VISHAILA ISHQ - 4 in Hindi Mythological Stories by NEELOMA books and stories PDF | विषैला इश्क - 4

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विषैला इश्क - 4

(निशा एक रहस्यमय नाग पूजा में शामिल होती है जहाँ उसके अजन्मे बच्चे को शक्ति दी जाती है। नाग रानी और नाग गुरु भविष्य के एक नए युग की भूमिका बाँधते हैं। इधर सनी एक सपेरे से रहस्य पूछता है, जिसे भविष्य का ज्ञान है। वह चेतावनी देता है कि सनी की पत्नी और बेटी खतरे में हैं। सनी घर लौटता है, जहां उसे सांप डस लेता है, लेकिन सुबह सब सामान्य लगता है। रहस्य गहराता है—सच क्या है, भ्रम क्या? अब आगे)

सनी को घर लौटते हुए काफी देर हो चुकी थी। घने जंगलों से गुजरते वक्त उसका मोबाइल बजा — निशा का कॉल था।

“हां जानू! बस रास्ते में हूं, थोड़ी देर में पहुंचता हूं,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, मगर अंदर कुछ अजीब-सी बेचैनी थी।

जंगल का रास्ता सुनसान और रहस्यमय था। अचानक उसे कुछ असामान्य महसूस हुआ — जैसे कोई मदद की पुकार… या कोई अदृश्य ऊर्जा उसे खींच रही हो। उसने बिना समय गंवाए जिप्सी किनारे रोकी और टॉर्च लेकर बाहर निकला।

कुछ ही कदम चले होंगे कि एक झाड़ी के पास से भयानक गर्जना सुनाई दी। टॉर्च की रोशनी में उसने देखा — एक तेंदुआ एक छोटे से बच्चे पर झपटा मार रहा था।

सनी ने फुर्ती से कमर से गन निकाली और निशाना साधा, लेकिन गोली चलाने से पहले ही तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। झटके से गन दूर जा गिरी और सनी ज़मीन पर गिर पड़ा।

तेंदुए के पैने जबड़े अब उसके कंधे की ओर बढ़ रहे थे — लेकिन सनी ने हिम्मत नहीं हारी। उसने जान की बाज़ी लगाकर तेंदुए को अपने हाथों से रोक लिया। उसकी हथेलियों से खून रिसने लगा, पर उसके चेहरे पर डर नहीं, केवल जज़्बा था।

तभी अचानक — धाँय!

एक गोली चली, और तेंदुआ वहीं लड़खड़ाकर गिर पड़ा।

सनी ने चौंककर देखा — वही बच्चा उसके सामने खड़ा था, कांपते हाथों में गन पकड़े।

“तुम…?” सनी के होठों से निकला।

बच्चे की आंखों में डर तो था, पर कहीं गहराई में एक परिचित चमक भी — जैसे उसने पहले भी ऐसे किसी की रक्षा की हो।

सनी ज़मीन पर बैठा था, कंधे से खून रिस रहा था। लेकिन उसकी आंखें उस लड़के पर टिक गई थीं, जिसने न सिर्फ उसकी जान बचाई थी — बल्कि खुद अपनी जान जोखिम में डाल दी थी।

“तुम… इतने छोटे हो, और ये सब…?” सनी ने हैरानी से पूछा।

बच्चा कुछ नहीं बोला। उसकी आंखें एकटक सनी को देख रही थीं। एक पल को लगा — जैसे वो कुछ कहना चाहता हो, पर शब्द गले में अटक गए हों।

सनी ने धीरे से पूछा, “क्या तुम ठीक हो? नाम क्या है तुम्हारा?”

बच्चा धीरे से बोला, “नाम नहीं पता…”

“कहां रहते हो?”

“यहीं… जंगल में…”

सनी सिहर गया। “अकेले?”

लड़के ने बस सिर हिला दिया। लेकिन तभी हवा में एक अजीब-सी सनसनाहट हुई — जैसे कोई अदृश्य ऊर्जा पास से गुज़र गई हो। सनी ने महसूस किया, यह बच्चा साधारण नहीं है। उसके आस-पास जैसे कोई अदृश्य रक्षा कवच हो।

वह बच्चा आगे बढ़ा और सनी के घायल कंधे पर हाथ रखा। तभी सनी की आंखों के सामने झिलमिलाती सी एक छवि उभरी — नागों की कोई पुरानी सभा, जिसमें एक बच्चा मंत्रोच्चार के बीच आशीर्वाद पा रहा था।

सनी हकबका कर पीछे हटा, “ये… ये क्या था?”

बच्चे की आंखें अब सामान्य नहीं थीं — उनमें नीले रंग की हल्की रोशनी थी। वो बोला, “आपने मेरी रक्षा की… इसलिए अब मैं आपका ऋणी हूं।”

“तुम कौन हो?” सनी ने काँपती आवाज़ में पूछा।

बच्चा बोला, “मुझे नहीं पता… पर मेरे सपनों में एक नाग रानी आती है, जो कहती है — ' रक्षा का वचन निभाया जाएगा, जब समय आएगा, तुझे अपना परिवार मिल जाएगा।'”

सनी की रूह काँप गई। वह कुछ बोलता, उसी पल जंगल के दूर किनारे से एक नरम, जानी-पहचानी आवाज़ आई — "सनी!"

निशा, डर और घबराहट में दौड़ती हुई आ रही थी।

जैसे ही वो पास आई, उसकी निगाह उस बच्चे पर पड़ी — और अचानक वो वहीं ठिठक गई। कुछ था उस बच्चे में, जो निशा को अंदर तक हिला गया।

“ये… कौन है?” उसने धीरे से पूछा।

सनी भी जवाब नहीं दे पाया। सिर्फ एक बात समझ आ रही थी ।

यह बच्चा अब उनके जीवन से नहीं जाएगा।

और शायद, यही वो सूत्र है — जो अतीत, वर्तमान और आने वाले संग्राम को एक-दूसरे से जोड़ने वाला है…

निशा दौड़ती हुई सनी के पास आई। उसकी सांसें तेज थीं और आंखों में चिंता साफ झलक रही थी।

“सनी! ये कंधे के कपड़े… फटे हुए क्यों हैं?”

उसने कांपते हाथों से सनी का कॉलर खींचकर घाव वाली जगह देखी।

सनी ने झेंपते हुए गर्दन झुका ली। "कुछ भी तो नहीं… शायद झाड़ी में फंस गया था।"

लेकिन उसकी आवाज़ में खुद ही उसे भरोसा नहीं था।

अचानक उसकी नज़र अपने कंधे पर गई… जहाँ कुछ देर पहले तेंदुए के नुकीले पंजे ने खून बहाया था — अब वहाँ सिर्फ हल्की सी एक लकीर थी, जैसे पुराना ज़ख्म हो।

"ये… कैसे हो सकता है?"

उसने धीरे से अपनी उंगलियों से छुआ — दर्द का नामो-निशान नहीं था।

निशा अभी भी उसके कंधे को देख रही थी, लेकिन सनी की आँखें अब उस बच्चे पर टिक गई थीं। बच्चा शांत खड़ा था, लेकिन उसकी आँखों में वो बात थी — जो शब्दों से नहीं कही जा सकती।

एक रहस्यमय आकर्षण।

जैसे कोई पुराना बंधन…

जैसे ये बच्चा उसकी किसी अधूरी कहानी की कड़ी हो।

"तुम्हारा नाम क्या है? ऐसे कैसे तुम्हें अपना नाम नहीं जानते।" सनी ने धीमे से पूछा।

बच्चा बस उसे देखता रहा…

फिर एक शब्द फिसला —

"नहीं जानता… लेकिन मुझे लगता है मैं आपको जानता हूं…"

निशा और सनी दोनों एक पल को ठिठक गए।

जंगल की हवा जैसे भारी हो गई थी। और उस क्षण — तीनों के बीच एक अदृश्य डोर जुड़ गई थी।

निशा ने बच्चे के सिर पर हाथ रखा।

"अब से तुम हमारे साथ चलोगे।"

बच्चे की आंखों में पहली बार एक साफ, मासूम मुस्कान उभरी — मगर वो मुस्कान अपने साथ एक भविष्य का संकेत भी लेकर आई थी…

निशा ने उस बच्चे का हाथ पकड़ते हुए कहा —

"चलो, बहुत रात हो गई है।"

सनी की आँखें उस बच्चे पर जमी थीं।

कुछ था उसमें… कोई मासूम डर नहीं,

बल्कि कोई अजीब-सी शांति… जैसे उसे पता हो कि क्या होने वाला है।

सनी को खटका ज़रूर… मगर जंगल में अकेला छोड़ना भी मुमकिन नहीं था।

वो चुपचाप उनकी ओर बढ़ गया।

तभी निशा की आवाज़ आई — "जानू, मुझे भूख लगी है। जल्दी आओ!"

सनी ने हल्की मुस्कान के साथ हामी भरी और कार में बैठ गया।

रास्ता घर की ओर… मगर सोचें भटकने लगीं।

कार अपनी रफ्तार से घने जंगल से निकल रही थी।

सड़क अब सुनसान नहीं थी, मगर सनी के मन में हलचल बाकी थी।

फोन बजा —

ट्रिन ट्रिन…

निशा ने झुंझलाकर कहा,

"शादी मुझसे हुई है, और कॉलें उनसे…!"

फिर शरारत से बोली,

"पहले खाना खा लो, फिर अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर लेना!"

निशा ने हँसते हुए फोन साइलेंट कर दिया।

ड्राइविंग में  सनी की नज़रें सीधी थीं, पर मन पीछे कहीं भटक रहा था।

घर का दरवाज़ा… और एक नई खामोशी।

घर पहुंचते ही सनी कार से उतरने लगा।

लेकिन तभी…

 फोन फिर बजा।

बिना देखे उसने उठा लिया।

दूसरी तरफ से आवाज आई —

"कहां हो तुम? और कितना समय लगेगा?"

आवाज़… वही थी… निशा की।

सनी की साँस अटक गई।

"निशा…? क्या? लेकिन तुम तो…!"

वो पलटा —

कार की पिछली सीट खाली थी।

न निशा…

न वो बच्चा…

कोई नहीं था।

और अब…

चारों ओर जैसे हवा भी ठहर गई हो।

उसके फोन की स्क्रीन पर अब कॉल लॉग चैक किया  तो

निशा के अनगिनत काॅल थे।

सनी की उंगलियाँ काँप रही थीं।

दिल बेतहाशा धड़क रहा था।

उसने धीमे से बुदबुदाया —

"तो… वो… मेरे साथ कौन था…?"

घर में कदम रखने से पहले सनी ने एक बार फिर उस जंगल की ओर देखा — वही जंगल जो उस रहस्यमयी बालक और निशा के अनकहे रहस्यों को जानता तो था, पर चुप था... एक डरावनी खामोशी में डूबा हुआ।

1. "जिसे सनी बचा लाया था… शायद वही उसे एक रहस्य में डुबोने आया था।"

2. "वो बच्चा कौन था — रक्षक या नियति का एक दूत?"

3. "जो साथ था, वो हकीकत नहीं था… और जो हकीकत था, वो अब कहीं गुम है।"

4. "एक जंगल, एक बच्चा और एक ऐसा सच — जो सनी की ज़िंदगी को पलटने वाला था।"

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "विषैला इश्क"