Eclipsed Love - 9 in Hindi Fiction Stories by Day Dreamer books and stories PDF | Eclipsed Love - 9

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Eclipsed Love - 9

वो स्पोर्ट्स कार इतनी तेज़ी से उछलकर सड़क पर आकर रुकी  थी कि उसके टकराने से सड़क पर हल्की सी चिंगारियाँ उठ गईं। टायरों की जलने की महक हवा में फैल गई। ऐसा लगा मानो ज़मीन काँप उठी हो। 

लेकिन गाड़ी को रोककर खड़ा वो शख्स ज़रा भी विचलित नहीं हुआ था। उसकी सिल्वर आँखें अब भी वैसी ही चमक रही थीं, जैसे उसकी गहराई में कोई खौफनाक तूफान दबा हुआ हो। 

वो किसी और को नहीं देख रहा था—बस ड्राइविंग सीट पर बैठे उस व्यक्ति को घूर रहा था, जिसने पावनी को अनजाने में ही सही लेकिन नुकसान पहुचाने की गुस्ताखी की थी। इसवक्त उसके नजरों में गुस्सा नहीं था, बल्कि एक अजीब तरह की ठंडक थी, जैसे वह अपनी उन ठंडी आँखों से ही उस ड्राइवर को बर्फ  की तरह जमा देगा।

पावनी के दोनों हाथ अनायास ही हवा में लहराते हुए नीचे आ गए थे और कांपते हुए धीरे से उस तरफ़ देखने लगी। उसका दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि उसे लगा, जैसे उसका ह्रदय अभी उछलकर अभी उसके सीने को चीरते हुए एकदम से बाहर आ जाएगी। अचानक हवा में एक अजीब-सी ठंडक आ चुकी थी।

इतने में उस शख्स ने हल्के से टर्न होकर अपनी गहरी नजरों से पावनी को ऐसे  देखा जैसे  वो उसे  स्कैन कर रहा था और इतने में जैसे ही उन दोनों की नजरें आपस में टकराई अचानक तेज़ तेज तूफानी हवाएँ चलने लगीं।

पावनी के  मासूम से चेहरे पर इसवक्त उसके लंबे घने बाल बड़े ही बेदर्दी से इधर से उधर झूल रहे थे। लेकिन फिर भी वो निहायती मासूम नजर आ रही थी।

वो दोनों ही एक दूसरे की नजरों में जैसे डूब रहे थे। देखते ही देखते चारों ओर अंधेरा सा छा गया था। आसमान में तेज तेज बिजली कड़कने लगी और उसकी रोशनी में पावनी को अपने सामने एक काला साया सा दिखाई दे रहा था। इसवक्त बादलों की गड़गड़ाहट इतनी तेज़ थी कि लगा जैसे धरती फटने वाली हो।

पावनी का गला सूखने लगा। वो काला लिबास पहने खड़ा मिस्टीरियस आदमी । उसका आधा चेहरा नकाब से ढका हुआ था। लंबी कद-काठी, हल्के बिखरे बाल, और आँखें…  वो आँखें… जैसे कोई जादू था उनमें। पावनी को लगा जैसे वो उन सिल्वर आईज को बहुत करीब से जानती है। वो चाहकर भी उनमें खुद को खोने से रोक नहीं पा रही थी।

लेकिन इतने में पावनी की नजरें एकाएक ही उसके चेहरे से धीरे से हटते हुए  उसके नेक के पास जाकर ठहर गई। उसके नेक पर एक नीली रोशनी चमक रही थी।

“ वो क्या था? एक ताबीज? कोई पत्थर?या कोई अलौकिक शक्ति का स्रोत?”

पावनी कुछ कहने ही वाली थी कि एक पल में  जैसे ही उसकी पलकें झपकी तो वह आदमी जैसे धुंध में खो गया था।

“वो वो… अभी तो यहीं था…फिर कहाँ चला गया?”  उसने हैरान होकर इधर-उधर देखा, लेकिन वहाँ अब कोई नहीं था। वो बेहद कन्फ्यूज्ड थी। आख़िर ये सब उसके साथ हो रहा था । ये सब क्या वो कोई सपना देख रही थी।

 

 तभी उसकी नजर उस स्पोर्ट्स कार पर  चली गई। उसकी दयनीय हालत इस बात की गवाही  था कि वो कोई सपना नहीं देख रही थी। लेकिन ये सब कैसे मुमकिन था। 

लेकिनउस गाड़ी के ड्राइवर ने यह सब नहीं देखा था।  उसने स्टीयरिंग वील से धीरे से नजर उठाकर सामने देखा और पावनी को सही-सलामत देखकर एक गहरी सांस ली।   उसे तो लगा था कि इस लड़की को मारने के जुर्म में अब उसकी आंखें सीधे सलाखों के पीछे  ही खिलेंगी।

 

“ थैंक गॉड।” उसने गहरी सांस ली पर उसकी गाड़ी रुकी कैसे थी? उसे बहुत खतरनाक झटका लगा था।

वो अपना सिर दबाते हुए  तुरंत बाहर निकला और पावनी की ओर बढ़ा- "एक्सक्यूज़ मी, क्या आप ठीक हो?"

पावनी ने झटके से उसकी तरफ देखा, फिर गुस्से से बोली—"आर यू फ्रीक? क्या दिमाग खराब है तुम्हारा, जो सुसाइड करने के लिए मेरे सामने आ गए तुम?"

वो लड़का अजीब से हैरानी में बोला—"क्या? मैं सामने आया? लेकिन सामने तो तुम…"

पावनी ने उसे घूरते हुए कहा—"तो क्या गाड़ी को मैं एरोप्लेन समझकर उड़ा रही थी इस तरह से खुली सड़कों पर? तुम्हें अंदाज़ा भी है, तुम्हारे इस हाई स्पीड ड्राइविंग स्किल्स की वजह से अभी किसी निर्दोष की जान भी जा सकती थी?"

वो लड़का हल्की हंसी में बोला—"अरे, अजीब लड़की हो… गई तो नहीं ना? देखो, नुकसान तो सिर्फ मेरी गाड़ी का हुआ है। लेकिन तुम चिंता मत करो मैं तुमसे इसके लिए कोई कम्पनसेट नहीं मांगूंगा ओके।"

वो अब अपनी गाड़ी के टूटे हेडलाइट्स को और फट चुके टायरों को देखने लगा, जैसे उसे किसी और बात की परवाह ही न हो।

लेकिन पावनी की आँखों में अब  गुस्सा दहकने लगा था। वो ग़ुस्से में बोली- "तो तुम्हारे लिए एक जीती-जागती जान की कीमत इस  गैजेट के सामने कुछ भी नहीं? कितने निर्दई हो तुम।" ये कहते हुए वो बुरी तरह से कांप रही थी 

 

वो यहीं कोई 20, 21 साल का नजर आता लड़का उसे ऑडली देखकर बोला-” व्हाट द हेल, तुमने  ये गैजेट किसे कहा और तुम भी तो बीच सड़क पर पागलों की तरह भाग रही थी और मरने के लिए तुम आई थी मेरी परी के सामने समझी? देखो तो क्या हालत कर दी है तुमने इजकी।” ये कहते हुए वो बेहद दर्द भरे नजरों से अपनी कार की हो चुके दुर्दशा को देख रहा था।

 

इतने में पावनी हल्के हंसी। लेकिन उसकी हंसी में भी एक दुख था। फिर वो अचानक वहीं सड़क पर खुद को हग करके  बैठ गई और उसे देखते हुए बोली- " क्या तुमने कभी किसी अपने किसी खास को अपनी आँखों के सामने से अपनी खूबसूरत दुनिया से हमेशा हमेशा के लिए दूर जाते देखा है? जहां से फिर वो कभी वापस नहीं आ सकते?”

 

“ क्या तुमने कभी ये एहसास किया है कि एक दिन अचानक… तुम्हारी परवाह करने वाला तुम्हारे पास कोई नहीं होगा? होगी तो सर्फ तन्हाई और तुम।" इसवक्त पावनी बिल्कुल हारी हुई पंछी की तरह लग रही थी। जिसकी किसी ने जैसे पंख ही कुचल दी हो और वो अब फिर कभी उड़ान नहीं भर सकती।

 पहली बार वह लड़का थोड़ा गंभीर हुआ था।  लेकिन इससे पहले की वो कोई जवाब देता या फिर उसे सहारे के लिए अपना हाथ देता। इतने में एक और गाड़ी वहां आकर रुकी।

गाड़ी का दरवाज़ा खुला और निशान बाहर निकला।  जैसे ही उसकी नजर उस लड़के से होकर पावनी पर पड़ी, वह तुरंत तेज़ी से उसकी ओर बढ़ा— "पानू! तुम यहाँ क्या कर रही हो?"

वह सीधा उसकी ओर बढ़ा, उसकी आँखों में उसके लिए बेपनाह चिंता साफ झलक रही थी।

निशान पावनी के पास पहुंचकर घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और उसके बाजुओं को कसकर पकड़कर खुद के इमोशन को कंट्रोल करते हुए कहा-” "हे, तुम ठीक तो हो?"  उसकी आवाज़ में घबराहट थी।

पावनी बिल्कुल शांत थी। उसने उसे एक नजर देखा लेकिन कुछ भी नहीं कहा। जैसे फिर से चुप्पी ने उसे जकड़ लिया था 

निशान ने आंखे बंद की और उसे धीरे से उठने में मदद की और बोला- “पागल लड़की ये तुमने क्या हालत बना ली है अपनी देखो तो खुद को, आराम से उठो।” फिर जैसे ही उसे उठाकर उसने पलटकर देखा तो वो लड़का चुपचाप उन्हें ही देख रहा था।

निशान ने एक नजर उसे फिर  वहीं थोड़ी दूर पीछे उसकी गाड़ी को देखते हुए पूछा- "आखिर यहाँपर हुआ क्या है?"

गाड़ी का ड्राइवर, जो अब भी पूरी तरह कन्फ्यूज था, बीच में बोल पड़ा—” एक्चुअली मैं भी यही सोच रहा हूँ कि ये सब हुआ क्या?” ये कहते हुए उसकी हल्की सी नजर पावनी पर टिकी हुई थी।

निशान उसे अजीब तरह से घूर रहा था। वो बोला-” मतलब क्या है तुम्हारा?”

तो वो लड़का तुंरन्त पावनी से अपनी नजर झटककर उसे देखते हुए बोला-” वो दरसल मेरी गाड़ी इतनी स्पीड में थी कि कंट्रोल नहीं हो पा रहा था… फिर अचानक यह लड़की सामने आई, और जैसे ही ब्रेक लगाया… कुछ अजीब हुआ।" 

उसने गहरी सांस ली। "ऐसा लगा जैसे मेरी गाड़ी किसी अलौकिक शक्ति से रुक गई। और फिर… “ इतना कहकर वो फिर से पावनी को निहारने लगा। इनफैक्ट उसकी नजर उसपर से चाहकर भी हट ही नहीं पा रही थी। 

निशान ने गंभीरता से उसकी ओर देखा। फिर पावनी की कलाई पकड़कर कहा-” "चलो पानू, घर चलते हैं।” 

लेकिन इसवक्त पावनी  को किसी चीज से कोई मतलब नहीं था। उसकी नजर उसी जगह पर टिकी हुई थी जहाँपर वो सिल्वर आईज वाला शख्स खड़ा था। लेकिन अगले ही  पल निशान उसे अपने साथ खींचते हुए वहां से लेकर अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया। उसने इस बीच उस लड़के को एक नजर देखना तक जरूरी नहीं समझा था।

वो लड़का पीछे उन्हें जाते हुए देखकर बोला-”अरे इन हालातों में मुंबई में तो लोग फोर्मेलटीज के लिए पूछ लेते  थे कि साथ चलोगे लेकिन लगता है देहरादून के लोग थोड़े बाउंडेड हैं।”

अगले ही पल निशान पावनी को लेकर वहां से निकल चुका था। लेकिन वो लड़का अभी भी वहीं पर खड़ा अजीब तरह से मुस्कुरा रहा था। 

 

तभी पीछे से एक एक करके तीन स्पोर्ट्स कार उसके पास आकर रुकी और उनमें से  तीन उसी के उम्र के लड़के उतरकर बाहर आ गए और दो लड़के  हैरानी से उसके उस स्पोर्ट्स कार की हालत देखने लगे और एक आगे बढ़कर बोला-” हे डूड क्या हुआ है यहांपर तुम ठीक हो?

लेकिन उस लड़के ने उसे कोई जवाब नहीं दिया था। ये देखकर  वो लड़का उसके सामने आकर उसे घूरते हुए बोला-”हेलो सिद्धार्थ मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ।”

 

सिद्धार्थ ने उसके कंधे पर अपना एक हाथ रखा और बोला-“ आह यू नो व्हाट ध्रुव सी रियली लुक सो डिफ्रेंट, मैंने कसम से आजतक ऐसी लड़की नहीं देखी …”

 

ध्रुव ने चौककर पूछा-”कौन लड़की और कैसी लड़की? यू मीन नताशा राइट?” ये कहते हुए वो मुस्कुरा रहा था।

 

सिद्धार्थ ने कहा-“नो सी इज लाइक माय जन्नत ,नॉट दैट व्होर नताशा।” 

 

ध्रुव बोला-” डूडी हाऊ कैन यू से दैट, यू नो राइट नाउ सी इज योर फियांसी।”

 

सिर्द्धार्थ उसके पास से उसके स्पोर्ट्स की को लेते हुए बोला-”जबर्दस्ती का रिश्ता सिर्द्धार्थ याद नहीं रखता ध्रुव, नाउ लेटस गो मैं ड्राइव करूँगा।”वहीं इसवक्त निशान गाड़ी ड्राइव कर रहा था और पावनी चुपचाप उसके बाजू में सीट बेल्ट को कसकर पकड़कर बैठी हुई थी। निशान बहुत अच्छी तरह से जानता था जब पावनी को खुद के लिए स्पेस चाहिए होता था तो वो बस इसी तरह से मौन धारण कर लेती थी।  निशान ने भी उससे कुछ नहीं कहा और कुछ ही देर बाद उसने सीधा आश्रम के  गेट से थोड़ी ही दूरी पर लाकर गाड़ी रोक दी।वहांपर आज न तो बच्चों की हंसी ठिठोली की गूंज  थी न ही शांति जी की मनमोहक आवाज । बस भीड़ लगी हुई थी।

 

ये देखकर निशान ने धीरे से पावनी को देखकर कहा-” पावनी क्या हम थोड़ी देर यहीं रुक सकते हैं?”

 

लेकिन पावनी ने बिना किसी भाव के कहा-”नहीं मैं जाऊंगी उन्हें आखरी बार देखने, लेकिन तुम पीछे के रास्ते से अंदर बच्चों के पास चले जाना।” ये कहकर वो दरवाजा खोलकर  सीधा बाहर निकल गई और निशान ने कसकर स्टीयरिंग वील पकड़कर अपना सिर तेज तेज उसमें मारना शुरू कर दिया था।जैसे ही पावनी उस आश्रम के गेट के सामने  पहुची तो रमा जी की नजर उसपर चली गई और वो अपने आंसुओ को थमाकर बोली-” पानू चलकर चेंज कर लो बेटा, आखरी बार अपनी माँ को विदा कर लो।” 

 ये सब सुनकर पावनी ने कसकर अपनी मुठियां बांध ली लेकिन उसने कहा  कुछ भी नहीं। रमा जी ने उसके  चेहरे को प्यार से छू लिया फिर उसे लेकर अंदर चली गई।यहां वहीं पूरे रीति रिवाज के साथ शांति जी पार्थिव शरीर  को हॉस्पिटल से अनाथालय लाया गया था। लेकिन सभी बच्चों को अंदर एक कमरे में बन्द कर दिया गया था। उनके साथ निशान बैठा हुआ था क्योंकि वो ये सब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकता  था। अंदर बच्चों को अभी तक इस बारे में कुछ भी  नहीं बताया गया था। 


इसवक्त पूरे आश्रम में सभी सफेद कपड़ा पहनकर बैठे हुए थे। पावनी शांति जी का अंतिम दर्शन करने के बाद दूर एक कोने में आकर बैठी हुई थी और शून्य में देख रही थी।वहीं शांति जी के अंतिम दर्शन करने देखते ही देखते कई सारे जाने माने लोग आ गए थे। फिर  कुछ  रिचवल करने के बाद उनके पार्थवी शरीर  को  समसान घाट ले जाया गया। इस दौरान उनके अंतिम इच्छा अनुसार पावनी भी उन्हें कन्धा देकर श्मशान घाट गई और उसने ही उन्हें मुखाग्नि दी थी।

क्योंकि यहीं  शांति जी की अंतिम इच्छा  थी।  लेकिन पावनी ने उसके बाद से किसी से एक शब्द नहीं कहा था। वो तब से अब तक न रोई थी न उसने कुछ प्रतिक्रिया की थी वो बस चुप थी ।उसने आश्रम आते ही खुद को एक कमरे में बन्द कर लिया था। लेकिन कोई था जो उसके इस दुख भरे सफर में उसके नजरों से दूर होकर भी हरवक्त उसके आस पास ही था ।