Netaji ki Gupt Faaile - 1 in Hindi Short Stories by Shailesh verma books and stories PDF | नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1

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नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1

प्रस्तावना:

यह कहानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के उस रहस्य से पर्दा उठाने की एक गंभीर कोशिश है, जो आज़ाद भारत में भी पूरी तरह सामने नहीं आ सका। यह केवल एक कहानी नहीं, बल्कि उन हजारों दस्तावेज़ों, गवाहों और अनुभवों का मेल है जो इस ऐतिहासिक रहस्य को जीवित रखते हैं। भारत के सबसे साहसी सेनानी की कहानी —

जो संभवतः कभी मरा ही नहीं।---

अध्याय 1: अंतिम उड़ान — या एक झूठ?18 अगस्त 1945, जापानी हवाई अड्डा ताइहोकू (अब ताइपेई)। ख़बर उड़ी कि नेताजी एक विमान हादसे में मारे गए। जापान की सरकार ने इसे पुष्टि दी, पर शव का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला। न डीएनए, न फोटोग्राफ, न ही कोई अंत्येष्टि रिकॉर्ड।वहीं, कुछ जापानी नर्सों और सैनिकों ने बयान दिया कि "नेताजी उस विमान में थे ही नहीं।"---

अध्याय 2: मॉस्को से संदेश1946—1949 के बीच भारत की गुप्तचर इकाइयों को कुछ रेडियो संदेश मिलते हैं। एक विशेष सिग्नल में कहा गया:>

"Voice of the Phoenix has reached Siberia. Contact continues."

यह संदेश ब्रिटिश और भारतीय एजेंसियों ने इंटरसेप्ट किया, पर सार्वजनिक नहीं किया। मॉस्को में भारतीय दूतावास के सूत्रों के अनुसार, नेताजी को सोवियत यूनियन में देखा गया था।---

अध्याय 3: नेहरू का खत1951 में सोवियत यूनियन को नेहरू का एक पत्र मिला जिसमें नेताजी को "war criminal" कहकर पहचानने और उन्हें भारत को न सौंपने की विनती की गई थी। यह खत एक ब्रिटिश जासूस की डायरी में दर्ज था, जो 1996 में लीक हुआ।क्या नेहरू नेताजी की वापसी से डरते थे?---

अध्याय 4: फैज़ाबाद के बाबा — भगवनजी1960 के दशक में उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद में एक रहस्यमय साधु रहते थे — गुमनामी बाबा।उनकी आवाज़, लिखावट, किताबें, यहाँ तक कि उनका चश्मा और घड़ी — सब नेताजी से मेल खाते थे। 1985 में उनकी मृत्यु के बाद, उनके कमरे से INA के दस्तावेज़, नेताजी की मूल तस्वीरें, और विदेशी संवादपत्र मिले।---

अध्याय 5: जांच आयोग और निष्कर्षभारत सरकार ने नेताजी के रहस्य की जांच के लिए तीन आयोग बनाए:शाह नवाज आयोग (1956): विमान हादसे को सही माना।खोसला आयोग (1970): शक व्यक्त किया।मुखर्जी आयोग (1999): विमान हादसे को नकारा, और कहा कि "गुमनामी बाबा ही नेताजी थे।"पर सरकार ने रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया। क्यों?---

अध्याय 6: RTI और दबी हुई फाइलें2015 में नेताजी की 100+ फाइलें सार्वजनिक की गईं, जिनमें से कई में यह संकेत मिले:नेताजी के परिवार की जासूसी हुई।रूस और चीन में नेताजी की गतिविधियों पर नज़र रखी गई।कुछ फाइलें जानबूझकर "destroyed in public interest" घोषित कर दी गईं।---

अध्याय 7: CIA और KGB की रिपोर्ट्सअमेरिकी गुप्तचर संस्था CIA और सोवियत KGB की कुछ रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें बताया गया कि:>

"Subhash Chandra Bose is alive in Siberia under Stalin's protection."

ये दस्तावेज़ अमेरिकी शोधकर्ता ग्रेगोर डगलस ने पेश किए थे। पर उन्हें भारत में कभी आधिकारिक मान्यता नहीं मिली।---

अध्याय 8: नेताजी की सोच — डर या रणनीति?यदि नेताजी जीवित थे, तो उन्होंने वापसी क्यों नहीं की?क्या उन्हें डर था कि वे देश को तोड़ने वाला चेहरा बना दिए जाएंगे?क्या वे किसी गुप्त अंतरराष्ट्रीय रणनीति के अंतर्गत चुप थे?क्या यह गांधी और नेहरू की नीतियों से असहमति का परिणाम था?---

अध्याय 9: इतिहास बनाम सत्ताभारत के इतिहास में यह पहली बार नहीं था जब सच दबाया गया। लेकिन नेताजी का मामला बहुत गहरा था:यह केवल एक व्यक्ति की नहीं, एक विचारधारा की हत्या थी।एक ऐसा नेता, जिसने खुद को देश के लिए अर्पित किया — उसे 'मृत' घोषित करके भुला दिया गया।क्योंकि अगर वह जीवित होता, तो वर्तमान सत्ता टिक नहीं पाती।---

अंतिम अध्याय: क्या नेताजी अब भी जीवित थे?1985 में भगवनजी की मृत्यु हुई। पर उनके अंतिम शब्द थे:>

"मैंने जो छोड़ा, वही अब मुझे छोड़ रहा है। भारत को एक और लड़ाई लड़नी होगी।"

उनकी अस्थियाँ विश्लेषण के लिए भेजी गईं पर रिपोर्ट दबा दी गई।---

निष्कर्ष:

नेताजी की मौत एक अनसुलझा रहस्य है।उनके जीवन की गुप्त फाइलें अब भी छुपाई जा रही हैं।सत्ता बदलती रही, पर सच हमेशा अंधेरे में रहा।गुमनामी बाबा, सोवियत संपर्क, और नेहरू पत्र — यह सब कुछ एक ही ओर इशारा करते हैं:>

नेताजी मरे नहीं थे। उन्हें मारा गया इतिहास में, और वो भी कलम से।---

अंतिम संदेश:यह कहानी उस महानायक की है जिसने हमें आज़ादी दिलाई — और शायद खुद कभी आज़ाद नहीं हो पाया।जय हिंद!

जरुरी नोट:- यह कहानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के रहस्य, सोवियत संपर्क, भगवनजी बाबा, नेहरू के पत्रों और दबी हुई फाइलों पर आधारित है — सब कुछ तथ्यों के साथ।

धन्यवाद


-समाप्त-


लेखक:- शैलेश वर्मा