हितेन की हालत गंभीर......
अब आगे............
तक्ष वापस अदिति के रूप में आता है और उबांक से कहता है...." उबांक तू यहां से चला जा कुछ दिनों के लिए जब मैं तुझे बुलाऊं तब ही यहां आना और हां उस विवेक पर नजर बनाए रखना और हर पल की खबर मुझे देते रहना...."
उबांक : जी दानव राज.....
तक्ष जाते जाते रुक जाता है......" और हां तू तो मुझसे दूर से भी बात कर सकता है न तो मुझे इस सबके बारे में बताया क्यूं नहीं....?..."
उबांक : दानव राज मैं बहुत कोशिश कर रहा था लेकिन आपसे बात नहीं कर पा रहा था.....
तक्ष उबांक को बीच में रोकता हुआ बोला....." अच्छा ठीक है जाओ अब और ध्यान रहे उससे दूर रहना..."
उबांक : आप अब चिंता मत कीजिए...अब मैं सर्तक रहूंगा और इस बार एक मक्खी में बदलूंगा ताकि कोई मुझे न ढूंढ पाए.....
तक्ष : हां उबांक......बस बहुत जल्द मैं तुझे भी एक पैशाच रूप दे दूंगा बस मेरी ये बलि पूरी हो जाए......
तक्ष कुछ सोचकर गुस्से में आग बबूला हो जाता है और उबांक से कहता है....." मुझे इस रूप में लाकर आदिराज तूने अच्छा नहीं किया....मेरी बरसों की मेहनत खराब की है तूने। मैं तेरे दोनों बच्चों से बदला लूंगा ...,उबांक वैषिली पत्ते लाकर दे मुझे ....
उबांक : दानव राज आप उसका क्या करोगे, वो तो बहुत ख़तरनाक है....
तक्ष : हां मुझे पता है तू मुझे ये पत्ते कल तक ला दे.....
उबांक : जी दानव राज मैं अभी जाता हूं....!
उबांक वहां से चला जाता है और तक्ष अदिति के कमरे में जाकर लेट जाता है......उधर विवेक हितेन को एंटिबायोटिक देकर रूम में ले गया था लेकिन हितेन थोड़ी देर बाद ही बेहोश हो गया था, , तीनों हितेन को होश में लाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ। हितेन को होश ही नहीं आ रहा था...
रात लगभग गुजर ही चुकी थी,, इसलिए विवेक ने डाक्टर को काॅल करके घर आने के लिए कह दिया था...
थोड़ी देर में ही सुरज की लालिमा फैलने लगे थी...मालती जी और सुविता जी दोनों उठ चुकी थी....सुविता जी नाश्ते के लिए रसोईघर में चली गई थी और मालती जी मंदिर में आरती कर रही थी..... थोड़ी देर में डाक्टर पहुंच चुके थे। इशान उठकर अभी बाहर ही आया था की अचानक आए डाक्टर को देखकर हैरानी से पूछता है....." डाक्टर खन्ना आप इतनी सुबह सुबह ..."
सुविता जी और मालती जी दोनों भी डाक्टर को देखकर परेशान हो जाती है..... अमरनाथ जी भी वहीं questions पूछते हैं....
डाक्टर : मिस्टर चौधरी... हमें मिस्टर विवेक चौधरी ने यहां बुलाया है....
विवेक का नाम सुनते ही सब एक दूसरे की तरफ देखने लगते हैं आखिर अचानक विवेक को डाक्टर की जरूरत क्यूं पड़ती...वो आगे कुछ पूछते हैं या बताते विवेक आता
विवेक : डाक्टर जल्दी चलिए.....
मालती जी विवेक से पूछती है..." क्या हुआ विवेक...?..."
विवेक : मां... बड़ी मां मैं आप सबको अभी बाद में बताऊंगा बस इतना सुन लिजिए हितेन को बहुत देर से होश नहीं आ रहा है.... डाक्टर चलिए....
विवेक डाक्टर को लेकर अपने रूम में पहुंचता है बाकी सब भी उसके पीछे पीछे ही रुम में पहुंचते हैं... डाक्टर हितेन के पास जाकर उसकी नब्ज को चैक करते हैं फिर कभी आंखों को देखते हैं.... ऐसे ही कुछ देर चैकअप करने के बाद डाक्टर विवेक से कहते हैं......" मिस्टर विवेक इन्होंने कोई एक्सपायर मेडिसिन ली है..." विवेक न में सिर हिला कर पूछता है...." ऐसा तो कुछ नहीं हुआ हमने तो रात को डिनर के बाद कोल्ड ड्रिंक ली थी बस और उसके बाद हम जब बातें कर रहे थे तो एक अजीब सा कीड़ा आया और..." विवेक कहते कहते रूक जाता है...
डाक्टर : और क्या मिस्टर विवेक....?
विवेक : आप डाक्टर है या मैं ....इसे देखकर बताइए क्या प्रोब्लम है....
विवेक के गुस्से में बोलने से डाक्टर खन्ना चुपचाप हितेन को देखने लगते हैं..... चैकअप करते हुए उन्हें हितेन के हाथ पर बने स्क्रैच के निशान को देखता है, जो हल्के नीले हो चुके थे और उसमें से निकलने वाला खून जम चुका था....उसे देखकर डाक्टर ने हैरानी भरे शब्दों में कहा......" मिस्टर विवेक वो इंसेक्ट किस स्पीसीज का था मतलब क्या आप जानते हैं किसने इन्हें बाइट किया....(हाथ को दिखाता है)... देखिए इनके निशान को ये स्क्रैच नीले पड़ चुके हैं और खून जम चुका है....
विवेक : आप कहना क्या चाहते हैं...?
डाक्टर : मिस्टर विवेक वो इंसेक्ट नार्मल नहीं था । वो जहरीला था.... जिससे इनकी बाडी का इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ रहा है ....आप इन्हें जल्दी ही हाॅस्पिटल में एडमिट करा दिजिए....वहीं इन्हें ट्रिटमेंट मिलेगा....
इशान डाक्टर की बात सुनकर ऐसा ही करने के लिए कहता है और हितेन को तुरंत हाॅस्पिटल ले जाया गया.... विवेक ने न चाहते हुए भी इशान के कहने पर उसकी फैमिली को लाइफ केयर हॉस्पिटल आने के लिए कहा..... विवेक , कंचन और श्रुति हितेन की हालत से काफी घबराते हुए थे.... कंचन बार बार विवेक से हितेन को ठीक करने के कह रही थी लेकिन परेशान और गुस्से में बस तक्ष को खत्म करने के लिए ही कह रहा था....
विवेक हितेन को लेकर हाॅस्पिटल पहुंचता है... डाक्टर की टीम उसे आई सी वार्ड में ले जाती है जहां तुरंत उसका ट्रीटमेंट शुरू होता है क्योंकि हितेन की बाॅडी धीरे धीरे नीली पड़ने लगती है......
विवेक और बाकी सब बाहर ही बैचेनी से आई सी वार्ड को देख रहे थे.... हितेन की फैमिली मेंबर्स भी वहां पहुंचते हैं और हितेन की इस हालत के बारे में पूछते हैं । विवेक उन्हें दिलासा देते हुए कहता है...." आप बिल्कुल चिंता मत करिए मैं हितेन को कुछ नहीं होने दूंगा... उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े मै करूंगा बस मैं अपने दोस्त को फिर से ठीक करके ही चैन से बैठूंगा ......"
विवेक की बात से उसकी मां को कुछ हद तक तसल्ली मिलती है..।।।।। थोड़ी देर बाद सीनियर डाक्टर बाहर आकर कहते हैं........ जिसे सुनकर सबके चेहरे का रंग उड़ जाता है....
……..............to be continued..............
ऐसा क्या कहा सीनियर डाक्टर ने जिसे सुनकर सबके होश उड़ गए.....?
जानने के लिए जुड़े रहिए.......
आपको कहानी कैसी लगी रही है मुझे रेटिंग के साथ जरूर बताएं.....