दानव द रिस्की लव in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 79

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दानव द रिस्की लव - 79

अब आगे.........
बबिता परेशान सी वहीं बैठ जाती है..... तभी उसे ध्यान आता है की वो तक्ष के कमरे में ढूंढ़ना भूल चुकी हैं...... बबिता तुरंत तक्ष के कमरे की तरफ बढ़ती है......
उसके बढ़ते हुए कदम थोड़े डगमगाने लगे थे आखिर वो एक पिशाच का कमरा है पता नहीं क्या हो सकता है वहां... धीरे धीरे कदम बढ़ाती हुई बबिता ऊपर कमरे की तरफ बढ़ रहीं थीं लेकिन उसके चेहरे पर डर के कारण पसीने की बूंदें छलक रही थी....... बबिता धीरे धीरे कमरे के दरवाजे पर जाकर रुकती है और कंपकंपाते हाथ से दरवाजे को खोल देती है ......
पूरे कमरे में अंधेरा छा रखा था जिससे बबिता थोड़ी सहम सी जाती है लेकिन जल्दी से जाकर लाइट का स्विच ऑन कर देती है, पूरे कमरे में रोशनी फैली जाती है जिससे बबिता का डर खत्म होता है.....जैसा वो कमरे के बारे में सोच रही थी वहां वैसा कुछ नहीं था, इसलिए अपने डर को काबू करके बबिता अदिति को ढूंढती है कभी बेड के नीचे कभी बाथरूम में सब जगह देखने के बाद आखिर में अलमारी की तरफ बढ़ती है..... बबिता जैसे ही अलमारी खोलती है देखकर हैरान रह जाती है क्योंकि वहां अदिति बेहोश पड़ी थी ।
बबिता उसे इस हालत में देखकर घबरा जाती है और जोर से अदिति दी कहती हैं लेकिन अदिति पर उसकी आवाज का कोई फर्क नहीं पड़ता जैसे वो इस दुनिया में है ही नहीं...जब आवाज से कुछ नहीं होता तब बबिता उसे छूने के लिए हाथ बढ़ाती है लेकिन झटके से पीछे करती हुई कहती हैं...." मैं इन्हें छू क्यूं नहीं पा रही हूं...कहीं उस पिशाच ने किसी भूतिया शक्ति से तो उन्हें बंद नहीं कर रखा है.....मै अदिति दी को कैसे बचाऊं....." बबिता कुछ सोच कर वापस बाहर आती है और सीधा मंदिर की तरफ बढ़ती है लेकिन उससे पहले अपने आप से बड़बड़ाती हुई से किसी को काॅल  लगाती है ......" मुझे विवेक साहब को ये सब बताना होगा अगर मैं उस समय फोन नहीं करती तो‌ वो पिशाच पता नहीं साहब को क्या कर देता ....." 
दूसरी तरफ से काॅल रिसीव होती है....." हेलो ताई बोलो...."
बबिता कहती हैं...." साहब अदिति दी को बचा लिजिए...."
विवेक सवालिया अंदाज में बबिता से पूछता है....." ताई क्या कह रही हो अदिति तो यही है...."
बबिता जल्दी से कहती हैं......." नहीं साहब वो अदिति दी नहीं है वो....
....." अच्छा ताई बाद में बात करता हूं अभी डाक्टर आए हैं......" बबिता की इतनी बात सुनकर ही उसे बीच में रोकते हुए कहता है 
इधर बबिता परेशान सी मंदिर में पहुंचती है उधर डाक्टर इमरजेंसी वार्ड से बाहर आते हैं उन्हें देखकर इशान और विवेक उनके पास जाकर पूछ्ते....." डाक्टर आदित्य कैसा है...?....." 
डाक्टर अफसोस भरी आवाज में कहता है....." एम सॉरी मिस्टर इशान लेकिन उन्हें अभी तक होश नहीं आया है जबतक उन्हें होश नहीं आ जाता हम कुछ कह नहीं सकते..."
इशान दोबारा पूछता है......" उसे हुआ क्या है ये तो बता सकते हैं....?...."
डाक्टर : जी उन्हें अननैचुरल पाइजिन दिया गया है जिससे उनकी बाॅडी अनवर्केबल हो रही है, हमारी टीम उन्हें रिकवर करने की पूरी कोशिश कर रही है बट उस पाइजिन का अभी तक कोई तोड़ नहीं मिल पाया है......"
इशान डाक्टर से पूछता है......" ये अननैचुरल पाइजिन क्या है......"
डाक्टर उसे समझाते हुए कहते हैं......" अननैचुरल पाइजिन जल्दी से available नहीं होता, इसलिए इनके असर को खत्म करना मुश्किल हो जाता है.....
इतना कहकर डाक्टर वहां से चला जाता है.......
इशान काफी परेशान हो जाता है और विवेक सोचने लगता है ..." आखिर इतना रेयर पाइजिन भाई तक कैसे पहुंच गया.... ?... लेकिन पहुंच सकता है तक्ष की वजह से क्यूंकि ये पाइजिन अननैचुरल है तो जरूर तक्ष ने दिया होगा लेकिन ये तक्ष है कहां...." तभी उसे बबिता की काॅल की ध्यान आती है जिसमे वो कह रही थी अदिति को बचा लो ...वो अदिति नहीं है.... विवेक तुंरत समझ जाता है बबिता क्या कहना चाहती थी....
विवेक अदिति (तक्ष) को ढूंढ़ने के लिए कारिडोर में जाता है जहां अदिति एक कीड़े को देखकर बात कर रही थी... अदिति को देखकर विवेक पर्दे के पीछे जाकर छुप जाता है ताकि उनकी बात सुन सके लेकिन कोई फायदा नहीं होता बहुत करीब होने की वजह से भी विवेक को कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए पर्दे के पीछे न छुपकर  उसके सामने जाकर कहता है....." अदिति..." अचानक विवेक  की आवाज से तक्ष हैरानी से पीछे मुड़ता है और विवेक को देखकर कहता है......" तुम यहां क्या कर रहे हो मैंने मना किया था मेरे पास मत आना....." 
विवेक शक भरी नजरों से देखते हुए कहता है....." पता है लेकिन अभी डाक्टर आये थे और कह रहे थे भाई को किसी ने अननैचुरल पाइजिन दिया है....." विवेक ये बात कहते हुए अदिति के आने वाले भाव को देखकर अपने आप से कहता है....." तुम अदिति नहीं हो सकती... इतना रिलेक्स वो भी आदित्य भाई की इस हालत पर बबिता ताई कह रही है और इसका पता मैं अभी लगा लेता हूं....." 
विवेक अदिति के करीब पहुंचता है और उसके हाथ को पकड़ लेता है.... विवेक के हाथ पकड़ने से अदिति (तक्ष)के शरीर में कंपकंपी होने लगती है और विवेक से झटके के साथ हाथ को छुडा़ती है.....
अदिति (तक्ष)  गुस्से में विवेक से कहती....." तुमसे मना किया था न मुझे छूने की जरूरत नहीं है....." विवेक अदिति (तक्ष) के बौखला जाने से उसे गुस्से में देखता हुआ अपनी पाकेट से बेल्ड निकालकर उसके हाथ पर वार करता है जिससे अदिति (तक्ष) तुरंत अपने हाथ को पकड़ते हुए गुस्से में चिल्लाने लगती है......" तुम पागल हो गए हो क्या.. पहले छूने के लिए मना किया तो बेवजह पास आ गये और अब इस ब्लेड से हाथ पर चोट मार दी......"
विवेक ने अदिति (तक्ष) की बात न सुनकर सिर्फ उसके हाथ पर ही देखता हुआ अपने आप से कहता है....." मेरा अंदाजा सही था...."
 
...............to be continued...............
विवेक ने तक्ष के हाथ पर ब्लेड से वार क्यूं किया उसे तो अभिमंत्रित खंजर से वार करना चाहिए था...?
जानेंगे अगले भाग.....