Mystery of Haunted Tree in Hindi Horror Stories by Vedant Kana books and stories PDF | हॉन्टेड ट्री का रहस्य

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हॉन्टेड ट्री का रहस्य

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"क्या तुमने कभी किसी पेड़ को रोते हुए सुना है?"
पुराने गाँव के बुजुर्ग अक्सर ये सवाल करते थे, और बच्चे हँसकर टाल देते थे। लेकिन उस रात, जब अमन ने सच में उस पेड़ से किसी के कराहने की आवाज़ सुनी, तो उसकी हँसी हमेशा के लिए कहीं खो गई...


उत्तर भारत के पहाड़ी इलाके में बसा था दौलापुर—एक छोटा सा गांव, जहाँ अब ज़्यादा लोग नहीं रहते थे। गाँव के बाहर एक पुराना विशाल वटवृक्ष खड़ा था, जिसकी मोटी टेढ़ी-मेढ़ी जड़ें ज़मीन से ऊपर निकल कर सांपों की तरह रेंगती थीं। लोग उसे "छांव वाला पेड़" कहते थे, मगर शाम होते ही वह पेड़ एक अंधेरे साए में बदल जाता।

गाँव में मान्यता थी कि इस पेड़ के नीचे कभी एक तांत्रिक को जिन्दा जला दिया गया था, और उसका शाप इस पेड़ में समा गया।


अमन, जो शहर से गाँव आया था गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने, उसे इन बातों पर विश्वास नहीं था। वह साइंस का स्टूडेंट था, और आत्मा-भूत जैसी बातों को बकवास मानता था। लेकिन एक रात, बिजली चली गई और अंधेरा कुछ ज़्यादा ही घना हो गया। वह अकेला घर से बाहर निकला—मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाकर।

हवा थमी हुई थी, लेकिन अचानक एक ठंडी लहर उसके शरीर से गुजर गई। वह उसी पेड़ के पास जा पहुँचा... और तभी—

“बचाओ…”
एक धीमी, कांपती आवाज़ उसके कानों में पड़ी।
अमन ने चारों तरफ देखा—कोई नहीं। फिर आवाज़ फिर आई।
“छोड़ दो मुझे… आग… बहुत जल रहा हूँ…”

उसने जब पेड़ को गौर से देखा, तो पेड़ की छाल में जैसे किसी इंसान का चेहरा उभरता दिखा। आँखें, नाक, और जलती हुई चीख।
अमन चीख कर भागा… लेकिन उसके पैर हिले ही नहीं।

अगले दिन अमन ने गाँव के बुजुर्ग से बात की।
उन्हें देखकर दादी का चेहरा सफेद पड़ गया।
“उस पेड़ के नीचे मत जाना बेटा… वहाँ 'भैरवनाथ तांत्रिक' की आत्मा बंद है… उसने मरने से पहले कहा था, ‘जिसने भी मेरी नींद तोड़ी, वो भी कभी चैन की नींद नहीं सो पाएगा।’”

अमन की जिज्ञासा बढ़ती गई। उसने गाँव के पुराने कागज खंगाले—और एक पुरानी डायरी मिली। उस डायरी में भैरवनाथ की खुद की लिखावट थी।
उसमें लिखा था—

"मैंने मृत्यु को जीत लिया है। मेरा शरीर भले ही राख हो जाए, लेकिन मेरी आत्मा इस वटवृक्ष से जुड़ चुकी है। हर सौ साल में, जब चाँद सबसे पास होता है, मैं फिर जागता हूँ..."

अमन की साँसे रुक गईं—क्योंकि अगली पूर्णिमा कल थी।

अमन ने ठान लिया कि वह इस रहस्य को खत्म करेगा। वह अगली रात उसी पेड़ के नीचे गया, हाथ में एक प्राचीन मंत्रों वाली किताब और लाल धागा लेकर।

जैसे ही वह मंत्र पढ़ने लगा, पेड़ की जड़ें हिलने लगीं, ज़मीन से एक साया उठ खड़ा हुआ—चेहरा आधा जला हुआ, आँखें लाल, और आवाज़...
"तू मेरी नींद का कारण बना है... अब मैं तुझे अपनी जगह सोने दूंगा!"

अमन पर हमला हुआ। उसकी आंखों के सामने आग, रोशनी और डर का विस्फोट हुआ। उसने पूरी ताकत से मंत्र पढ़ा—लेकिन तभी मंत्र बीच में ही रुक गया…


सुबह जब लोग पहुँचे, पेड़ अपनी जगह था। लेकिन उसकी एक शाखा से एक नया इंसानी चेहरा उभरा हुआ दिखा—एक चेहरा जो अमन का था।

किसी ने उसे फिर कभी नहीं देखा…

और अब, जो भी उस पेड़ के पास जाता है, उसे उस चेहरे से एक फुसफुसाती हुई आवाज़ सुनाई देती है—
“छोड़ दो मुझे… मैं बहुत जल रहा हूँ…”


कभी-कभी मौत से भी डरावना होता है वह सच, जो मौत के बाद भी सो नहीं पाता।
वह वटवृक्ष अब भी खड़ा है… इंतज़ार में… शायद तुम्हारे...