली और बोलना शुरू किया। उसकी आवाज़ में ऐसा यथार्थ घुला कि अर्जुन की हँसी अब गायब थी। अब उसकी आँखें झुकी हुई थीं, माथे पर पसीना और चेहरे पर डर की झलक थी। वह एकदम चुप हो गया था — जैसे किसी ने उसकी रूह छू ली हो।
क्या वास्तव में कुछ जगहें ऐसी होती हैं, जहाँ आत्माएँ आज भी भटक रही हैं?
या यह सब सिर्फ हमारे मन का भ्रम है?
गगन ने अर्जुन को आखिर क्या बताया?
यह जानने के लिए अगला भाग पढ़ें...
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