VISHAILA ISHQ - 2 in Hindi Mythological Stories by NEELOMA books and stories PDF | विषैला इश्क - 2

The Author
Featured Books
Categories
Share

विषैला इश्क - 2

(अमावस्या की रात, सनी और उसकी गर्भवती पत्नी निशा जंगल से गुजर रहे होते हैं। निशा को कुछ अजीब आभास होता है, लेकिन सनी मजाक में टाल देता है। अचानक एक विशाल नाग कार को हवा में उठा लेता है। निशा बेहोश हो जाती है, सनी डर जाता है। तभी एक रहस्यमयी साधु प्रकट होकर मंत्रों और भस्म से नाग को काबू करता है। नाग इंसान के आधे रूप में बदल जाता है और निशा की कोख को गौर से देखकर गायब हो जाता है।साधु भी कुछ देर बाद लापता हो जाता है। सनी निशा को घर लाकर सुला देता है, लेकिन रातभर बेचैन रहता है। अगली सुबह निशा गायब होती है और गार्ड बेहोश मिलता है। सनी घबरा जाता है और अपनी गन लेकर जंगल की ओर निशा की तलाश में निकल पड़ता है।) अब आगेसनी दोबारा उसी कमरे में गया, जहां उसने आख़िरी बार निशा को चैन से सोते देखा था। बिस्तर अब भी हल्का गर्म था — जैसे अभी कुछ पल पहले ही कोई वहाँ लेटा हो — पर वह कोई अब वहां नहीं था। दरवाज़ा भीतर से बंद नहीं था। खिड़की खुली थी, लेकिन बाहर की चुप्पी अस्वाभाविक रूप से भारी थी, जैसे जंगल कुछ छिपा रहा हो।एक पल के लिए वह वहीं ठिठक गया। पलकें झपकना भूल गया, साँस थम गई। फिर अचानक चेतना लौटी — उसने तेजी से मोबाइल उठाया और सीधे विभाग में कॉल लगाया।"मेरी पत्नी गायब है। गर्भवती है… वो कमरे से गायब हो गई है। जंगल की ओर गई हो सकती है। अभी और इसी वक्त सर्च ऑपरेशन शुरू करो!"उसकी आवाज़ में घबराहट नहीं थी, एक कठोर आदेश था। लेकिन भीतर एक तूफान उठ खड़ा हुआ था — जिसे कोई सुन नहीं सकता था।वह झपटकर अपनी जिप्सी में बैठा, गाड़ी स्टार्ट करने ही वाला था कि नजर एक कोने में खड़ी लाल कार पर पड़ी — निशा की कार। और तभी वह यादें लौट आईं जिन्हें डर और भ्रम के चलते वह भूल चुका था — वह साधु, आधा मानव आधा नाग प्राणी, और फिर वह रात की रहस्यमयी घटनाएं।सिर पकड़ लिया उसने। क्या निशा के गायब होने का संबंध उस नाग से है?उसने जिप्सी को उसी दिशा में दौड़ा दिया, जहां उस पर नाग का हमला हुआ था।"मैंने क्यों उसे आधी रात को बाहर निकाला?""क्यों उस हालत में उसे जंगल की ओर जाने दिया?"सनी खुद को कोसता रहा। अब तक उसने किसी भी आपात स्थिति में निशा को रात में घर से बाहर नहीं निकलने दिया था, न तब जब उनकी शादी नई-नई हुई थी। वह जंगल की क्रूरता और खामोश हिंसा को जानता था।वह स्थान अब वीरान था। कोई निशान नहीं, न उस नाग का, न किसी संघर्ष का। असहाय महसूस करते हुए वह फॉरेस्ट चौकी पहुँचा। वहाँ पुलिस की एक टीम नाग पकड़ने वाले दल को रोके खड़ी थी।"क्या किसी ने आधा मानव, आधा नाग देखा है?" उसने ज़ोर से पूछा।लोग एक-दूसरे की ओर देखने लगे। सन्नाटा छा गया। कुछ देर बाद एक युवक बोला, "नहीं साब, देखा तो नहीं... पर पूर्वजों की कहानियाँ कहती हैं कि पहले ऐसे प्राणी जंगल में देखे जाते थे।"एक और आदमी साहस करके बोला, "सुना है... आपकी बीवी को वही उठा ले गया?"सनी चुप हो गया। उसे लगा, अगर वह कल रात की घटनाएं बता दे, तो जंगल में दहशत फैल सकती है। लेकिन वह अब चुप बैठने वालों में से नहीं था।वह फिर जंगल में उतर गया। जीप से उतर-उतर कर "निशा!" पुकारता रहा। आवाजें पेड़ों से टकराकर लौट आतीं — जैसे पूरा जंगल उसका दर्द लौटा रहा हो। उसकी चीखें, कराहें — सब गूंज रही थीं पर कोई जवाब नहीं था।थककर चूर हो गया था। गला सूख गया, होंठ फटने लगे। शरीर पसीने से भीगा हुआ, आँखों में आंसू थे, दिल में एक असहनीय बैचेनी। वह समझ नहीं पा रहा था — क्या करे, कहां जाए, किससे पूछे?"मुझे नाग पकड़ने वाले दल का ठिकाना चाहिए," उसने आदेशात्मक स्वर में कहा और फिर जिप्सी हवा की तरह दौड़ने लगी।सफर के बीच उसकी आंखों में बार-बार निशा का चेहरा उभरता। उसे याद आने लगी उनकी पहली मुलाकात......वह दिन जब वह लकड़ी माफिया से भिड़ गया था। एक फैक्ट्री के बाहर अवैध लकड़ी कटाई रोकने गया और श्रमिकों ने कुल्हाड़ियों से हमला कर दिया। गोलियां चलीं, सनी बुरी तरह घायल हो गया।उसे नज़दीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया।यही वह जगह थी जहाँ पहली बार निशा ने उसे देखा था।वह कमरे में आई और बिना भूमिका के मुस्कुराते हुए बोली,"Are you married?"सनी ने नहीं में गर्दन हिलाई।"Good!" कहकर निशा मुस्कुराती हुई बाहर निकल गई।उस दिन के बाद से सनी की हर जगह, हर सोच, हर सांस में निशा ही थी — जंगल की हर डाल पर, हर चौकी में, हर पहरे में।अब, जब वह गायब थी, वह जैसे खुद को भी खो चुका था।सनी अपनी सोचों से बाहर आया। वह एक जगह पहुंचा जहां टेंटों की कतारें थीं — सपेरों की बस्ती।"क्या मैं किसी बुजुर्ग से अकेले में बात कर सकता हूं?" उसने पूछा।एक युवा ने उसे देखा और इशारा किया — "इस ओर आइए।"सनी उसके पीछे चला। मन-ही-मन वह उस साधु के बारे में सोच रहा था जिसने एक बार उसकी और निशा की जान बचाई थी।क्या वही कुछ जानता है?क्या वह साधु यहीं कहीं है?वह एक तंबू के पास रुका। लड़के ने कहा, "दादाजी अंदर हैं, आप मिल सकते हैं।"सनी ने सिर झुकाकर धन्यवाद दिया और तंबू में दाखिल हो गया।इधर...जंगल के एक सुदूर भाग में — पहाड़ियों के नीचे — एक नदी बह रही थी। उसके पास ही, एक गुफानुमा सुरंग में, पत्तों के बिस्तर पर निशा लेटी हुई थी। वह सो रही थी, या शायद बेहोश थी। लेकिन सुरक्षित लग रही थी।उसके चारों ओर कुछ स्त्रियां थीं — पारंपरिक वेशभूषा में, जिनके गहनों और वस्त्रों पर नाग की आकृतियाँ उकेरी हुई थीं। वे एक प्राचीन गीत गा रही थीं — एक पूजा गीत — और जिसके सामने वे बैठी थीं, वह थी एक विलक्षण मूर्ति — ऊपर से मानव मुख, नीचे नाग का शरीर, चार पूंछें और कई हाथ।यह नाग देवता थे — और वह स्त्रियाँ थीं... नाग वंश की स्त्रियाँ। गीत की धुन जैसे निशा के अंतर्मन से जुड़ गई हो। वह अब भी लेटी थी, लेकिन उसके होंठ उसी लय में हिल रहे थे — बिना आवाज के ही सही, लेकिन वही गीत गा रही थी।वह दृश्य अद्भुत था — रहस्यमय, भव्य और भय मिश्रित।नाग-स्त्रियाँ अब शांत हो गई थीं — और उनकी आँखों में संतोष और श्रद्धा का भाव था।शायद निशा कोई सामान्य मानव नहीं रही...

1.क्या सचमुच निशा नागों की किसी विशेष जाति से जुड़ी है, या यह सब केवल संयोग है?

2. क्या सनी का जंगल के हर कोने को जानना उसे निशा तक पहुंचा पाएगा, या यह जंगल उसके ज्ञान से कहीं अधिक रहस्यमय है?

3. वो मूर्ति कौन सी शक्ति का प्रतीक है, और क्या निशा अब उसी शक्ति की प्रतिनिधि बनने वाली है?

4. क्या सपेरों के बुजुर्ग उस साधु के बारे में कुछ जानते हैं जिसने कभी सनी की जान बचाई थी?

जानने के लिए पढ़ते रहिए "विषैला इश्क"