बहुत दूर अंतरिक्ष में, पृथ्वी से करोड़ों प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक रहस्यमय ग्रह स्थित है — ज़ेथुरा। यह ग्रह न सिर्फ़ अपनी अद्भुत सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि वहां छिपे हुए एक रहस्यमय खज़ाने के लिए भी काफ़ी चर्चित है। यह खज़ाना पृथ्वी के इतिहास को बदल सकता है, इंसानियत को ऊर्जा की नई दिशा दे सकता है, और मानव सभ्यता को ब्रह्मांड में नई पहचान दिला सकता है।
इस ग्रह पर एक उन्नत और शक्तिशाली सभ्यता रहती है — 'ज़ेनोरी'। ये ज़ेनोरी लोग बेहद विकसित हैं। उनके पास ऐसे हथियार हैं जो गुरुत्वाकर्षण को नकार सकते हैं, समय की गति को धीमा या तेज़ कर सकते हैं, और मस्तिष्क की तरंगों से मशीनों को नियंत्रित कर सकते हैं।
ज़ेनोरी सभ्यता अत्यंत रहस्यमयी है और उनका समाज पूरी तरह वैज्ञानिक शोध और नियंत्रण पर आधारित है।ज़ेथुरा की सबसे बड़ी विशेषता है वहाँ स्थित एक 'गुप्त गुफ़ा' जिसे 'नरोक शिला' कहा जाता है।
इसी गुफ़ा के भीतर छुपा है — 'जागृति का ख़ज़ाना'। इसमें अनगिनत हीरे-जवाहरात, सोना-चाँदी और दुर्लभ खनिज पदार्थ मौजूद हैं। लेकिन जो चीज़ सबसे महत्वपूर्ण है, वो है "एल्थेरियम" — एक ऐसा ऊर्जा-तत्व, जो यूरेनियम से हज़ार गुना शक्तिशाली है। यदि यह तत्व पृथ्वीवासियों को मिल जाए, तो वे अंतरिक्ष की सबसे ताक़तवर सभ्यता बन सकते हैं।
मिशन 'नवोत्थान' पृथ्वी पर ऊर्जा संकट, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती आबादी के चलते संयुक्त राष्ट्र ने एक विशेष अंतरिक्ष मिशन तैयार किया —
'मिशन नवोत्थान'
इसका नेतृत्व एक युवा और साहसी कमांडर 'आर्यन राज' को सौंपा गया। उनके साथ थी वैज्ञानिक डॉ. सिया अरोड़ा, जो ऊर्जा विज्ञान में विशेषज्ञ थीं। टीम में कुल 7 सदस्य थे, जिनमें एक एक्सोबायोलॉजिस्ट, एक भाषा वैज्ञानिक, एक हथियार विशेषज्ञ और दो एआई पायलट भी शामिल थे।
जैसे ही टीम ज़ेथुरा पर पहुंची, उन्हें ग्रह की घनी नीली हवा, चमकदार लाल पेड़ और दो सूरजों के प्रकाश ने चौंका दिया। वहाँ का गुरुत्व पृथ्वी से थोड़ा हल्का था और समय की गति लगभग 1:12 थी — यानी ज़ेथुरा का एक दिन पृथ्वी के 12 दिनों के बराबर।
टीम ने सबसे पहले ज़ेथुरा की स्थलाकृतिक मैपिंग शुरू की। कुछ ही दिनों में उन्हें 'नरोक शिला' के संकेत मिले। लेकिन उसी समय ज़ेनोरी सभ्यता को मानवों की उपस्थिति का आभास हो गया। उनके उच्च तकनीकी उपकरणों ने आर्यन की टीम को ट्रैक कर लिया।
संघर्ष की शुरुआत
ज़ेनोरी सभ्यता ने तुरंत चेतावनी जारी की — 'यह ग्रह हमारा है, यहाँ अतिक्रमण स्वीकार नहीं।' लेकिन पृथ्वीवासियों के लिए पीछे हटना अब असंभव था।ज़ेनोरी सेना ने उच्च-ऊर्जा लेसर तोपों और हाइपरबोलिक ड्रोन से हमला किया। आर्यन की टीम ने रक्षा हेतु अपने नैनो-शेल्ड्स और ट्रांसमैटिक गन का प्रयोग किया। पहली मुठभेड़ में पृथ्वीवासियों को भारी नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने 'इंटेलिजेंस प्रोब्स' की मदद से ज़ेनोरी की रणनीति को समझा।
इस बीच, एक ज़ेनोरी युवती 'याल्सा' जो ग्रह की विज्ञान परिषद की सदस्य थी, इंसानों की जिज्ञासा और उद्देश्य से प्रभावित हुई। उसने गुप्त रूप से आर्यन और सिया से संपर्क किया। याल्सा ने उन्हें बताया कि 'एल्थेरियम' सिर्फ़ एक खज़ाना नहीं है — वह एक 'जागृति तत्व' है। इसे अनुचित हाथों में देना पूरे ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी हो सकता है।भावनाओं की उलझन और गठजोड़आर्यन और याल्सा के बीच एक गहरा जुड़ाव बनता गया।
दो सभ्यताओं के बीच यह संबंध असंभव था, लेकिन याल्सा ने अपने समाज के ख़िलाफ़ जाकर आर्यन की मदद करने का निर्णय लिया। डॉ. सिया जो आर्यन से पहले से जुड़ी थी, अंदर ही अंदर इस नए रिश्ते से विचलित होने लगी। कहानी अब सिर्फ़ ऊर्जा की नहीं, बल्कि दिलों के द्वंद की भी बन गई थी।याल्सा ने आर्यन को नरोक शिला तक पहुंचाया।
वहाँ एल्थेरियम की सुरक्षा के लिए एक 'होलोग्राफिक संरक्षक' मौजूद था — एक प्राचीन बुद्धिमान एआई जिसे 'वृतास' कहा जाता था। वृतास ने तीन चुनौतियाँ दीं — बुद्धि की, साहस की और करुणा की। आर्यन ने इन तीनों को पार किया। लेकिन जैसे ही वे एल्थेरियम तक पहुंचे, ज़ेनोरी सेना ने घेराबंदी कर ली।
अंतिम युद्ध
यह लड़ाई सिर्फ़ तकनीक की नहीं थी — यह सोच और सभ्यता की थी। याल्सा ने ज़ेनोरी सैनिकों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह घायल हो गई। आर्यन ने उसे अपनी बाहों में उठाया और युद्धभूमि पर एल्थेरियम को सक्रिय किया — इससे एक ऊर्जा विस्फोट हुआ जिसने सभी हथियारों को निष्क्रिय कर दिया।युद्ध रुक गया।
ज़ेनोरी परिषद को आर्यन की नीयत और याल्सा के बलिदान ने प्रभावित किया। उन्होंने एल्थेरियम का एक अंश पृथ्वी को देने की स्वीकृति दी, बशर्ते इसका उपयोग केवल शांति और विकास के लिए होगा।वापसी और जागृतिपृथ्वी पर लौटते समय आर्यन, याल्सा को अपनी चिकित्सा टीम के साथ ले आए। वह बच गई, लेकिन अब ज़ेनोरी की निर्वासित सदस्य बन गई थी। सिया ने अपने जख़्मों को भुलाकर मानवता के हित में काम करना शुरू किया।
एल्थेरियम के प्रयोग से पृथ्वी पर ऊर्जा का संकट समाप्त हुआ। नई खोजों ने मानव सभ्यता को नए आयाम दिए। अंतरिक्ष में अब हथियारों की नहीं, साझेदारी और समझ की दौड़ शुरू हुई।
ग्रह ज़ेथुरा अब एक दुश्मन नहीं, बल्कि एक साझेदार ग्रह बन गया। याल्सा, आर्यन और सिया ने मिलकर 'इंटरगैलेक्टिक पीस फोरम' की स्थापना की, जिसमें हर ग्रह की सभ्यता को भाग लेने का अधिकार मिला।
उपसंहार
ख़ज़ाना सिर्फ़ धातु, पत्थर या ऊर्जा नहीं होता। असली ख़ज़ाना होता है समझ, विश्वास और एक-दूसरे की भलाई के लिए बलिदान।
ज़ेथुरा ने मानवता को यही सिखाया — जागृति का असली तत्व हमारे भीतर ही है।
-समाप्त-
लेखक: शैलेश वर्मा