भूमिका:-
भारत की मध्य प्रदेश की गहन और वीरान पहाड़ियों के बीच, छुपा हुआ है एक प्राचीन मन्दिर, जिसे स्थानीय लोग "योगिनी मन्दिर" कहते हैं।
कहते हैं यहाँ 64 योगिनियों की तंत्र साधना की जाती थी, जिनकी शक्ति से पूरा क्षेत्र वशीभूत था। समय के साथ यह मन्दिर वीरान हो गया, मगर जो भी वहाँ गया, कभी वापस नहीं आया।कहानी की शुरुआत होती है प्राचीन इतिहास के विद्वान और पुरातत्वविद् आर्यन सिंह से, जो इस रहस्यमयी जगह की खोज में निकला है। उसके साथ होती है एक रहस्यमयी युवती माया, जो आर्यन की यात्रा का हिस्सा बनती है।---
पहला अध्याय: बुलावाआर्यन सिंह ने कई महीनों की तैयारी के बाद मध्य प्रदेश की पहाड़ियों की ओर यात्रा शुरू की। उसके मन में तंत्र साधना और प्राचीन रहस्यों को उजागर करने की तीव्र लालसा थी। स्थानीय ग्रामीणों की चेतावनियाँ, मन्दिर के आसपास की कहानियाँ उसे नहीं डरा पाईं।पहाड़ी के ऊपर चलते हुए आर्यन ने महसूस किया कि जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसे खींच रही है। तभी, अचानक झाड़ियों के बीच से एक लड़की निकली — मासकी आँखों में एक अनोखी चमक थी, और उसके शब्द जैसे पहाड़ की गहराई से निकले हों:"इस जगह की आत्माएं तुम्हें बुला रही हैं, आर्यन। तैयार रहना।"आर्यन ने सोचा कि ये कोई साधारण लड़की नहीं है, माया में कुछ रहस्यमय था।---
दूसरा अध्याय: योगिनी मन्दिर की छायादोनों ने साथ मिलकर योगिनी मन्दिर के पुराने अवशेषों को खोज निकाला। मन्दिर की दीवारों पर 64 योगिनी मूर्तियाँ अभी भी टंगी थीं, जिनमें से प्रत्येक मूर्ति एक योगिनी की प्रतीक थी।जैसे ही आर्यन ने एक मूर्ति को छुआ, अचानक हवा तेज हुई और मन्दिर की दीवारों से 64 छायाएँ निकलीं, जो माया के इर्द-गिर्द नाचने लगीं। माया ने कहा, "यह छायाएँ हमारी प्राचीन शक्ति हैं, जो अब भी जीवित हैं।"आर्यन ने महसूस किया कि यह साधना कोई साधारण साधना नहीं थी, बल्कि एक शक्तिशाली तंत्र था जो आज भी प्राणवान है।---
तीसरा अध्याय: छायाओं का रहस्यमाया ने आर्यन को बताया कि वह खुद 64 योगिनियों की साधना का अंत:करण है, पुनर्जन्म के रूप में। उसका जन्म इसी शक्ति की वजह से हुआ था। वे 64 योगिनियाँ सदियों पहले इस मन्दिर में बंद हो गई थीं, और उनका शाप आज भी इस घाटी को घेरे हुए था।आर्यन और माया के बीच धीरे-धीरे प्रेम पलने लगा, लेकिन यह प्रेम भी छायाओं की जटिल शक्तियों के बीच फंसा था।---
चौथा अध्याय: तंत्र साधना की रातमाया ने आर्यन को उस रात मन्दिर के अंदर तंत्र साधना के रहस्यों को दिखाया। 64 योगिनियों के मंत्र, शाप, और उनकी शक्तियों को देख आर्यन के रोंगटे खड़े हो गए।माया ने कहा, "अगर हम इस शाप को नहीं तोड़ पाए, तो यह शक्ति हमारे जीवन को निगल जाएगी।"उस रात मन्दिर के भीतर भयावह घटनाएँ घटीं — छायाएँ जीवित हो उठीं, मंत्रों की आवाजें गूँजने लगीं, और कालिमा का अधिष्ठान जाग उठा।---
पांचवाँ अध्याय: शाप का बंधनआर्यन ने माया के साथ मिलकर तंत्र ग्रंथों का अध्ययन किया, और पाया कि केवल प्रेम की शक्ति से ही यह शाप टूट सकता है। परंतु इस प्रेम को साबित करना होगा — खुद को उस बलिदान के लिए तैयार करना होगा जो हर मानव के लिए असंभव लगता है।दोनों ने संकल्प लिया कि वे इस शाप को तोड़ेंगे, चाहे कीमत कुछ भी हो।---
छठा अध्याय: बलिदान और मुक्तिअंतिम दिन जब 64 छायाएँ पूरी शक्ति से प्रकट हुईं, आर्यन और माया ने प्रेम की शक्ति से उन छायाओं का सामना किया। भूतपूर्व साधनाओं, शापों और प्रेतात्माओं के बीच प्रेम की चमक एक किरण की तरह फटी।माया ने अपना जीवन बलिदान कर दिया, जिससे योगिनियों का शाप टूटा और घाटी में शांति छा गई।आर्यन अकेला बचा, लेकिन उसके दिल में माया की यादें और प्रेम की अमर छाया सदा के लिए जीवित हो गई।---
उपसंहार:-
जतिंगा घाटी की तरह ही यह योगिनी मन्दिर और उसकी 64 छायाएँ आज भी किसी अज्ञानी को बुला सकती हैं। यह कहानी प्रेम, बलिदान, रहस्य और तंत्र साधना की अमर कथा.
-समाप्त-
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धन्यवाद।
लेखक:- शैलेश वर्मा