Badchalan Daayan - 2 in Hindi Horror Stories by Katha kunal books and stories PDF | बदचलन डायन - 2

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बदचलन डायन - 2

यह कहानी है एक ऐसे शहर की, जो बाहर से तो आम लगता था, लेकिन उसके भीतर कई रहस्य छुपे हुए थे। एक ऐसा राज जिसे शहर का हर पुराना व्यक्ति जानता था — लेकिन कॉलेज के नए छात्र इस सच्चाई से अनजान थे।

इन्हीं नए छात्रों में एक था अर्जुन। वह बड़ा समझदार और तार्किक सोच रखने वाला लड़का था। उसके लिए भूत-प्रेत, आत्मा और रहस्य जैसी बातें सिर्फ किताबों और फिल्मों तक सीमित थीं। वह हमेशा कहता था, "ये सब मनगढ़ंत कहानियां हैं, इनका असल ज़िंदगी से कोई लेना-देना नहीं।"

एक दिन कॉलेज कैंपस में उसकी मुलाकात गगन नाम के लड़के से हुई। गगन ने अर्जुन की बातों को सुना और मुस्कराकर बोला, "तू सोचता है ये सब झूठ है, पर इस शहर की एक कहानी ऐसी है जिसे आज तक कोई नया आदमी नहीं समझ पाया। इस शहर का बच्चा-बच्चा इसे जानता है। अगर तेरे पास समय है, तो सुन..."

अर्जुन ने सिर हिलाया और गगन ने कहानी शुरू की।

"यह उस समय की बात है जब एक अमीर घर की लड़की इस शहर में पढ़ाई करने आई थी। वह जानती थी कि अगर वह पढ़ाई में कमजोर भी रहे तो पैसे देकर पास हो सकती है। शुरू में वह चुप-चाप रहती थी, लेकिन जल्दी ही उसने एक बॉयफ्रेंड बना लिया। उनका रिश्ता लंबा चला, पर वह लड़का केवल उसका इस्तेमाल करता था — और शायद वह लड़की भी वही कर रही थी।"

"वे रोज मिलते, क्लब जाते, पार्टियाँ करते और रातें साथ बिताते। धीरे-धीरे लड़की को उस लड़के से ऊब हो गई। उसने नया बॉयफ्रेंड बना लिया। फिर यह सिलसिला चलता ही गया — एक के बाद एक। उसे अब जिस्म बदल-बदलकर जीवन जीने की आदत लग चुकी थी।"

"जब उसके पिता को उसकी हरकतों का पता चला, उन्होंने उसे घर से निकाल दिया। अब उसका कोई नहीं था — न परिवार, न साथी। तब उसने एक अमीर लड़के से रिश्ता बनाया और शादी की बात की। लेकिन उस लड़के ने उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाल दीं और उसे 'बदचलन' कह कर बदनाम कर दिया।"

"अब जब भी वह लड़की बाहर जाती, लोग उसे गंदी नजरों से देखते, कुछ कहते — ‘रेट क्या है?’, ‘करोगी? पैसे ले लेना।’"

"उसे अपनी गलतियों का एहसास हुआ। वह खुद को सुधारना चाहती थी, लेकिन समाज ने उसे कोई मौका नहीं दिया। वह मानसिक रूप से टूट चुकी थी। अंत में, उसने आत्महत्या कर ली।"

"लेकिन उसकी आत्मा को शांति नहीं मिली। कहते हैं, वह आज भी जिंदा है — एक आत्मा बनकर। वह लड़कियों के शरीर में समा जाती है, फिर किसी लड़के को फँसाती है, उससे रिश्ता बनाती है... और फिर उसकी जान ले लेती है। फिर अगला शिकार ढूंढती है।"

ये सब सुनकर अर्जुन की आँखें खुली की खुली रह गईं। वह चुप हो गया, सोचने लगा। उसे अब समझ आ गया था कि हर बात मज़ाक नहीं होती। उसने गहरी सांस ली और खुद से कहा,
"मैं अपने माता-पिता को ज़िंदगी में खुश देखना चाहता हूँ। इसके लिए मुझे मेहनत करनी होगी, एक अच्छी नौकरी पानी होगी, और इसके लिए पढ़ाई ज़रूरी है। अब मुझे सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना है।"