Bandhan - 24 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 24

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 24

। रीकैप

पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा की शेखर जी जबरदस्ती मोहिनी जी को खाना खिलाते हैं मोहिनी जी रोते हुए  खाना खाती है और अपने अतीत के बारे में सोचती है जिसे सोचकर वह खुद पर ही हंस रही थी और किस्मत पर रो रही थी दूसरी तरफ कपाड़िया मेंशन में कार्तिक बच्चों से सवाल पूछता है कि उन दोनों में से बड़ा कौन है तो दोनों बच्चे एक दूसरे की तरफ उंगली करते हैं तो शिवाय बोलता है कि आर्य सन्नवि से 2 मिनट छोटा है।

तभी पालकी बाहर से भागते हुए आती है और सब को बाहर चलने के लिए बोलती है। 

अब आगे 

जैसे सभी घर वाले बाहर आकर देखते हैं तो एक लड़की तीन लड़कों को बड़ी बुरी तरह से पीट रही थी। 

वह लड़की तीनों लड़कों को मुर्गा बनाकर रोड पर बिठाती हैं 



उनसे बोलती है तुम लोगों को ना एक लड़की को छेड़ना भी ढंग से नहीं आता है ।कैसे लड़की को पटाओगे ऐसे इतनी गंधी तरह से सीटी मार कर
 इस से लड़की तो  दूर की बात," कुकर की सीटी भी नहीं बजेगी" ठीक से।

और तुम चिरकुट कॉकरोच, कहावत हो हमसे की हम छम्मक छल्लो लागे से ।

देखा बिटवा तुमको ना, आपन आंखों का इलाज करवाना चाहिए। 


तीसरे लड़के के पास जाकर बोली और तुम इस चिरकुट के मितवा अब  बोलो इस छोरी ने  अगर यह तहर बात ना मांनेगी की ।तो इसका मुंह का कोनो को दिखाने के लायक नहीं छोड़ेगा?

अब देखती हूं मैं कि तुम तीनों का चेहरा कौन देखता है इतना बोलकर वह लड़की उन तीनों लड़कों को डंडे से मार रही थी। 

पीछे खड़े सभी लोग ऐसे उसे यह सब करते देख रहे थे। 

वह लड़की दिखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर थी। घाने  रेसीमी बाल जिसे छोटी में गुत्था हुआ था।

बड़ी सी गहरी काली आंखों में काजल हैं होठों पर 
प्यारी सी मुस्कान होठों से थोड़ा नीचे काला तिल उसे लड़की को और भी सुंदर बना रहा था। उससे ज्यादा उसके उसे आंखों में गुस्सा उस लड़की को कयामत की रानी बन रहा था।

उस लड़की ने इस वक्त लहंगा चोली पहना था,जिसका लहंगे का रंग खाकी की है और चोली क रंग मरुण है। उसका दुपट्टा भी मैरून रंग में था जिस पर खाकी की बॉर्डर थी। उसे लड़की ने गले में काला धागा बांधा हुआ है उसके चिन्ह पर 3 🔼three काल डॉट है।

तभी उन तीनों लड़कों में से एक लड़का उस लड़की के पैर पकड़ते हुए बोला रोते हुए कहता है नहीं दीदी आगे से हम नहीं करेंगे ऐसा कुछ भी  . हम कभी लड़कियों को चेढ़ेंगे भी नहीं आज से सारी लड़कियां हम तीनों लड़कों की बहनें है , यहां तक की अपनी होने वाली,बीवी को भी अपनी बहन की तरह मानूंगा इतना बोलकर वह रोने लगता है।

तभी वह लड़की पीछे मुड़कर एक लड़की को बुलाती है ।जिसने अपने हाथों में किताबें ले रखी थी और आंखों में आंसू थे ।

वह लड़की उस रोते हुए लड़की से बोली ऐसे रो क्यों रही हो, तुम जैसी नाजुक कलियों की वजह से ही ऐसे चिरकुटों की हिम्मत बढ़ती है। दूसरे लड़कियों को छेड़ने की। जब छेड़ता है ना तब एक खींचकर गाल पर लगा देना चाहिए। 

ऐसे रो क्यों रही हो जैसे किस ने तुमसे तुम्हारी जान ली हो और यहां अओ और इन तीनों को सबक सिखाओ ।

वह लड़की यह बात बहुत ही ज्यादा गुस्से में बोल रही थी। 

इस बात से अनजान की दो गहरी काली आंखें उस लड़की को बहुत ही ज्यादा गुस्से से घूर  रही थी ,खासकर उस लड़की कि पैरों को जो  उन तीनों लड़कों में से एक लड़के ने पकड़ा हुआ है। 

तभी खुशी जी चिल्लाते हुए बोली दुर्गा यह क्या कर रही हो ऐसे क्यों मार रहे हो उन लड़कों को। 

जी हां इस लड़की का नाम दुर्गा है आप इसे कपाड़िया का , इससे क्या रिश्ता है यह हम आगे के एपिसोड में जानेंगे। 

जैसी दुर्गा यह आवाज सुनती है वह अपने हाथों से लकड़ी के टुकड़े को नीचे फेंक देती है और अपनी दांतो तले जीव चबाकर एक आंख बंद करके हुए खुद में खुद से बोली अब तो गई मैं माता रानी बचा लेना आप तो जानती हो ना मैं तो बस किसी की मदद कर रही थी इतना बोलकर वह धीरे-धीरे पीछे पलटी है। 

तो सामने खुशी जी को अपनी कमर पर हाथ   रखकर उसे गुस्से से घूरते हुए देखती हैं।

और पीछे अरनव जी को और बाकी सब को मुंह दबाकर हंसते हुए। 

जो दुर्गा अब तक सच में काली माता लग रही थी अब वह किसी प्यारी सी बच्ची जैसी लग रही थी। 

खुशी जी को इस तरह गुस्से में देखकर दुर्गा जल्दी से उनके पास आती है और मासूमियत  से बोली दादी आपने बुलाया 

खुशी जी गुस्से में बोली यह क्या कर रही हो तुम और यू क्यों शोर मचा हुआ है ऐसे क्यों पीट रही हो लड़कों को। 

दुर्गा हकलाते हुए बोली व.....व ...वह क्या है ना कि दादी यह तीनों लड़कें है ना,इस लड़की को छेड़ रहे हैं थे, और वह जो बीच में बैठा हुआ लड़का है ना वह लड़का इस लड़की को धमकी दे रहा था कि अगर वह लड़की इस लड़के का प्रपोजल एक्सेप्ट नहीं करेगी तो उसका मुंह को, कहीं दिखाने के लायक नहीं छोड़ेगा। 

अब आप तो जानती हो ना दादी मैं तो इतनी मासूम हूं और भोली भाली भी जैसे ही वह लड़की मुझसे मदद मांगने आई तो। मुझसे ना कहना बना ही नहीं और मैंने उसे लड़की को लड़कों से बचाया। 

कार्तिक गुस्से में बोला तो खुद अकेले जाने की क्या जरूरत थी हाथ में फोन था घर पास में ही था आजू-बाजू लोग थे ।किसी को बुलाती नाम दुर्गा है इसका मतलब दुर्गा नहीं हो तुम जो खुद लड़ने पड़ गई। 

दुर्गा कार्तिक को घूर कर देखती है और उससे बोली तुम अपना मुंह बंद रखो किसी ने कहा नहीं है मुंह खोलने के लिए और मासूम सा चेहरा बनाकर दादी की तरफ देखती है। 

खुशी बोली यह तू घर चल तुझे घर में बताती हूं इतना बोलकर वहां से चली जाती है। 

वनराज दुर्गा के पास आते हुए बोला तू जा दादी के पास ,वरना वह और तुम्हें डाटेगी । और उनके गुस्से में कार्तिक बैठा है घीय डालने के लिए। मैं यहां सबको देख लूंगा। लड़कों के पास चला जाता है। 

वनराज के जाने के बाद दुर्गा सब की तरफ अपनी मासूमियत भरी शक्ल दिखाती है। तो सब उसकी शक्ल को इग्नोर कर कर अंदर की तरफ चले जाते हैं जैसे कह रहे हो आप बैल मुझे मार वाले काम तुमने किए हैं तो इसके जिम्मेदारी भी तुम ही संभालो। 

दुर्गा मन ही मन सबको , कोसते हुए अंदर चली जाती है। 



कौन है दुर्गा 

क्या करेगी खुशी जी दुर्गा के साथ। 

क्या इंटरेस्टिंग मोड लाने वाली है दुर्गा की एंट्री। 

जानने के लिए पढ़िए अगला चैप्टर।
यार कमेंट और रिव्यू करदो।