Eclipsed Love - 2 in Hindi Fiction Stories by Day Dreamer books and stories PDF | Eclipsed Love - 2

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Eclipsed Love - 2

 रक्ताचार्य ने जैसे ही कुछ मंत्र उच्चारण करते हुए हल्के से एक धारदार तलवार उस युवती के एक हाथ तक ले जाकर  अचानक उसके हाथ को तलवार के सहारे आगे की तरफ करते हुए उसकी कलाई पर तेजी से प्रहार किया । जिससे उस युवती के एक तेज चीख के साथ रक्त की पहली बूँद उस यज्ञ कुंड में  जा गिरी और इतने में उस पूरे तहखाने में जैसे हलचल मच गई थी। हवा अचानक ठंडी और भारी हो गई थी। रक्ताचार्य गहरी आवाज में मंत्र पढ़ते हुए बोला- "देवी चंडिका, इस पवित्र रक्त को स्वीकार करो। इस रक्त के माध्यम से चन्दवंशी वंश को अमरता का वरदान दो।" इसी के साथ हवाओं में गूँजती उस युवती की चीखें अचानक थम गई। कुंड से उठने वाली लपटें लाल हो गई, और राजा व उनके वंशजों के शरीर में एक अजीब सी ऊर्जा दौड़ने लगी थी। अचानक उनकी आँखें खून की तरह लाल हो गई और उनके दो कॉर्नर के दांत  नुकीले और लंबे होने लगे थे। ये अजीब सा बदलाव देखकर वो सभी आश्चर्यचकित रह गए थे लेकिन रक्ताचार्य धीरे से मुस्कुराते हुए बोला- " बधाई हो महाराज अब से सम्पूर्ण चंद्रवंशी सम्राज्य वैम्पायर कहलाए जाएंगे ।  यानी कि अमर  और अजर , जो कभी नहीं मर सकता। लेकिन याद रखें, यह शक्ति एक शाप भी है।  इसे जितनी जल्दी हो सके नियंत्रित करना सीखिए, वरना यह आपको और आपके पूरे वंश के सर्वनाश का कारण भी बन सकता है।" जहां एकतरफ सभी चन्दवंशी वंश के लोग अब रक्ताचार्य के समक्ष अपना सीस झुकाकर उसे अपना गुरु मान चुके थे, तो वहीं इसी वंश का कोई था जो इन सब बातों से पूरी तरह से अनजान था। यहां चाँदनी रात में नदी के किनारे खड़ी एक युवती एकटक नदी में उस चाँद के प्रतिबिंब को देखे जा रही थी। उसकी आँखों में एक अनकहा दर्द और होंठों पर एक अधूरी मुस्कान थी। लेकिन उसकी खूबसूरत का कोई जवाब नहीं था। तभी उसके पास एक सुंदर युवक आकर खड़ा हो गया और धीरे से मुस्कुराते हुए बोला- "सुंदरी यह जंगल खतरनाक है। तुम्हें यहाँ नहीं होना चाहिए।" जिसपर उस युवती ने निडर होकर कहा- "यह जंगल मेरा घर है। और आप? राजकुमार होते हुए भी आप यहाँ क्यों आए हैं?" इस वक्त उसके शब्दों में नाराजगी झलक रही थी। अग्निवंश उसकी बात सुनकर हल्के से मुस्कुरा दिया और उसे कमर से पकड़कर एकदम से अपने करीब खींचते हुए बोला- "अच्छा तो हमारी प्यारी माया हमसे रूठी हुई है?" जिसपर माया अपनी अदाएं बिखेरते हुए बोली- "रूठेगी वो भी माया, कभी नहीं, मैं भला क्यों रूठने लगी? अब आप तो एक राजकुमार हैं और मैं बस एक मामूली सी दासी, मैं भला कैसे एक राजकुमार से रूठने की गुस्ताखी कर सकती हूँ।" अग्निवंश ने हल्के से माया के गुस्से से लाल हो चुके नाक को टच किया और उसे इधर उधर मूव कराते हुए कहा- "मेरी नटखट महबूबा, तुम्हारा मुझपर पूरा हक है और बहुत जल्द तुम हमारी पत्नी यानी कि चन्दवंशी वंश की युवरानी बनने वाली हो।" ये सुनकर माया पहले तो बहुत खुश हो गई थी लेकिन फिर कुछ सोचकर वह एकदम से मायूस हो गई और बोली- "सपने देखना अच्छी बात है, लेकिन आपके पिता हमारे इस रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करेंगे राजकुमार।" अग्निवंश पूरे विश्वास के साथ बोला- "वो जरूर करेंगे, तुम उनकी चिंता मत करो, तुम्हें मुझपर भरोसा तो है ना।" जिसपर माया ने सहमति से अपना सिर हिला दिया और अग्निवंश ने माया को कसकर अपने अपने मजबूत बाहों में भर  लिया था। माया वह लड़की थी जिसने अग्निवंश को कुछ समय पहले शिकारियों से बचाया था और तब से उन दोनों के बीच यह प्रेम प्रसंग की शुरुआत हुई थी।

कुछ समय तक सबकुछ ऐसे ही चलता रहा, वहीं इन दिनों राजा अग्निवीर के अंदर अब क्रूरता और अंधेरे ने अपना दबदबा बना लिया था। लेकिन अग्निवंश जो चन्दवंशी खानदान का जायज़ वारिस था, वो इन सब बातों से पूरी तरह से अनाजन था। वो अपने शिकार और माया के साथ अपनी सपनों से भरी खूबसूरत जिंदगी बिल्कुल पहले की तरह ही जी रहा था। लेकिन एक दिन माया, जो अपने गांव की युवतियों के अचानक गायब होने से परेशान थी, वो  गुप्त रूप से महल के तहखाने में पहुँच गई। वहाँ का दृश्य शरीर के अंदर से आत्मा निचोड़ देने वाली थी।  जब उसने देखा कि निर्दोष लड़कियों को बलि के लिए कैसे यहांपर कैद किया गया था। तो ये सब देखकर माया का ह्रदय  अनगिनत दर्द से घिर गया था ।  वो इसवक्त ज्वालामुखी की तरह फटकर इस पूरे सम्राज्य को सचमुच आग लगा देना चाहती थी।

 तभी वहांपर किसी के आने की आहट हुई और  अचानक माया को पीछे से किसी ने आकर तेजी से खींचा और उसे अपने साथ लेकर एक दूसरे सुरक्षित हिस्से में लेकर आ गया। ये अग्निवंश था, जिसने उसे चुपके से अंदर आते हुए देख लिया था और उसका पीछा करते हुए यहां तक पहुचा था। उसने माया को देखकर चिंतित स्वर में कहा-”माया तुम यहांपर क्या कर रही हो? वो भी इस तरह से?”

भले ही अग्निवंश एक राजकुमार था लेकिन माया भी कोई साधारण लड़की नहीं थी। वह देवी चंडिका की उपासक थी और अपने गांव की संरक्षक के रूप में चुनी गई थी। उसे पता चला कि अग्निवंश के परिवार की शक्ति निर्दोष जीवन को नष्ट करने पर आधारित है। जब माया को यह सच्चाई पता चली कि वह जिनसे प्रेम करती है, वे एक वैम्पायर वंश का हिस्सा हैं, उसका दिल बुरी तरह से टूट गया था।

लेकिन माया आँसू भरी आँखों के साथ बोली- "तो यह है तुम्हारे परिवार का सच, अग्निवंश! तुम और तुम्हारा वंश निर्दोषों का खून बहाकर अपनी ताकत बढ़ाते हो? धिक्कार है , तुम सब इंसान कहलाने के लायक नहीं हो। वाकेहि तुम सब इंसान हो ही नहीं।" जब माया ने उससे ये  सब कहा तो अग्निवंश ने दर्द भरे स्वर में उससे कहा- "माया, मुझे पता है कि यह सब गलत है। मुझे खुद कल ही यह सब पता चला है, मैंने पिता जी से बात की है। मेरा यकीन मानों तुम मैं खुद इन मिथकों को खत्म करना चाहता हूँ, पर मेरे हाथ बंधे हुए हैं। पर मैं वादा करता हूँ, तुम्हारे गांव और बाकी निर्दोषों को बचाऊँगा। लेकिन मुझे थोड़ा समय दो, मैं विनती कर रहा हूँ तुमसे।" अग्निवंश, माया से सच्चा प्रेम करता था। उसने माया को यह वादा किया कि वह अपने पिता की क्रूर परंपराओं को खत्म करेंगे, लेकिन माया उससे ये शब्द सुनकर ही वहाँ से गुस्से में बाहर निकल गई थी और उसने जाने से पहले अग्निवंश की दी हुई आखिरी निशानी एक खूबसूरत लॉकेट उसके मुँह पर दे मारा था।

 

मतलब वो यहां से उससे अपना रिश्ता पूरी तरह से खत्म करके गई थी। पीछे से अग्निवंश उसे जाते हुए बस देखता ही रह गया था लेकिन वो उसके पीछे जा पाता इससे पहले ही किसी ने पीछे से आकर उसके कंधे पर एक नशीली चीज चुभा दी थी , जिससे वो वहीं पर मूर्छित हो गया था।

वहीं जब राजा अग्निवीर को माया और अग्निवंश के प्रेम का पता चलता है, तो वह क्रोधित हो जाते हैं। राजा अग्निवीर धमकी भरे स्वर में अपने एक खास सिपाही से बोला- "यह दासी लड़की हमारे वंश के लिए खतरा है। इसे तुरंत बलिदान के लिए तैयार करो। अग्निवंश, तुम्हारा प्रेम तुम्हें बर्बाद कर देगा।" कहते हुए वो अपने मूर्छित बेटे को देख रहा था।  इसके बाद माया को अग्निवीर के सैनिकों द्वारा जबर्दस्ती देवी चंडिका की प्रार्थना के लिए मंदिर में ले जाया गया। तब माया ने दृढ़ स्वर में कहा- "हे माता, मुझे अपनी शक्ति दो। इन राक्षसों का अंत मेरे रक्त से हो। मैं प्रार्थना करती हूँ कि यह वंश कभी सच्चा प्रेम न जान पाए। इनकी आत्माएँ इस शाप के बोझ तले दबकर खत्म हो जाएं।" देवी चंडिका की शक्ति से माया बलिदान देती है। उसके खून के स्पर्श से वैम्पायर वंश पर शाप लग जाता है। लेकिन मरने से पहले, माया अपनी अंतिम सांस में भविष्यवाणी करती है। माया धीमे स्वर में- "जब मेरा वंशज, मानव और वैम्पायर के खून का संगम, इस दुनिया में आएगा, तब यह शाप टूटेगा। लेकिन इसकी कीमत प्रेम और उसकी अपनी जान होगी।" माया के बलिदान के बाद, वैम्पायर वंश के लोग धीरे-धीरे अपने ही अंधकार और शाप के कारण बर्बाद होने लगे। उनकी शक्ति घटने लगी, और वे एक-दूसरे के ही दुश्मन बन गए। उनके बीच इस शक्ति विभाजन का फायदा दूसरे मोंस्टर्स और बुरी शक्तियां उठाने लगे।

अग्निवंश, जो माया को बचाने में असफल रहे, अपने शापित जीवन को समाप्त करने के लिए जंगलों में चले गए। लेकिन वैम्पायर होने के कारण उनकी मृत्यु संभव नहीं थी।

 

वर्तमान में  अपनी सारी बात खत्म करके तारक ने जैसे ही अपने सामने बैठे उस खतरनाक आभा वाले शख्स को देखा तो उसने पाया कि वो वहीं बैठे बैठें नींद के आगोश में डूबा हुआ था।  ये देखकर तारक की बूढ़ी चतुर आंखे फटी की फटी रह गई , वो इस लापरवाह लड़के को इतनी देर से बिना रुके इतनी महत्वपूर्ण गाथा सुना रहे थे और ये महाराज यहांपर न जाने अपनी कितने जन्मों की नींद फरमा रहे थे?

तारक अपना गला साफ करते हुए धीमे स्वर में बोला-”तुम समझ गए, राजकुमार? यही वह शाप है, जिसे तुम्हारे पिता और तुम्हारे वंशज झेल रहे हैं। और आज महाराज कहीं चलने फिरने की हालत में नहीं हैं?“

जिसपर उसे सामने से उस सोए हुए शख्स की एकदम ख़ौफ़नाक आवाज सुनाई दी वो बोला-"तो क्या इस शाप को खत्म करने का कोई रास्ता है तुम्हारे पास?" ये कहते हुए उसकी आंखें धीरे से खुली और उसकी सिल्वर कलर की  रहस्यमई नजरें तारक के उन खोखली नजरों से जा टकराई।

तारक ने उसकी नजरों से नजर भिड़ते ही एक झूठी मुस्कान के साथ कहा-"हाँ, बिल्कुल, माया की आत्मा ने एक भविष्यवाणी की थी ना। माया का एक वंशज—एक लड़की, जिसका खून इस शाप को तोड़ सकता है। लेकिन उसे ढूँढना कोई इतना आसान नहीं होगा। “ ये सुनकर वो शख्स अपनी जगह से एकदम से उठ खड़ा हुआ और दृढता से बोला-” ऐसा कोई कार्य नहीं जो सिर्वेश चन्दवंशी न कर सकें, तुम आगे बोलों, वैसे  माया का कोई भी वंशज आख़िर कहीं भी जीवित कैसे हो सकता है? ” जिसपर तारक ने उसे बताया-” ऐसा जरूर हो सकता है अगर माया और अग्निवीर की छुपी हुई पीढ़ी किसी तरह से जीवित रह गई हो, क्योंकि कोई ऐसे ही भविष्यवाणी नहीं करते।"

" फिलहाल तो मैं  तुम्हें बस इतना बता सकता हूँ कि इस समय वो लड़की इंसानों के बीच है, पृथ्वी ग्रह पर है।  लेकिन उसकी पहचान छुपी हुई है। उसका नाम  पता कोई कुछ नहीं जानता है, लेकिन उसके पास एक खास किस्म का बर्थमार्क होगा जिससे  तुम्हें उसे  खोजने में आसानी होगी। वो बर्थमार्क तुम्हें उसका पता बताएगी।"  कहकर उसने उसे उस बर्थमार्क की तरह बना एक लॉकेट उसे थमा दिया था। और बताया था कि ये लॉकेट उसके नजदीक आने से ही चमकने लगेगी।

सिर्वेश ने उसे अपनी कातिलाना नजरों से घूरते हुए एक गहरी साँस ली और बोला-” तो मुझे अब एक अनाजन बर्थमार्क वाली लड़की को पूरे पृथ्वी ग्रह पर   ढूँढना होगा। लेकिन अगर मैं उसे लेकर वापस आया, तो क्या वह इस शाप को खत्म कर पाएगी?"

तारक ने रहस्यमयी मुस्कान के साथ जवाब दिया। "सिर्फ खून बहाने से यह शाप खत्म नहीं होगा। तुम्हें उससे प्यार करना होगा, और उससे जरूरी बात उसे तुमसे प्यार करना होगा, उसे तुम्हारे खून में बहते अंधकार से प्यार करना होगा, तभी वो बलिदान सफल होगा। लेकिन याद रखना, यह सफर तुम्हारे लिए बिल्कुल भी आसान नहीं होगा। वो लड़की तुम्हारे वंश को बचा सकती है, लेकिन उसकी कीमत बहुत बड़ी होगी।" इसके साथ ही सिर्वेश ने तेजी से आगे बढ़कर तारक का गला पकड़कर उसे हल्का सा ऊपर हवा में उठा दिया और बोला-” सुनो तारक अगर तुमने मेरे साथ उस रक्ताचार्य की तरह कोई विश्वासघात करने की जरा सी भी कोशिश भी की ना तो मैं तुम्हारे इतने टुकड़े करूँगा की तुम्हारी रूह भी तड़पकर मर जाएगी ।” और उसे जोर से नीचे जमीन पर पटक दिया और अगले ही पल वो तूफान से तेज उस हवेली से बाहर निकल चुका था । लेकिन तारक की आंखों में इसवक्त एक अजीब सी शैतानी झलक रही थी। 

तो कौन थी वो लड़की जो माया की वंशज थी और उस शाप का अंत? क्या सिर्वेश उसे कभी ढूंढ पाएगा?क्या तारक सच में सिर्वेश की मदद कर रहा था या  इन सब में उसका कोई हिडन एजेंडा था? तो कैसी होगी पावनी सिर्वेश की पहली मुलाकात? जानने के लिए बने रहिए