Eclipsed Love - 8 in Hindi Fiction Stories by Day Dreamer books and stories PDF | Eclipsed Love - 8

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Eclipsed Love - 8

 हॉस्पिटल।

पावनी ने उस रूम नम्बर 55 के गेट को ओपन करने से पहले एक गहरी सांस ली फिर वो अपने भावनाओं को समेटकर हल्के से गेट खोलते हुए अपनी गोल मटोल आंखों से अंदर झांकने लगी। वो बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से शांति जी की नींद ज़रा भी डिस्टर्ब हो।अंदर एक नर्स इसवक्त शांति जी को जो ड्रिप लगी हुई थी। उसे चेक कर रही थी और शांति जी बिस्तर पर लेटी हुई थीं। उनकी आँखों में थकान थी, लेकिन जैसे ही उन्होंने पावनी को अंदर आते देखा, उनके चेहरे पर राहत की हल्की झलक आई।"पानू तुम आ गई बिना बताए कहाँ चली गई थी बच्चा ?” उनका स्वर धीमा था लेकिन उनमें चिंता  साफ झलक रही थी। पावनी प्यारी सी मुस्कान के साथ  अंदर आई और उन्हें खाने की पैकेट दिखाते हुए बोली-” अरे ये सब छोड़ो माँ ये देखो मैं  आपके लिए क्या लाई हूँ।” ये कहते हुए वो उनके सामने आकर रुक गई थी।

इसवक्त वो नाकाम कोशिश कर रही थी बिल्कुल नॉर्मल दिखने की। लेकिन शांति जी बहुत अच्छे से समझती थी अपनी इस नादान बेटी को। भावनाओं को अपने अंदर ही दबाये रखने में ये भी उनकी ही तरह माहिर थी।" पानू  यहां आकर मेरे पास बैठो।" शांति जी ने धीरे से कहा।पावनी ने हाँ में सिर हिला दिया और  आकर उनके पास बैठ गई।  और उन्हें देखकर शिकायत करते हुए बोली-”माँ हमेशा आप मुझे डांटती रही कि मैं कितनी लापरवाह हूँ जो अपना ध्यान भी नहीं रख सकती, लेकिन आप एक नजर खुद को देखो ज़रा कितनी कमजोर हो गई हो कुछ अंदाजा भी है आपको? वेरी केयरलेस मम्मा।“

शांति जी एकटक उसे देख रही थी। वो इमोशनल होकर बोली-” पावनी।”लेकिन पावनी जल्दबाजी में बोली-” अरे यार मैं भी न कितनी बड़ी बद्दु हूँ आपको भूख लगी होगी न मैं खाना लगा देती हूं ।” ये बोलकर उसने उनसे नजर चुराते हुए  वहीं साइड टेबल पर लड़खड़ाते हुए खाना रख दिया और चुपचाप अपने कांपते हाथों से  वो उस पैकिंजिंग को खोलने लगी।इसवक्त वो क्या फील कर रही थी ये कोई नहीं बता सकता था । लेकिन वो बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं कर रही थी। इनफैक्ट उसे बहुत ज्यादा डर लग रहा था। शांति जी ने भी कसकर अपनी आंखें मूंद ली और वो मन ही मन बोली-”हे प्रभु एक न एक दिन ऐसा कुछ होगा मैं पहले से ही जानती थी , फिर ये दुविधा क्यों, मेरी बेटी को इस दुख से उभरने की शक्ति देना।” ये कहते हुए उन्होंने हल्के से अपनी नम आंखें खोली।इतने में पावनी ने  उनके सामने  हल्का मूंग दाल का हलवा  रखा और  उसकी स्मेल लेते हुए मुस्कुराने लगी। "मेरा मन नहीं है बेटा तुम खाओ।" शांति जी ने प्यार से उसे देखते हुए कहा।पावनी बहुत मासूम सा चेहरा बनाकर बोली-" माँ, प्लीज़। ये  तो आपका फेवरेट है। बस थोड़ा सा तो खा लो ना, प्लीज मेरे लिए।”शांति जी इस जिद्दी लड़की को देखकर बोली-“लेकिन पानू ये मूंग दाल का हलवा मुझे नहीं तुम्हे पसन्द है। तुम खा लो ना मेरा इच्छा नहीं है बेटा।”पावनी मुह फुलाकर बोली-“ तो क्या आप पानू की माँ नहीं हैं, माँ सुनो न मुझे भी बहुत जोड़ की भूख लगी है और आपके बिना आपकी पानू कुछ नहीं खाएगी।" 

इसबीच साइड से उस नर्स ने जैसे ही कुछ कहने के लिए अपना मुह खोला तो , शांति जी ने उसे कुछ भी बोलने से इशारे से ही मना कर दिया और वो नर्स भी चुपचाप वहां से रूटिंग चेक करके चली गई।वहीं यहां शांति जी ने पावनी को देखकर गहरी साँस ली और एक चम्मच भरकर हवला मुँह में डाल लिया। और पावनी ने उसके हाथ को हल्के से सपूण टच करवाते हुए खुद भी खा लिया था। पता नहीं उनके पीछे इस पागल लड़की का क्या बनेगा। लेकिन होनी को  कोई नहीं टाल  सकता और शांति जी का जाना बहुत पहले ही तय हो गया था। इनफैक्ट अपना एक लिमिटेट टाइम पीरियड ख़त्म करके एक न एक दिन तो सब को जाना ही पड़ता है। यही विधि का विधान है ।कुछ देर तक कमरे में केवल चम्मच की आवाज़ गूंजती रही। फिर शांति जी ने धीरे से कहा-"पानू, तुम से ये सच छुपाया मैंने तुम नाराज़  हो मुझसे?"पावनी की आँखें छलक उठीं, लेकिन उसने  खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला। और जबर्दस्ती मुस्कुराते हुए बोली-"मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ, माँ। बस... मैं खुद को समझाने की कोशिश कर रही हूँ। वैसे भी मैं आपकी बहुत स्ट्रांग बेटी हूँ ना तो । " इतना बोलकर वो चुप होकर उन्हें देखने लगी।शांति जी की आँखों में दर्द उभरा। उन्होंने पावनी का हाथ धीरे से दबाया और बोली-”बेटा, मैं जानती हूँ कि ये सारी बातें  तुम्हें बहुत चुभी हैं, लेकिन मैं क्या करती मेरी जान मैं कैसे तुम्हे जिस तकलीफ से मैं गुज़र रही थी उसका हिस्सा बनने देती?” पावनी ने मन ही मन सोचा-” तकलीफ तो मुझे अभी भी हो रहा है ना माँ और यकीन मानिए आपको इस तरह से देखकर बहुत जोर से तकलीफ हो रही है , लेकिन आपको बताकर और दर्द नहीं दे सकती मैं।” उसका गला भर आया था। वह बहुत कुछ कहना चाहती थी, लेकिन शब्द गले में अटक गए थे।

इतने में पावनी ने धीरे झुककर अपना सिर बड़े ही नजाकत से शांति जी के एक हथेली पर टिकाया और बोली- “ थैंक यू माँ फ़ॉर एवरीथिंग यू नो व्हाट, यू आर द कान्डेस्ट पर्सन इन माय लाइफ।”  आई एम रियली रियली सॉरी मम्मा, बट यू नो राइट हाऊ मच पानू  लव्स यू।”

शांति जी ने उसकी इतनी इमोशन बातों को सुनकर कसकर अपनी आंखें मूंद ली और रुआंसी होकर बोली-” पानू यू हैव टू बी स्ट्रांग ओके, मेरी बेटी ऐसे  कभी भी हार नहीं सकती। मैं अभी जिंदा हूँ मेरी जान।”

 

लेकिन इतने में पावनी जल्दी से सिर उठाकर उन्हें देखते हुए बोली-” और आपको  मेरे लिए जीना होगा माँ क्योंकि मैं एक बार फिर से अनाथ नहीं होना चाहती।” 

शांति जी ने उसे देखकर इशारे से कहा-” इधर आओ।” तो पावनी आगे बढ़ गई और शांति जी ने धीरे से हाथ उठाकर उसका सिर अपने सीने से लगा लिया और वो मन ही मन -” सॉरी बोली।” लेकिन उंन्होने मुह से एक शब्द नहीं कहा था।ये रात काफी इमोशनल भी था ,थोड़ा थका देने वाला भी, पावनी ने अपनी मां के पास बैठकर घंटों बातें कीं। फिर बात करते करते पावनी वहीं शांति जी के पास ही लगे एक दूसरे बेड पर सो गई थी।अगली सुबह, जैसे ही पावनी की एक बुरे सपने के साथ नींद खुली तो उसने  -” माँ।” कहकर डरते हुए सामने देखा। शांति जी मुस्कुराते हुए अपनी कमजोर नजरों से उसे ही देख रही थी। शायद वो रात भर उसे यूं ही निहार रही थी।शांति जी को सही सलामत देखकर पावनी की जान में जान आई थी। वो मुस्कुराते हुए उठी और जल्दी से आकर उसने शांति जी के चीक्स पर मॉर्निंग किस किया और -” गुड मॉर्निंग मेरी दुनिया ।” बोलते हुए उन्हें हल्के से हग कर लिया।शांति जी ने भी उसे धीरे से कहा-” गॉड ब्लेस यू माय  एंजल, तुम्हें मेरे खातिर अच्छे से जीना है, सुना ना तुमने पानू।” इसके साथ ही   शांति जी ने धीरे-धीरे अपनी आंखें मूंद ली थी।   ये उनका पावनी के लिए लास्ट वर्ड्स थे। लेकिन इतने में जैसे ही पावनी कुछ बोलने को हुई तो उसे कुछ अजीब सा महसूस हुआ। शांति की बॉडी में अचानक सुस्ती सी आ गई थी और जैसे ही वो उनसे थोड़ा अलग हुई तो शांति जी का सिर पीछे बेड की तरफ बेजान सी लुढ़कने लगी, जिसे पावनी ने फटाफट अपने बाहों में सम्भाल लिया और धीमी आवाज में बोली-” माँ।” इसवक्त उनका चेहरा बेहद शांत था, मानो वह अपनी बेटी को यह विश्वास दिलाकर गई हों कि वह हमेशा उसकी ताकत बनी रहेंगी।इतने में वहांपर रमा जी निशान और डॉक्टर परिवेश भी आ गए थे। निशान और रमा जी ने पावनी को संभाला और डॉक्टर परिवेश ने शांति जी के आंखों को बन्द करते हुए -” सॉरी फ़ॉर योर लॉस कहा।”   ये कहते हुए परिवेश जी के आंखों में भी आंसू  थे। रमा जी भी खुद को रोक नहीं पाई और शांति जी को देखकर रो पड़ी। निशान का तो रो रोकर बुरा हाल हुआ पड़ा था। लेकिन इस दौरान पावनी एकदम शून्य सी हो गई थी।उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसके सिक्स सेंस ने पूरी तरह से काम करना ही छोड़ दिया था। उसकी नजर एकटक शांति जी के शांत चेहरे पर जाकर जमी हुई थी। 

ये सब देखकर उसके मन में एक अनकहा ख्याल आया-“आख़िर क्यों उसके साथ ही ये सबकुछ होना होता है? आखिर क्यों हर बार उसे ऐसे छोड़ दिया जाता है। आखिर विधाता ने उसकी जिंदगी में खुशियां इतनी कम और दुख इतना सारा क्यों लिखा था, क्या वो विधाता की सबसे बड़ी शत्रु थी?”  “ नहीं ।"  इतने में पावनी ने अचानक ये कहा और वो वहां से तेजी से बाहर की तरफ भाग गई। 

उसे इस तरह से जाता देखकर रमा जी घबरा गई और उंन्होने निशान को जाकर उसे देखने के लिए कहा तो निशान भी उसी तरह अपने आंसुओ को साफ करते हुए पावनी के पीछे पीछे दौड़ पड़ा। इसवक्त पावनी हॉस्पिटल से बाहर आ गई थी और वो बस रैंडमली भाग रही थी। उसके कदम रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।सर्द हवाएं चल रही थी। सुबह का मौसम  था, लेकिन आज मौसम का हाल भी पावनी की तरह कुछ बेहाल ही था। आसमान में काले बादल उमड़ रहे थे और देखने से ऐसा लग रहा था जैसे कभी भी बारिश हो जाएगी। लेकिन पावनी की सांसें तेज़ चल रही थीं, दिल बेतहाशा धड़क रहा था। इसवक्त आँखों से आँसू नहीं निकल रहे थे लेकिन  अंदर ही अंदर वो तड़प रही थी। सड़कों पर दौड़ती हुई, वह खुद से या फिर हक़ीक़त से दूर भाग रही थी। उसके कानों में अभी भी डॉक्टर परिवेश का शांति जी के आंखे बंद करके सॉरी बोलना गूंज रहा था और नजरों के सामने अपनी माँ का वो बेजान चेहरा घूम रहा था। इसवक्त उसे अपने अंदर बहुत सारी चीखें सुनाई दे रही थी। वो सब उससे चीख चीखकर लताड़ रहे थे। "पैदा होते ही ये  लड़की मनहूसियत लेकर आई।" "जिस दिन पैदा हुई थी, उसी दिन इसके माता पिता ने इसे मरने के लिए एक सुनसान जंगल के पास  छोड़ दिया।"  और आज तो इसे पालने वाली भी इतने दर्द में तड़पते हुए इसे छोड़कर चली गई है "इसका जन्मदिन हमारे लिए एक अपशकुन से कम नहीं है।"

अचानक पावनी बीच सड़क पर रुकी और  जोर से चिल्लाई-” आह चुप हो जाओ तुम सब, बन्द करो अपनी बकवास। माँ प्लीज वापस लौट आओ ना प्लीज।” ये कहकर वो हल्का सा झुकते हुए घुटनों पर हाथ रखकर आंखे मूंद लेती है।कैसे एक ही पल में उसकी पूरी दुनिया बिखर गई थी। इतने में अचानक, एक ज़ोरदार हॉर्न की आवाज़ ने उसे वर्तमान में ला पटका। जब उसने नजर उठाकर सामने देखा तो सामने से एक तेज़ रफ़्तार स्पोर्ट्स कार सीधे उसकी ओर ही आ रही थी। लेकिन उसे देखकर वह हिल भी नहीं पाई, मानो उसके पैर ज़मीन में जम गए हों। सब कुछ एक पल के लिए धीमा हो गया।” माँ मैं भी आपके पास आ रही हूं।” ये कहते हुए वो हल्के से मुस्कुरा दी और उसने अपनी दोनों बाहें फैला दी। जैसे मौत को गले से लगाना चाहती हो।लेकिन अगले ही क्षण, कुछ ऐसा हुआ जिसने पावनी की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया।वह कार लगभग उससे टकराने ही वाली थी, जब एक अजीब सी ताकत ने उसे एकदम से आकर रोक लिया। हवा में हलचल हुई, और पावनी ने देखा कि कोई शख्स, जो न जाने कहाँ से प्रकट हुआ था, अपनी महज़ हथेलियों से उस तेज़ रफ़्तार गाड़ी को रोक रहा था!धड़ाम!

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