Monster the risky love - 65 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 65

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दानव द रिस्की लव - 65

विवेक को मिला सुरक्षा कवच.....

अब आगे..............

विवेक को परेशान देखकर अघोरी बाबा उसे समझाते है..." तुम्हें ये काम करने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी बस हिम्मत रखनी होगी ताकि तुम उस खत्म करके अपनी प्रेमिका को बचा सकते हो नहीं तो वो पिशाच उसे मार देगा...."
अघोरी बाबा से अदिति के लिए मारे जाने की बात सुनकर विवेक गुस्से में कहता है...." नहीं... मैं अदिति को कुछ नहीं होने दूंगा... मैं उसके खून की बूंदें जरूर लेकर आऊंगा.... लेकिन बाबा इसकी (खंजर की तरफ देखकर)... जरूरत नहीं है , मैं किसी ब्लेड से कट करके ले लूंगा...ये खंजर रहने दीजिए..."
अघोरी बाबा : नहीं हो सकता..... जितना आसान तुम उसे समझ रहे हो वो उतना आसान नहीं है। हम उसकी शक्ति को नहीं पहचान पा रहे हैं इसलिए ये अभिमंत्रित खंजर लो ....ये खंजर ही उस चोट पहुंचा सकता है अन्यथा कोई अस्त्र उसपर काम नहीं करेंगे.... समझे तुम....
विवेक : जिस तरह आप बता रहे हैं , वो कोई साधारण सा पिशाच नहीं है ...(थोड़ा घबरा जाता है)...इसलिए मैं यही करूंगा जो आप बता रहे हैं...
अघोरी बाबा : तुम निश्चिन्त रहो , हम उसके रक्त से जल्द ही पता करके उसके मृत्यु का उपाय भी बता देंगे...और हां लो ये भगवान शिव की शक्ति है,‌‌‌‌‌‌ ये रूद्राक्ष.... इसे धारण करो ...
विवेक  : ये क्यूं बाबा...?
अघोरी बाबा : ये तुम्हारी सुरक्षा करेगा...ये नौ मुखी रुद्राक्ष तुम्हें ऊर्जा , शक्ति ,साहस और निडरता प्रदान करेगा... इसके कारण तुम्हें वो पिशाच छू भी नहीं पाएगा और तुम अपने कार्य को पूरा कर सकते हो.....
अघोरी बाबा की बात सुनकर विवेक उन्हें थैंक्स कहता है लेकिन अचानक किसी सोच में खो जाता है..
विवेक अपने आप से बोलता है......" अभी तक पूरी तरह से आंसर नहीं मिले और मैं इनसे कैसे पूछू मेरे किस करने से अदिति तीन बार बेहोश हो गई.... आखिर कैसे...?
अघोरी बाबा विवेक को ऐसे अचानक खोये हुए देखकर पूछ्ते....." क्या बात है बेटा...?...तुम अभी भी उलझन में लग रहे हो.... हमें पूरी उम्मीद है तुम ये काम कर लोगे... हमने तुम्हारी आंखों में वो साहस देखा है जो हर किसी में नहीं होता....
विवेक एक फिकी सी मुस्कुराहट के साथ कहता है...." आपने हमारी इतनी हेल्प की है बाकी मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा.... लेकिन एक बात है (कहते कहते रूक जाता है)...
अघोरी बाबा : क्या बात है.....?... तुम और किसी दुविधा में भी हो...
विवेक : नहीं बाबा....
अघोरी बाबा : अगर तुम्हें किसी बात की शंका है तो पूछ लो ..
विवेक : मुझे अदिति की ही चिंता है बस , वो उसके वश में है लेकिन कभी वो बेहोश हो जाती है , कभी उसे सबकुछ याद आ जाता है , कभी तुरंत कहीं बात भूल जाती है...
अघोरी बाबा कुछ सोचते हुए बोले ...." क्या सबकुछ याद आता है उसे...?.."
विवेक :  एक बार उसने कहा विवेक तक्ष एक पिशाच है... हमने मना किया नहीं ऐसा नहीं होगा तुम्हारा वहम होगा लेकिन वो अपनी जिद्द पर थी...तो हमें लगा अदिति ठीक कह रही है लेकिन तभी वो अचानक बेहोश हुई और होश में आने के बाद सबकुछ भूल गई ....
अघोरी बाबा गंभीर होकर बोले...." इसका अर्थ स्पष्ट है वो पूर्णतया उस  पिशाच  के वश में है....जब उसका वशीकरण कमजोर हो जाता है तब वो अपने होश में आ जाती है और उस पिशाच की उसपर दृष्टि बनी रहती है इसलिए उसे अचानक सबकुछ स्मरण हो जाता है और तभी ही वो सबकुछ भूल जाती है....तुम चिंता मत करो हम जल्द ही उसे बचा लेंगे..(अघोरी बाबा यज्ञ वेदी के पास से एक छोटी सी पुड़िया उठाकर देते हैं)...लो इसे..
विवेक : ये.....?
अघोरी बाबा : ये एक तरह की सुगंधि है इससे भूत प्रेत और पिशाच के साये को दूर किया जाता है...तुम इसे पीसकर अपनी प्रेमिका को सुंघा देना इससे वो ठीक हो जाएगी...अगर वो पूरी तरह उसके वश में नहीं है तो ...
विवेक : ठीक है बाबा अब मैं अपने काम को पूरा करने के लिए जाता हूं......
तभी हितेन, कंचन और श्रुति विवेक के बराबर में आकर पूछते हैं...." हम क्या कर सकते हैं...?..."
अघोरी बाबा : तुम सब केवल अपने इस दोस्त का साथ दो बस ये अगर उस पिशाच के रक्त की बूंदें लाने में कामयाब हो गया तब उस पिशाच को कोई नहीं बचा सकता...बस बेटा ध्यान रखना जब उस पिशाच का रक्त तुम्हारे पास हो तब उस लड़की को भी यहां लेकर आना ... उसके पास अगर वो रही तो ऊर्जा स्रोत होने के कारण हम उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे....
विवेक : मैं ध्यान रखूंगा.....अब हमे चलना चाहिए मां परेशान हो रही होंगी...
अघोरी बाबा : तुम अपना कार्य संभलकर करना...(अघोरी बाबा आशिर्वाद देते हुए कहते हैं)... देवाधिदेव तुम्हारी रक्षा करें......
विवेक और बाकी सब वहां से चले जाते हैं......
विवेक रोज वैली कपल पार्क से निकलकर अपनी कार में बैठता है। हितेन विवेक के साथ फ्रंट सीट पर बैठता है और कंचन और श्रुति बैक सिट पर.....
विवेक अभी भी अघोरी बाबा की बातों को सोच रहा था...उसे इस तरह खोया देखकर हितेन उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ कहता है..." भाई कहां खोया है...देख ड्राइविंग करते हुए कुछ मत सोच कहीं फ्री में ही हमारी हवाई टिकट मत काट दियो...." हितेन के इस मजाकिया अंदाज को घूरता हुआ विवेक कहता है..." मैं कहीं नहीं खोया हूं बस अदिति को लेकर परेशान था.. उसकी मिसअंडरस्टैंडिंग्स कैसे दूर करू... अघोरी बाबा ने कहा है उसे ये सुंघाना है लेकिन मैं उसतक तो जब ही जाऊंगा जब हमारे बीच की सारी मिस अंडरस्टैंडिंग क्लियर होगी..."
विवेक की बात पर श्रुति कहती हैं..." एम सॉरी विवेक.. मुझे इस तरह तुम्हारे पास नहीं आना चाहिए था..."
विवेक श्रुति को समझाता है..." इसमें तुम्हारी कोई ग़लती नही है , गलती है उस इंसान की जिसने हमारे बीच से झगड़ा करवाया है.... मैं तो बस यही सोच रहा था अदिति को कैसे मनाऊंगा...उसका गुस्सा इतनी जल्दी शांत नहीं होता..." 
 
................to be continued...............
विवेक अदिति को कैसे मनाएगा....?
जानने के लिए जुड़े रहिए.....