Itihaas ke Panno se - 2 in Hindi Anything by S Sinha books and stories PDF | इतिहास के पन्नों से - 2

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इतिहास के पन्नों से - 2

 

इतिहास के पन्नों से    


Part 2 - वैसे तो  इतिहास  अनंत है फिर भी उसके पन्नों में कुछ छोटी मोटी अविस्मरणीय बातें भी छुपी हैं , एक नजर ऐसी कुछ बातों पर  .    इतिहास के पन्नों से  क्रम में इसकी दूसरी कड़ी - 


1  . फ्रांस के राजा लुइस  ( Louis ) XVI और रानी मारिए अन्तोइनेत्ते को मृत्युदंड -  सन 1793 में फ्रांस के राजा लुइस  ( Louis ) XVI और रानी मारिए अन्तोइनेत्ते को   मौत की सजा दी गयी थी  .   पहले  जनवरी में लुइस को मृत्युदंड मिला था जबकि रानी को अक्टूबर के महीने में  . 1792 में फ़्रांस में राजशाही की समाप्ति के बाद देशद्रोह और विदेशी ताकतों के साथ षड्यंत्र रच कर क्रांति को दबाने  के लिए उन पर मुकदमा चला और दोनों को  मृत्युदंड मिला था  . रानी मारिए अन्तोइनेत्ते ऑस्ट्रियन मूल की थी  .  अपने अत्यंत खर्चीले स्वभाव और विदेशी मूल के कारण वह जनता में अप्रिय थी  .   तत्कालीन फ्रेंच क्रांति में विदेशी  ताकतों के साथ मिल कर क्रांति के विरुद्ध षड्यंत्र की ज्यादा दोषी  समझी गयी थी  . 


फ्रेंच क्रांति के दौरान तत्कालीन परंपरा के अनुसार लोगों को राजा और रानी के खून से अपने रुमाल को भिगो  कर इसे स्मृति चिन्ह रखने की छूट थी  . ऐसा एक रुमाल एक इटालियन परिवार में भी मिला था  .  कहा जाता है कि 2011 में वैज्ञानिकों ने जांच कर इसे किंग लुइस का रक्त प्रमाणित किया था  . ///  ११३२ 


2  . नेपोलियन बोनापार्ट पर खरगोशों का आक्रमण -  फ्रेंच क्रांति के समय  नेपोलियन बोनापार्ट एक मिलिट्री जनरल था  .  क्रांति में उसकी अहम भूमिका रही थी  . 11 नवंबर 1799 से 18 मई 1804 तक वह फर्स्ट काउंसलर  के रूप में शासक था  . उसके बाद 6 अप्रैल 1814 तक वह सम्राट रहा था  . इस बीच उसने यूरोप के अन्य देशों में भी अपना साम्राज्य बढ़ाया था हालांकि जून 1815 में वॉटरलू , बेल्जियम के युद्ध में उसे हार का सामना करना पड़ा था  . 

एक बार 1807 में “ ट्रीटी ऑफ़ टिलसित “ का जश्न मनाने के लिए उसने अपने सेनापति को ढेर सारे खरगोश का शिकार करने के लिए भेजा  . उसका सेनापति लगभग 3000 खरगोश पकड़ लाया था पर वे जंगली खरगोश न होकर पालतू खरगोश ( फ़ार्म एनिमल ) थे  . उन खरगोशों को मनुष्य से भोजन खाने की आदत थी  . जब खरगोशों को पिंजड़े से छोड़ा गया तब वे सब भोजन की आशा में नेपोलियन पर टूट पड़े थे  . कहा जाता है कि उस समय बहादुर नेपोलियन को भी  डर के मारे  छुपना पड़ा था  . 


3  . फ्रांस की बहादुर युवा योद्धा जोआन ऑफ़ अर्क ( Joan of Arc ) - जोआन ऑफ़ अर्क का असली नाम जीनने डी अर्क ( Jeanne d Arc ) था  . उनका जन्म एक साधारण परिवार में 1412 में उस समय हुआ था जब फ्रांस और इंग्लैंड के बीच सौ वर्षों का युद्ध चल रहा था  . इस युद्ध का आरम्भ 1337 में हो चुका था  . फ्रांस के राजा चार्ल्स VII की ताजपोशी के समय 1428 में जोआन ने राजा से मिलने की जिद की   . उन्होंने कहा कि उन्हें दिव्य वाणी से मार्गदर्शन और संदेश मिलता है और वे ‘ ओर्लीन्स ( Orleans ) को इंग्लैंड से मुक्त करा सकती हैं   . वे पुरुषों की कपड़े पहने और  बाल कटवा कर स्वयं युद्ध में कूद पड़ीं   .1429 में  युद्ध में फ़्रांस की जीत हुई   . राजा ने खुश होकर उन्हें अपने दरबार में सम्मानित किया   . दरबार में उनका अच्छा दबदबा था   .  कुछ अन्य मोर्चों पर भी उन्हें विजय मिली थी   .  पेरिस के युद्ध में हार के बाद उनका महत्व नहीं रहा   . पाषंड और ईशनिंदा ( पुरुषों के समान जीवन शैली ) के जुर्म में  उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन्हें मौत की सजा मिली   . 30 मई 1431 को मात्र 19 वर्ष की आयु में उन्हें जिन्दा जला दिया गया था   .  मरणोपरांत 1456 में उनका मुकदमा दोबारा खोला गया  जिसमें कहा गया  कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ था   .  बाद में उन्हें सेंत ( saint ) की उपाधि भी मिली थी  .

4 . ज्वालामुखी विस्फोट की आवाज लगभग 5000 Km तक - मई 1883 में इंडोनेशिया के सुंडा जलडमरूमध्य ( strait ) स्थित टापू पर क्राकाटोआ ज्वालामुखी में भयंकर विस्फोट हुआ  था  . यह विस्फोट आजतक विश्व में हुए सबसे भयंकर और घातक विस्फोटों में एक है  . वास्तव में इस ज्वालामुखी में 20  मई 1883 से लेकर 21 अक्टूबर 1883 तक विस्फोट होते रहे थे  . सबसे खतरनाक विस्फोट 27 अगस्त को हुआ था जब द्वीप और इसके आसपास का 70 % से ज्यादा भाग नष्ट हो गया था  . इस विस्फोट और उसके चलते आये सुनामी में कम से कम 36,417 लोगों की मौत हुई थी  . क्राकाटोआ ज्वालामुखी विस्फोट की आवाज 3000 से 5000 Km तक स्थित ऑस्ट्रेलिया , मॉरीशस आदि देशों में भी सुनी गयी थी  . इतना ही नहीं इस आवाज के चलते करीब  60 Km दूर तक अनेक लोगों के कान के पर्दे तक फट गए थे  . कहा जाता है कि इस विस्फोट की ध्वनि तरंग पृथ्वी की तीन बार परिक्रमा कर चुकी थी  . इस विस्फोट का असर लगभग दुनिया भर में अनेक दिनों तक अनुभव किया गया था  .  

5  . पहले डेंचर , नकली दांत  ( dentures ) - 18 वीं और 19 वीं सदी में मनुष्य के डेंचर बनाने के लिए  मानव के दांतों का इस्तेमाल होता था  . इसके लिए मृत  सैनिक या अन्य  मृत व्यक्ति के दांत का प्रयोग होता था  .  ऐसे डेंचर को “ वॉटरलू टीथ “ भी कहा जाता था  . इसका कारण 1815 का प्रसिद्ध ‘  वॉर ऑफ़ वॉटरलू ‘ था , इस भयंकर युद्ध में ही नेपोलियन की हार हुई थी  . मृत सैनिकों के दांतों  या उनके कब्र से निकले उनके दांतों का प्रयोग डेंचर बनाने में होता था  . यहाँ तक कि कभी गरीब व्यक्ति भी पैसों के लिए अपने दांत बेचा करते थे  . 

6 . विश्व विख्यात विश्वविद्यालय में न्यूड फोटोशूट - अमेरिका का आइवी लीग ( Ivy League ) यूनिवर्सिटी विश्व के चंद शीर्ष विश्वविद्यालयों में आता है  . आइवी लीग के अंतर्गत  हार्वर्ड ,येल , प्रिंस्टन और  पेंसिलवानिया सहित आठ प्राइवेट संस्थान हैं  . 1940 से 1970 के बीच  हार्वर्ड ,येल , प्रिंस्टन और  पेंसिलवानिया में प्रचलित परंपरा के अनुसार फ्रेशर ( नए विद्यार्थी ) को पूर्ण रूप से निर्वस्त्र कर के अलग अलग पोज में फोटो लिया जाता था  . इसके अतिरिक्त कहा जाता है कि आइवी के समकक्ष समझे जाने वाले सेवन सिस्टर्स वीमेन कॉलेज ( वेळेसी और वासार ) में भी ऐसा होता था  . इन संस्थानों में  अमेरिका के राष्ट्रपति , सेक्रेटरी , हॉलीवुड के टॉप एक्टर आदि प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भी इसका सामना करना पड़ा था  . इस राज का खुलासा द न्यूयॉर्क टाइम्स ने 15 जनवरी 1995 में  "THE GREAT IVY LEAGUE NUDE POSTURE PHOTO SCANDAL."  लेख द्वारा किया था  . 

Trivia - जॉन एडम्स ( 1797 - 1801 ) अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति थे और थॉमस जेफ़र्सन ( 1801 - 1809 ) तीसरे राष्ट्रपति थे   . पर इत्तफ़ाक़ से दोनों की मौत एक ही  दिन पांच  घंटों के अंतराल में हुई थी   . अमेरिका के 50 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 4 जुलाई 1826 को दोनों की मौत हुई थी   . संयोग से उस दिन जॉन एडम्स ने लिखा “ Thomas Jefferson survives  “  हालांकि उन्हें उस समय पता नहीं था कि उनका मित्र जेफ़र्सन कुछ घंटे पहले ही मर चुका था  . 

क्रमशः